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Uttarakhand: बाहरी लोग अब उत्तराखंड में नहीं खरीद पाएंगे कृषि और बागवानी की जमीनें

Uttarakhand News: मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्यहित एवं जनहित में यह निर्णय लिया गया है कि भूमि कानून समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक अथवा अगले आदेश तक जिला मजिस्ट्रेट राज्य के बाहर के लोगों को उत्तराखंड में कृषि और बागवानी उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदने की अनुमति नहीं देंगे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 1 Jan 2024 9:40 AM GMT
CM Pushkar Singh Dhami
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CM Pushkar Singh Dhami  (photo: social media )

Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने कृषि और बागवानी उद्देश्यों के लिए राज्य के बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद पर अंतरिम प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया।

एक सरकारी प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया, ''मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्यहित एवं जनहित में यह निर्णय लिया गया है कि भूमि कानून समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक अथवा अगले आदेश तक जिला मजिस्ट्रेट राज्य के बाहर के लोगों को उत्तराखंड में कृषि और बागवानी उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदने की अनुमति नहीं देंगे।” इससे पहले, सीएम धामी ने आदेश दिया था कि राज्य में जमीन खरीद को खरीदारों की पृष्ठभूमि की गहन जांच के बाद ही मंजूरी दी जाएगी।

क्या है भूमि कानून

बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भूमि कानून पर नवगठित विशेषज्ञ समिति व्यापक सार्वजनिक सुनवाई करे और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और विशेषज्ञों से इनपुट मांगे। उत्तर प्रदेश जमींदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 154 में 2004 में किए गए संशोधन के अनुसार, जिन व्यक्तियों के पास 12 सितंबर 2003 से पहले उत्तराखंड में अचल संपत्ति नहीं है, उन्हें कृषि और बागवानी कामों के लिए जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति से जमीन खरीदने की अनुमति है।

बन रहा नया कानून

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड के लिए नया भूमि कानून तैयार करने के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया है। राज्य गठन के बाद से ही विभिन्न मंचों से हिमाचल प्रदेश के समान कठोर भूमि कानून बनाने की लगातार मांग की जाती रही है। उत्तराखंड सरकार का फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य भर में लोग कड़े भूमि कानूनों और अधिवास मानदंडों के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और मांग कर रहे हैं कि इस संबंध में 1950 को कट-ऑफ तारीख माना जाए। राज्य में ये एक संवेदनशील मसला बन गया है।

Monika

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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