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UCC Bill: शादी से लेकर तलाक तक बदल जाएंगे नियम, सभी धर्मों के लिए एक कानून, बहुविवाह पर लगेगी रोक

Uniform Civil Code: मुख्यमंत्री धामी ने इस विधेयक को आज सदन के पटल पर रखा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस विधेयक में क्या बड़े प्रावधान किए गए हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 6 Feb 2024 2:40 PM IST (Updated on: 6 Feb 2024 2:40 PM IST)
UCC Bill: शादी से लेकर तलाक तक बदल जाएंगे नियम, सभी धर्मों के लिए एक कानून, बहुविवाह पर लगेगी रोक
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Uniform Civil Code: उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री धामी ने आज विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश कर दिया है। उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।

मुख्यमंत्री धामी की ओर से विधेयक पेश किये जाने के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम के नारे भी लगाए। प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस विधेयक को आज सदन के पटल पर रखा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस विधेयक में क्या बड़े प्रावधान किए गए हैं।

लंबे समय से चल रही थी कवायद

उत्तराखंड की धामी सरकार लंबे समय से राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने की कवायद में जुटी हुई थी। मुख्यमंत्री धामी ने इसके लिए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपने 20 माह के कार्यकाल के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, धर्म समूहों और आम लोगों से समान नागरिक संहिता के बारे में व्यापक चर्चा की थी। इस चर्चा के बाद समिति की ओर से चार खंडों और 740 पेजों वाला यह ड्राफ्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंपा गया था।

Photo: Social Media


शादी- तलाक में सभी धर्मों के लिए एक कानून

अब इस विधेयक के कानूनी रूप लेने के बाद प्रदेश में बड़ा बदलाव दिखेगा। शादी,तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। इस विधेयक में लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाने, बहुविवाह पर रोक लगाने, उत्तराखंड में लड़कियों के बराबर हक, सभी धर्मों की महिलाओं को गोद लेने का अधिकार व तलाक के लिए समान आधार रखने की पैरवी की गई है। इसके साथ ही तलाक, तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की गई है।

बहुविवाह पर लग जाएगी रोक

कुछ कानून में बहु विवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। धर्म बदलकर शादी करने के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगेगी। धर्म बदलकर भी लोग दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे।

विवाह के लिए बदलेंगे कानून

सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है। बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति-पत्नी का नियम सभी पर लागू करने पर बल दिया गया है। प्रदेश की जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।

Photo: Social Media


लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन जरूरी

समान नागरिक संहिता लागू होने से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी, उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

इसके मुताबिक सिर्फ एक वयस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।

बेटे-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार

समान नागरिक संहिता विधेयक में बेटे और बेटी के लिए संपत्ति में समान अधिकार से निश्चित किया गया है। यह नियम सभी कैटेगरी में लागू होगा। सभी श्रेणियां में बेटे और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार हासिल होंगे। अवैध संबंध से पैदा होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हकदार होंगे। सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में पहचान मिलेगी। इस विधेयक में नाजायज बच्चों को दंपति की जैविक संतान माना गया है।

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यूसीसी में तलाक लेने की प्रक्रिया

पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं मगर समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद ऐसा संभव नहीं होगा।

समान नागरिक संहिता के प्रमुख बिंदु

  • तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
  • तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा ।
  • गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
  • संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा ।
  • अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा ।
  • सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी ।
  • लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा ।
  • प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी ।
  • एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त।


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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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