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पर्यटन के जरिये विकास पर जोर, ‘रैबार’ में जुटे देश के सबसे पावरफुल पहाड़ी
देहरादून : उत्तराखंड में एक बात आम तौर पर बोली जाती है कि जिस सपने को लेकर अलग राज्य की मुहिम छेड़ी गयी थी, आंदोलनकारियों का वह सपना आज तक पूरा नहीं हुआ। खटीमा गोली कांड, मसूरी गोली कांड, मुजफ्फरनगर गोली कांड, रामपुर तिराहा कांड, इतनी बड़ी घटनाओं के बाद भी वैसा उत्तराखंड आज तक नहीं बन सका जैसा सपना देखा गया था। उत्तराखंड इस साल अपनी 17वीं वर्षगांठ मना रहा है। स्थापना दिवस समारोह अब उत्सव की तरह यहां मनाया जाता है। हर साल की तरह कुछ सवाल इस बार भी पूछे गए और उन पर मंथन किया गया। इस बार मुख्यमंत्री तक इस मंथन से सीख लेने की बात करते दिख रहे हैं। कितना सीखेंगे, इसका विश्लेषण अब शायद अगले साल ही हो पाएगा। मंथन में जुटे देश के प्रमुख लोगों ने उत्तराखंड के विकास के लिए अपने-अपने सुझाव दिए। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पर्यटन के जरिये राज्य के विकास पर जोर दिया।
प्रमुख हस्तियों ने लिया कार्यक्रम में हिस्सा : राज्य में स्थापना दिवस कार्यक्रमों की शुरुआत पांच तारीख से ही हो गई। हिलमेल नाम की एक संस्था ने उत्तराखंड से जुड़े देश के कई प्रमुख लोगों को एक मंच पर ला खड़ा किया। रैबार यानी संदेश नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, एनटीआरओ के वर्तमान और पहले रॉ के प्रमुख रहे आलोक जोशी, कोस्टगार्ड के डीजी राजेंद्र सिंह, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी, प्रधानमंत्री कार्यालय में सचिव भास्कर खुल्बे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे व इंडिया फाउंडेशन संस्था के निदेशक शौर्य डोभाल शामिल हुए। कार्यक्रम में खुद अजीत डोभाल और रॉ प्रमुख अनिल धस्माना को भी शामिल होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वे शामिल नहीं हो सके। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और कवि, गीतकार प्रसून जोशी भी कार्यक्रम में पहुंचे। इनके अलावा राज्य सरकार के कई मंत्री और लगभग सभी बड़े अधिकारी कार्यक्रम में पहुंचे थे।
प्रति व्यक्ति आय में उत्तराखंड गुजरात से आगे : कार्यक्रम में मुख्यत: चर्चा पर्यटन और पलायन पर ही हुई। हालांकि सरकार ने आंकड़ों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की राज्य में प्रगति की रफ्तार बढ़ी है। राज्य के वित्त विभाग के अनुसार देश में सबसे अच्छे विकास मॉडल के रूप में दिखाया जा रहा गुजरात प्रति व्यक्ति आय के मामले में उत्तराखंड से पीछे है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 60 हजार से अधिक है जबकि गुजरात की प्रति व्यक्ति आय महज एक लाख 41 हजार के आसपास है। इस मामले में देश के कुछ ही राज्य उत्तराखंड से आगे हैं। अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय आठ गुना बढ़ी है। झारखंड की प्रति व्यक्ति आय 6 गुना ही बढ़ी जबकि उत्तराखंड दस गुना से ज्यादा आय बढ़ाने में कामयाब रहा।
सामाजिक तरक्की यानी सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में उत्तराखंड देश में चौथे स्थान पर है। इस मामले में केरल पहले, हिमाचल दूसरे, तमिलनाडु तीसरे नंबर पर हैं जबकि ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में राज्य की रैंक सातवीं है। 2007-08 में राज्य की देश में 14वीं रैंक थी। इन गुलाबी आंकड़ों के बावजूद चर्चा में ज्यादातर पलायन पर चिंता जाहिर की गयी क्योंकि हकीकत यह है कि राज्य के मैदानी इलाकों में लोगों की आय में जिस तेजी से वृद्धि हुई है, पहाड़ों से पलायन उसी रफ्तार से बढ़ा है। पहाड़ और मैदान के क्षेत्रों में विषमता में भारी वृद्धि हुई है। राज्य में सभी जगह पलायन हुआ, लेकिन पौड़ी और अल्मोड़ा में सबसे अधिक पलायन हुआ है। दोनों जगहों पर जनसंख्या ग्रोथ नेगेटिव है।
दिग्गजों की राय : आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पहाड़ में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो पर्यटन के लिए नहीं खुल पाए हैं। उन्हें खोले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में स्कूली शिक्षा के अलावा उच्च शिक्षा के केंद्र खोले जाने की भी आवश्यकता है। आर्मी चीफ ने कहा कि ट्रैङ्क्षकग और माउंटेन बाइङ्क्षकग जैसे क्षेत्रों के जरिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए। प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुल्बे ने स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया। कवि, गीतकार और सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के लोगों की रचनात्मकता को देखते हुए यहां पर मीडिया और क्रिएटिव आट्र्स का एक संस्थान खोला जाना चाहिए। उन्होंने ब्रांड उत्तराखंड विकसित करने की बात कही।
