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Rajya Sabha Elections 2024: यूपी, कर्नाटक और हिमाचल में कैसे हैं समीकरण, जानिए कहां किसका पलड़ा है भारी?

Rajya Sabha Elections 2024: तीन राज्यों यूपी, कर्नाटक और हिमाचल में विधायक 27 फरवरी को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक राज्यसभा उम्मीदवारों के लिए मतदान करेंगे। उसके बाद शाम पांच बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी। देर रात तक सभी नतीजे आने की उम्मीद है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 26 Feb 2024 10:05 PM IST
How are the equations in UP, Karnataka and Himachal, know who has the upper hand?
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यूपी, कर्नाटक और हिमाचल में कैसे हैं समीकरण, जानिए कहां किसका पलड़ा है भारी?: Photo- Social Media

Rajya Sabha Elections 2024: यूपी, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की 15 राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी यानी मंगलवार को वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं, वहीं कर्नाटक की चार सीटों के लिए पांच उम्मीदवार जब कि हिमाचल प्रदेश की एक सीट के लिए दो उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं 12 राज्यों से 41 उम्मीदवार पहले ही राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। इनमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तक शामिल हैं।

जानिए उत्तर प्रदेश का गणित

राज्यसभा के मौजूदा चुनाव में सबसे ज्यादा 10 सीटें उत्तर प्रदेश में खाली हो रही हैं। इन 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें नौ भाजपा के हैं। इनके अलावा सपा की जया बच्चन का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। जया को सपा ने फिर से मैदान में उतारा है। जया के अलावा सपा ने रामजीलाल सुमन और आलोक रंजन को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा की ओर से आरपीएन सिंह, चैधरी तेजवीर सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, सुधांशु त्रिवेदी, साधना सिंह, नवीन जैन और संजय सेठ मैदान में हैं।

399 विधायक करेंगे वोट-

403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में चार सीटें खाली होने से कुल 399 विधायक मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। वहीं सपा के पास 108 विधायक हैं। पार्टी दो उम्मीदवारों को जिताने की स्थिति में है जबकि तीसरे उम्मीदार को जिताने के लिए तीन प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत है। कांग्रेस के दो विधायक में से एक विधायक आराधना मिश्रा ने सपा को अपना समर्थन कर दिया है तो वहीं दूसरे विधायक का अभी रूख पता नहीं चल पाया है। हालांकि, पल्लवी पटेल जैसे विधायकों की बगावत का सामना कर रही पार्टी के लिए परेशानी बढ़ सकती है।

वहीं, भाजपा और उसके सहयोगियों के पास सात सदस्यों को जिताने के लिए पर्याप्त संख्याबल है। वहीं राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल ने भाजपा उम्मीदवारों को वोट करने का एलान किया है। इसे मिलाकर आठवें उम्मीदवार के लिए भाजपा और सहयोगियों के पास प्रथम वरीयता के 29 वोट ही हैं। ऐसे में आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के आठ वोट कम हैं। वहीं, बसपा के एक सदस्य किसे वोट करेंगे यह अब तक साफ नहीं है।

अब हिमाचल प्रदेश की बात

यहां से राज्यसभा सांसद और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। नड्डा इस बार गुजरात से निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। हिमाचल में इस समय कांग्रेस सत्ता में है। कांग्रेस ने यहां से अभिषेक मनु सिंघवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सिंघवी के सामने भाजपा ने हर्ष महाजन को मैदान में उतारा है। हर्ष कांग्रेस से ही भाजपा में आए हैं। जीत के लिए 35 प्रथम वरीयता के वोट की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं। सरकार को तीन निर्दलियों का भी समर्थन है। ऐसे में देखा जाए तो संख्याबल के हिसाब से कांग्रेस का पलड़ा भारी है।

वहीं इस बीच, भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन ने दावा किया है कि पार्टी लाइन से परे विधायकों के साथ उनके संबंध हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस सदस्य अंतरात्मा की आवाज से वोट देंगे। उधर कांग्रेस ने भाजपा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी एकजुट है और उसका उम्मीदवार जीतेगा।

जानिए अब कर्नाटक की सियासत

कर्नाटक से कांग्रेस के तीन और भाजपा के एक सदस्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इनमें कांग्रेस के डॉ. एल. हनुमंथैया, सैयद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर और भाजपा के राजीव चंद्रशेखर शामिल हैं। इस बार यहां कांग्रेस ने अजय माकन, सैयद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा और जेडीएस गठबंधन ने नारायणा कृष्णासा भांडगे और कुपेंद्र रेड्डी को टिकट दिया है। चार सीटों के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में होने से यहां चुनाव होना है।

कर्नाटक के 224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 135 विधायक तो भाजपा के 66 और जेडीएस के 19 विधायक हैं। अन्य विधायकों की संख्या चार है। चार सीटों के लिए हो रहे चुनाव के लिए एक सदस्य को जीतने के लिए 45 प्राथमिक वोट की जरूरत होगी। ऐसे में कांग्रेस अपने तीनों उम्मीदवारों को जिता सकती है। वहीं, भाजपा-जेडीएस गठबंधन को अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए पांच अतरिक्त वोट की जरूरत है। चार अन्य विधायक अगर भाजपा जेडीएस गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट करते हैं तो केवल एक वोट के इधर से उधर होने पर मामला पलट सकता है।

इस बीच क्रॉस वोटिंग की आशंकाएं भी जताई जा रही हैं। कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को राज्यसभा की वोटिंग तक एक होटल में रखने का फैसला किया है। इससे पहले उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि हमारे विधायकों ने हमें उन प्रस्तावों के बारे में बताया है जो उन्हें मिल रहे हैं। हम जानते हैं कि भाजपा और जेडीएस क्या योजना बना रहे हैं। हमारी अपनी रणनीति है। हालांकि, भाजपा ने कांग्रेस के दावों का खंडन किया है।

कौन करता है राज्यसभा सदस्यों का चुनाव?

राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होता है। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव उस राज्य की विधानसभा के चुने हुए विधायक करते हैं, जिस राज्य से वह उम्मीदवार है। राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव से काफी अलग होती है, क्योंकि इस सदन के लिए मतदान सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं। चूंकि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। राज्यसभा चुनावों के नतीजों के लिए एक फॉर्मूला भी तय किया गया है।

जानिए क्या है चुनाव नतीजों का फॉर्मूला?

जिस राज्य की राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हो रहे हैं, उस राज्य के विधायक इसमें वोट डालते हैं। इन चुनाव में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह वोट नहीं पड़ते। यहां विधायकों को वरीयता के आधार पर वोट डालना होता है।

आयोग की ओर से दी जाती है एक विशेष पेन-

विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है और इसी तरह विधायक चाहे तो सभी उम्मीदावारों को वरीयता क्रम दे सकता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट अमान्य हो जाता है। इसके बाद विधानसभा के विधायकों की संख्या और राज्यसभा के लिए खाली सीटों के आधार पर जीत के लिए आवश्यक वोट तय होते हैं। जो उम्मीदवार उस आवश्यक संख्या से अधिक वोट पाता है उसे विजयी घोषित किया जाता है।



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Shashi kant gautam

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