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US Inflation: अमेरिका की महंगाई का भारत में असर दिखने के आसार

US Inflation: नवीनतम मुद्रास्फीति 9.1 है (मई में यह 8.6 फीसदी थी) और ये विश्लेषकों के 8.8 फीसदी के अनुमान से अधिक है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 14 July 2022 6:20 AM GMT
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अमेरिका की महंगाई (फोटो: सोशल मीडिया ) 

US Inflation: चूंकि डॉलर दुनिया की सबसे सुरक्षित और मजबूत करेंसी मानी जाती है सो अमेरिका में मुद्रास्फीति का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ता है। जून में अमेरिकी खुदरा मुद्रास्फीति 9.1 फीसदी से ऊपर रही है।

इसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक को अमेरिका के साथ तालमेल रखने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा व्यापक रूप से मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए दरों में और तेजी से बढ़ोतरी की उम्मीद है।

नवीनतम मुद्रास्फीति 9.1 है (मई में यह 8.6 फीसदी थी) और ये विश्लेषकों के 8.8 फीसदी के अनुमान से अधिक है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेड जुलाई में दरों में 75 -100 आधार अंक और अगस्त में 50 -75 आधार अंक की वृद्धि करेगा। इस तरह की कार्रवाई से अमेरिकी डॉलर को और मजबूती मिलेगी, क्योंकि उभरते बाजारों से अधिक पैसा अमेरिका के सुरक्षित पनाहगाहों में चला जाएगा।

भारत के ऋण और इक्विटी बाजारों से 23 बिलियन डॉलर निकले

पूंजी बाजार विशेषज्ञ के अनुसार, रिज़र्व बैंक को अमेरिका और भारत के बीच ब्याज दर के अंतर को एक सीमा के भीतर रखने के लिए अमेरिका के साथ दरों में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा ताकि रुपये को और तेज गिरावट से बचाया जा सके। 2022 की शुरुआत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत के ऋण और इक्विटी बाजारों से 23 बिलियन डॉलर निकाले हैं। इससे अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये के मूल्य में 7 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। भारतीय रुपया 2022 की शुरुआत में 74.4 के मुकाबले 80 डॉलर प्रति डॉलर के स्तर की ओर बढ़ रहा है। रुपया वर्तमान में 79.8 के स्तर के आसपास कारोबार कर रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक पहले ही दो महीनों में अल्पकालिक नीतिगत दरों में 90 आधार अंकों की वृद्धि कर चुका है - (मई में 50 आधार अंक और इस वर्ष जून में 40 आधार अंक)।

विशेषज्ञ ये भी कहते हैं कि जून महीने में भारत में मुद्रास्फीति थोड़ी घटी है और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी आई है सो मुमकिन है कि आरबीआई दर वृद्धि पर धीमी गति से आगे बढ़े। अमेरिका में लगातार उच्च मुद्रास्फीति के चलते फेड रिज़र्व को अल्पकालिक ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

वैश्विक मंदी की संभावना केवल 20-30 प्रतिशत

इस बीच भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार, वैश्विक मंदी की संभावना केवल 20-30 प्रतिशत है जबकि अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक गतिरोध की संभावना अधिक है। अनुमान है कि मार्च 2023 तक भारत की मुद्रास्फीति दर 5 प्रतिशत के करीब आने की उम्मीद है। भारत में, खुदरा मुद्रास्फीति जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी बैंड से अधिक रही है। जून में खुदरा महंगाई 7.01 फीसदी पर आ गई।रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण मई 2022 में 7.04 प्रतिशत की तुलना में जून 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति थोड़ी कम होकर 7.01 प्रतिशत हो गई। जून के आंकड़े अब इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि पीक लेवल बीत चुका है। पिछले दो महीनों में मुद्रास्फीति में कमी सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के कारण संभव हुई है, जिसमें पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर करों में कटौती, खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध, और कमोडिटी में वैश्विक मंदी के बीच सीमेंट की कीमतों में कटौती शामिल है। माल और सेवा कर (जीएसटी) परिषद द्वारा 18 जुलाई से कई वस्तुओं और सेवाओं की लागत अधिक होने के साथ, दरों में वृद्धि को मंजूरी देने और कुछ पर कर छूट वापस लेने के साथ, खुदरा मुद्रास्फीति पर जीएसटी दरों में वृद्धि का अतिरिक्त प्रभाव 15 से 20 अंक की सीमा में होगा।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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