एनटीआरओ के प्रमुख आलोक जोशी ने देश में में साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज हिन्दुस्तान में पांच लाख साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की जरुरत है। उत्तराखंड में उपलब्ध संसाधनों में हल्के-फुल्के बदलाव के साथ साइबर सिक्योरिटी प्रशिक्षण के रूप में एक बड़े क्षेत्र में रोजगार सृजित किया जा सकता है। जोशी ने बताया कि एनटीआरओ और उत्तराखंड सरकार मिलकर तीन महीने के अंदर साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग के लिए एक केंद्र खोलने जा रहे हैं, जिसमें प्रथम चरण में 25 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने ड्रोन एप्लीकेशन के लिए भी देहरादून में सेंटर खोलने की बात कही।
अजित डोभाल के बेटे और इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष शौर्य डोभाल ने कहा कि जीएसटी से उत्तराखंड को फायदा नहीं नुकसान होने की आशंका ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पहले से विकसित राज्यों के विकास की रफ्तार और बढ़ जाएगी। इसलिए उत्तराखंड को कुछ अलग सोचना होगा। शौर्य डोभाल ने सिंगापुर, ताइवान और दुबई का उदाहरण देते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी इन तीनों ने विश्वस्तर पर अपनी-अपनी विशेषज्ञता का लोहा मनवाया है। इसलिए उत्तराखंड को भी देश के अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्धा करने के बजाय अपनी एक या दो चीजों को विश्वस्तर का बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
पंतजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राज्य प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है और पर्यावरण का ख्याल रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को पतंजलि योगपीठ का हर संभव सहयोग देने का भी भरोसा दिलाया।
स्थानीय मीडिया हुआ नाराज
इस कार्यक्रम से स्थानीय मीडिया को बाहर रखा गया। हालांकि मुख्यमंत्री खुद कई दिन से इस कार्यक्रम के बारे में बयान जारी कर रहे थे और तफसील से बता रहे थे कि कौन-कौन कार्यक्रम में शामिल होगा और किस-किस बात पर चर्चा की जाएगी। स्थानीय पत्रकार देश के सबसे पावरफुल लोगों के साथ कार्यक्रम में शामिल होने और उनसे पूछे जाने वाले सवालों को लेकर तैयारी कर रहे थे। लेकिन अंत समय में साफ हो गया कि कार्यक्रम में मीडिया का प्रवेश नहीं है।
इस हाई प्रोफाइल कार्यक्रम में सिर्फ आमंत्रण से ही प्रवेश मिल सकता था और आयोजकों ने बहुत संभलकर लोगों का चयन किया था। हिलमेल के वरिष्ठ पदाधिकारी ने अपना भारत से कहा कि इतने महत्वपूर्ण लोगों के सामने स्थानीय मीडिया को हम कुछ भी पूछने की छूट नहीं दे सकते। उन्हें डर यह भी था कि कहीं किसी वक्ता के मुंह से ऐसी बात निकल गई जिससे विवाद खड़ा हो सकता है तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसीलिए इस कार्यक्रम के वीडियो कवरेज का अधिकार सूचना विभाग तक को नहीं दिया गया। संस्था ने खुद ही सारे कार्यक्रम को रिकॉर्ड किया और उसे अपनी सुविधानुसार जारी किया। आयोजन स्थल सीएम आवास के बाहर घंटों खड़े रहे पत्रकार सूचना विभाग और मुख्यमंत्री पर अपनी भड़ास निकालते रहे। मजेदार बात यह है कि उनमें से शायद ही किसी को पता होगा कि कार्यक्रम की कमान स्थानीय प्रशासन के हाथ में थी ही नहीं।
गढ़वाली-कुमाऊंनी को मिला महत्व
रैबार गढ़वाली का शब्द है जिसका अर्थ होता है संदेश। अपने नाम की तरह ही कार्यक्रम में गढ़वाली और कुमाऊंनी संस्कृति का बोलबाला दिखा। मुख्यमंत्री ने अपनी बात गढ़वाली में शुरू की। सीएम के मीडिया सलाहकार ने भास्कर खुल्बे से कुमाऊंनी में सवाल पूछा तो उन्होंने इसका जवाब कुमाऊंनी में ही दिया। हिलमेल के चेयरमैन मंजीत नेगी ने भी अपनी बात मुख्यत: गढ़वाली में ही रखी। इसके अलावा खाने में पहाड़ी व्यंजन शामिल किए गए थे और मेहमानों को चाय के साथ बुरांस का शर्बत भी पेश किया गया।