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कारोबारी के परिवार को अंत्येष्टि के लिए मनाने में प्रशासन के छूटे पसीने, सियासत तेज
देहरादून: हल्द्वानी के ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रकाश पांडे के मंत्री की चौखट पर जहर खाकर जान देने के मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार की ओर से मृतक प्रकाश पांडेय की पत्नी कमला पांडेय को समूह 'ग' के तहत संविदा पर नौकरी देने एवं एक माह के भीतर 12 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने के ठोस आश्वासन के बाद ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रकाश पांडेय के अंतिम संस्कार हो पाया। इससे पहले पिता, माता, भाई व बहनोई ने अंतिम संस्कार करने से ही इनकार कर दिया था।
जानकारी के अनुसार मंगलवार ढाई बजे मृतक का शव काठगोदाम न्यू कालोनी लाया गया। इसके साथ ही हल्द्वानी से लेकर काठगोदाम तक पुलिस का कड़ा पहरा लगा दिया गया। पुलिस अफसरों के पहुंचने का सिलसिला लगा रहा। डीएम दीपेंद्र चौधरी, एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया तो अंदर से टूट गए परिजनों ने इससे इनकार कर दिया।
इस बीच नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, मेयर डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला भी सांत्वना देने के लिए पहुंच गए थे। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया, कि इस बीच मृतक के बहनोई उमेश मेलकानी ने शव का अंतिम संस्कार करने से पहले दो मांग सामने रख दी। इसमें मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी व मुआवजे की मांग की गई। परिजनों में कोई 10 तो कोई 25 लाख रुपए मुआवजे की बात रख रहे थे। काफी तनावपूर्ण स्थिति को देखकर डॉ. इंदिरा ने डीएम, एसएसपी, मेयर, पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, मृतक के बहनोई उमेश मेलकानी के साथ बैठक का फैसला लिया।
सूत्रों के अुनसार, मृतक के किराए के घर में करीब एक घंटा बातचीत हुई। डीएम ने मुख्य सचिव से मृतक के परिजनों की भावनाओं से अवगत कराया। उसके बाद मुख्य सचिव ने दोनों मांग मान ली। इससे पहले सीएस की सीएम से भी बातचीत हुई। इसके बाद परिजनों को एक माह के भीतर मृतक की पत्नी को संविदा पर नौकरी दिए जाने का भरोसा दिया गया। इसके साथ ही डीएम ने दो लाख का तत्काल मुआवजा एवं एक माह के भीतर 10 लाख रुपए दिए जाने का भरोसा दिया।
अंततः ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रकाश पांडेय के पार्थिव शरीर का बेहद गमगीन माहौल में चित्रशिला घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। चिता को मुखाग्नि पुत्र मोहित एवं मृतक के भाई ललित पांडेय ने दी। इस दौरान सैकड़ों व्यापारियों के साथ ही आम लोग, नाते रिश्तेदार एवं पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद था। पूरी चिता जलने तक श्मशान घाट में गहरा सन्नाटा पसरा था।