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Custodial Death: पुलिस हिरासत में मौत के मामले में यूपी अव्वल, ये राज्य भी पीछे नहीं

Custodial Death: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि हिरासत में होने वाली मौतों का आंकड़ा बीते साल के मुकाबले बढ़ा है।

Krishna Chaudhary
Published on: 28 July 2022 8:21 AM GMT
uttar pradesh in top list of Custodial Death
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पुलिस हिरासत में मौत के मामले में यूपी अव्वल (फोटो: सोशल मीडिया)

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Custodial Death: पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, देश में हर दिन छह लोगों की मौत पुलिस कस्टडी (Custodial Death) में होती है। इस मामले में हिंदी पट्टी के राज्यों का रिकॉर्ड हमेशा से खराब रहा है। लगातार यूपी और बिहार से कस्टोडियल डेथ (Custodial Death) की खबरें आती रहती हैं और इसके शिकार अक्सर निम्न आय वर्ग से आने वाला तबका होता है। यूपी पुलिस पर तो इसे लेकर कई बार गंभीर आरोप तक ले चुके हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में हिरासत में होने वाली मौतों का आंकड़ा बीते साल के मुकाबले बढ़ा है। साल 2020-21 में 1940 लोगों की हिरासत में मौत हुई थी, जो 2021-22 में बढ़कर 2544 हो गया है। हिरासत में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं और उसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान है।

सबसे अधिक मौत वाले राज्य

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इंडियन मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुस्समद समदानी के एक सवाल का उत्तर देते हुए हिरासत में होने वाले मौतों का आंकड़ा पेश किया। उन्होंने बताया कि यूपी में साल 2020-21 में हिरासत में 451 मौतें दर्ज की गईं, जबकि साल 2021-22 में ये संख्या बढ़कर 501 हो गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने बताया कि इसके बाद नंबर आता है पश्चिम बंगाल का जहां 2020-21 में 185 मौतें और 2021-22 में 257 मौतें दर्ज की गईं।

केंद्र सरकार द्वारा गए आंकड़ों के अनुसार, बीते दो सालों में बिहार पुलिस की हिरासत में 396, मध्य प्रदेश पुलिस के हिरासत में 364 और महाराष्ट्र पुलिस के हिरासत में 340 मौतें हुईं। वहीं जब सांसद ने केंद्रीय मंत्री से सवाल किया कि इन मौतों की शिकायत की जांच के लिए सरकार द्वारा कोई तंत्र स्थापित किया गया है या नहीं, तो इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था संविधान में राज्य सूची के अंतर्गत आते हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1996 में अपने एक फैसले में हिरासत में होने वाली मौतों पर कठोर टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि कानून के शासन में हिरासत में मौत एक जघन्य अपराध है। इसी फैसले के बाद हिरासत में हुए मौतों का विवरण दर्ज करने के साथ – साथ संबंधित लोगों को इसकी जानकारी देना भी अनिवार्य कर दिया गया। बता दें कि जानकार हिरासत में होने वाली मौतों का कारण पुलिस सुधार न हो पाने को मानते हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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