TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

उत्तराखंड तबाहीः बांध बनाने के चक्कर में डूब गया टिहरी, विरोध को किया दरकिनार

टिहरी जिले में भागीरथी और भीलगंगा नदी के संगम पर यह बांध बनाया गया है और इस बांध के निर्माण की मंजूरी 1972 में मिली थी। इसके बाद 1977-78 में इस बांध का निर्माण कार्य शुरू हुआ।

Roshni Khan
Published on: 8 Feb 2021 8:30 AM IST
उत्तराखंड तबाहीः बांध बनाने के चक्कर में डूब गया टिहरी, विरोध को किया दरकिनार
X
उत्तराखंड तबाहीः बांध बनाने के चक्कर में डूब गया टिहरी, विरोध को किया दरकिनार (PC: social media)

नई दिल्ली: उत्तराखंड का टिहरी बांध देश के नौ राज्यों को बिजली दे रहा है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली की पेयजल और सिंचाई के पानी जरूरतें भी टिहरी बांध से ही पूरी हो रही हैं। 2400 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना से देश के नौ राज्य भले ही रोशन हो रहे हों मगर इसके साथ यह भी सच्चाई है कि इस परियोजना के लिए टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा था।

ये भी पढ़ें:बोरिस जॉनसन ने चमोली आपदा पर जताया दुख, कहा- भारत की हर संभव मदद के लिए तैयार

इस बड़ी विद्युत परियोजना के कारण 37 गांव पूरी तरह से डूब गए जबकि 88 गांव इस परियोजना के कारण आंशिक रूप से प्रभावित हुए।

पर्यावरणविदों ने किया था बांध का विरोध

टिहरी जिले में भागीरथी और भीलगंगा नदी के संगम पर यह बांध बनाया गया है और इस बांध के निर्माण की मंजूरी 1972 में मिली थी। इसके बाद 1977-78 में इस बांध का निर्माण कार्य शुरू हुआ। सुंदरलाल बहुगुणा समेत अनेक पर्यावरणविदों ने टिहरी बांध परियोजना का जबर्दस्त विरोध किया था।

Tehri Dam Tehri Dam (PC: social media)

बांध विरोधियों का तर्क

बांध विरोधियों का तर्क था कि इस परियोजना से टिहरी कस्बे और आसपास के तमाम गांव जलमग्न होने के साथ ही हजारों लोगों के सामने विस्थापित होने का खतरा पैदा हो जाएगा। टिहरी बांध विरोधी आंदोलन ने इस परियोजना से क्षेत्र के पर्यावरण, ग्रामीण जीवन शैली, वन्यजीव, कृषि के साथ ही लोक संस्कृति को होने वाली क्षति की ओर भी सबका ध्यान खींचा था।

भूकंप का भी खतरा

अनेक विशेषज्ञों ने भी यह तर्क दिया था कि टिहरी बांध गहन भूकंपीय सक्रियता वाले क्षेत्र में आता है और रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता से भूकंप आने पर टिहरी बांध के टूटने का खतरा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड समेत अनेक मैदानी इलाके डूब जाएंगे।

तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए टिहरी बांध परियोजना पर काम पूरा किया गया और 29 अक्टूबर 2005 को टिहरी बांध की आखिरी सुरंग बंद हुई और झील बननी शुरू हुई। जुलाई 2006 में टिहरी बांध से विद्युत उत्पादन शुरू हुआ।

जलमग्न हो गया पुराना टिहरी शहर

पहले जताई जा रही आशंका के मुताबिक ही टिहरी बांध के कारण 125 गांव प्रभावित हुए और पुराना टिहरी शहर जलमग्न हो गया। इस बांध के कारण 37 गांव पूर्ण रूप से झील में डूब गए जबकि 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए। हजारों लोगों को इस बांध के कारण विस्थापित होना पड़ा और उन्हें विस्थापित कर देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में बसाया गया है।

पुरानी निशानियां ला देती हैं आंखों में पानी

पुरानी टिहरी से जुड़े लोगों का कहना है कि एक वक्त था जब यह इलाका लोगों की आन, बान और शान हुआ करता था। दूर-दूर तक पुरानी टिहरी शहर की सुंदरता के चर्चे हुआ करते थे, लेकिन वक्त के साथ सबकुछ पानी में डूब गया।

इलाके के लोग आज भी पुरानी टिहरी को याद करके काफी भावुक हो जाते हैं। झील के पानी का जलस्तर कम होने पर पुरानी टिहरी की यादें ताजा हो जाती हैं। ऐसा होने पर यहां पुराने घर, खेत और घंटाघर दिखाई देता है जो कि लोगों के दिलों दिमाग में धुंधली पड़ी यादों को एक बार फिर झकजोर देता है। पुरानी निशानियां को देखकर लोगों की आंखें आज भी नम हो जाया करती हैं।

ये भी पढ़ें:चमोली त्रासदी: दिल्ली से एयरलिफ्ट किए गए बचावकर्मी देहरादून पहुंचे

Tehri Dam Tehri Dam (PC: social media)

ऐतिहासिक घंटाघर को लोग नहीं भूल पाते

टिहरी रियासत की पुरानी निशानियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं जिनसे लोगों का गहरा जुड़ाव है। पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए हैं। टिहरी का घंटाघर पुरानी टिहरी की वो याद है जिससे यहां के लोग कभी नहीं भुला पाते। राजशाही के दौर में यह घंटाघर टिहरी रियासत के वैभव का प्रतीक माना जाता था। महाराज कीर्ति शाह ने 1897 में इस घंटाघर का निर्माण कराया था और इसे लंदन के घंटाघर की तर्ज पर बनाया गया था। 110 फीट ऊंचे इस घंटाघर को बनाने में तीन साल लगे थे। सालों बीत जाने के बाद भी घंटाघर टिहरी झील में शान से खड़ा है और झील का जलस्तर कम होने पर इसे आसानी से देखा जा सकता है। पुरानी टिहरी से जुड़े लोग आज भी पुरानी निशानियों को देखकर काफी भावुक हो जाते हैं।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story