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U'Khand: हाईकोर्ट ने गंगा और यमुना नदी को दिया 'जीवित मानव' की तरह अधिकार
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में केंद्र सरकार को गंगा और यमुना नदी को 'जीवित मानव' की तरह अधिकार देने के निर्देश दिए हैं। फैसले के बाद गंगा, यमुना नदियों को लीगल स्टेटस मिल गया है। हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह में गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने का आदेश भी केंद्र सरकार को दिया है।
कोर्ट ने साफ़ किया कि यदि राज्य सरकार इस काम में असहयोग करती है तो केंद्र संविधान के अनुच्छेद 365 की शक्ति का प्रयोग करने को स्वतंत्र है। इसके तहत केंद्र राष्ट्रपति को राज्य में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त होने का हवाला देकर संबंधित राज्य को दिशानिर्देश दे सकता है और राज्य उस आदेश को मानने के लिए बाध्य है।
72 घंटे में हटाएं अतिक्रमण
इसके अलावा कोर्ट ने जिला प्रशासन को शक्ति नहर ढकरानी में 72 घंटे के भीतर अतिक्रमण हटाने के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को गंगा से संबंधित संपत्तियों के बंटवारे के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
कोर्ट सरकारों के रुख से खफा
मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने हरिद्वार निवासी मो. सलीम की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया था कि दोनों राज्य गंगा से जुड़ी नहरों की परिसंपत्ति का बंटवारा नहीं कर रहे हैं। कोर्ट के समक्ष केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारी पेश हुए और उन्होंने गंगा संरक्षण को उठाएये कदमों की जानकारी दी, मगर कोर्ट सरकारों के रुख से बेहद खफा थी।