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गोमुख के पास बनी झील हटाने के आदेश, सरकार ने कहा- बड़ा खतरा नहीं

aman
By aman
Published on: 14 Dec 2017 3:55 PM IST
गोमुख के पास बनी झील हटाने के आदेश, सरकार ने कहा- बड़ा खतरा नहीं
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गोमुख के पास बनी झील हटाने के आदेश, सरकार ने कहा- बड़ा खतरा नहीं

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गोमुख ग्लेशियर के निकट बन रही कृत्रिम झील को हटाने के लिए राज्य सरकार को इसरो एवं एनडीआरएफ से मदद लेने को कहा है। इसके साथ ही कृत्रिम झील को लेकर सरकार की बेरुखी पर चिंता भी जताई है। यह आदेश दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम की एक याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस केएम जोसफ एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की संयुक्त खंडपीठ ने दिया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि केदारनाथ के ऊपरी हिस्से चोराबाड़ी (गांधी सरोवर) में बनी झील के टूटने के बाद 2013 में आई आपदा से अभी तक सरकार ने सबक नहीं लिया है। याचिकाकर्ता ने इस झील को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए हैं। उनका यह भी कहना है कि गोमुख में बनी कृत्रिम झील 2013 में केदार घाटी की त्रासदी के लिए जिम्मेदार मानी गई चोराबाड़ी झील से बड़ी एवं खतरनाक है।

न्यायालय ने केदारनाथ में गांधी सरोवर टूटने से हुई त्रासदी से सबक लेते हुए सरकार को गंभीरता से काम करने तथा झील हटाने को कहा है। इसरो व एनडीआरएफ की मदद लेने के निर्देश भी दिए हैं। इधर, नैनीताल पहुंचे मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने गोमुख ग्लेशियर में बनी झील को बड़ा खतरा मानने से इंकार करते हुए कहा है कि सेटेलाइट के माध्यम से झील के संबंध में जानकारी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि शासन इस मामले में संजीदा है और कोर्ट के जो भी दिशा- निर्देश होंगे, उनका अनुपालन किया जाएगा।

इसके साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने चमोली के ढ़ाई हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एवलांच की आशंका जताई है, जबकि एवलांच की दृष्टि से उलरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व टिहरी जिले को संवेदनशील माना है। उधर, बकरियों की तलाश में गए मोरी के ढाटमीर गांव के पांच लोगों में से तीन लापता लोगों का बुधवार को भी कुछ पता नहीं चल सका। लापता लोगों की तलाश में एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व उपनिरीक्षक की टीम द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। इधर, गंगोत्री हिमालय में भारत- चीन सीमा के निकट भूस्खलन की सूचना पर गोमुख के लिए रवाना हुई 12 सदस्यीय टीम भारी बर्फबारी और पर्याप्त संसाधन न होने के कारण गंगोत्री से करीब दो किमी आगे वन विभाग के कनखू बैरियर से वापस लौट आई है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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