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Uttarkashi Tunnel Accident: 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में लगेगा एक महीना? अमेरिका से आए एक्सपर्ट ने चौंकाया, बताई जल्दबाजी नहीं करने की वजह

Uttarkashi Tunnel Accident: सुरंग के अंदर 41 जिंदगियां हैं और बाहर रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियों से जूझते बचाव दल के सदस्य कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सुरंग में ड्रिल करने के लिए भेजी गई ऑगर मशीन नाकाम रही है। घड़ी की सुइयां अपनी रफ्तार से चली जा रही हैं।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 25 Nov 2023 2:52 PM GMT
Will it take a month to get 41 laborers out of the tunnel? The expert who came from America surprised, gave the reason for not hurrying
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  41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में लगेगा एक महीना? अमेरिका से आए एक्सपर्ट ने चौंकाया, बताई जल्दबाजी नहीं करने की वजह: Photo- Social Media

Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तरकाशी में रेस्क्यू रुकने के बाद अब 41 मजदूरों का बाहर आने का इंतजार लंबा खिंच गया है। 14 दिन बाद भी सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों के बाहर निकलने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। सुरंग में 41 जिंदगियां हैं और बाहर रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियों से जूझते बचाव दल के सदस्य। सुरंग में ड्रिल करने के लिए भेजी गई ऑगर मशीन नाकाम रही है। अब वर्टिकल यानि सुरंग के ऊपरी हिस्से पर ड्रिलिंग की तैयारी चल रही है।

नहीं बदल रहे हैं हालात

घड़ी की सुइयां अपनी रफ्तार से चली जा रही हैं। कैलेंडर की तारीख भी बदलती जा रही है, लेकिन कुछ नहीं बदल रहा है तो वो है हालात। हर दिन की सुबह तो उम्मीद के साथ शुरू होती है, शाम होते होते उम्मीद नाउम्मीदी में बदल जाती है। वहीं इस बीच अमेरिका से आए एक्सपर्ट द्वारा दिए गए बयान ने सभी को चैंका दिया है।

जिम्मेदार अधिकारी रोज बदल रहे बयान हैं

अब एक्सपर्ट ने अपने ताजा बयान से सबको चैंका दिया है। उन्होंने कहा है कि मजदूर क्रिसमस यानि 25 दिसंबर तक अपने घर पर होंगे। इस बयान से पीड़ितों के परिजनों की परेशानी और बढ़ गई है। हैरान करने वाली बात यह है कि रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी करने वाली टीम के जिम्मेदार अधिकारी अब तक रोजाना बयान बदलते रहे हैं। वो अपने बयानों में रोजना नई-नई डेडलाइन बताते रहे हैं।

घटना स्थल पर सीएम पुष्कर सिंह धामी: Photo- Social Media

अब अमेरिकी मशीन का नहीं होगा इस्तेमाल

एक्सपर्ट के इस बयान से अब यह साफ हो गया है कि अभी 41 मजदूरों के रेस्क्यू में लंबा समय लग सकता है, क्योंकि मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। सिलक्यारा छोर से खुदाई बंद हो गई है। सरिया के जाल में फंसने से ऑगर मशीन बीती रात खराब हो गई थी। अब अमेरिकी एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स ने कह दिया है कि अब ऑगर मशीन का इस्तेमाल नहीं होगा। अब मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए सुरंग के ऊपर से खुदाई की तैयारी है। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीन को सुरंग के ऊपरी हिस्से पर ले जाया जा रहा है।

क्रिसमस से पहले सभी मजदूर अपने घर पर होंगे

अमेरिकी विशेषज्ञ अरनॉल्ड डिक्स ने क्रिसमस की डेडलाइन दी है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि क्रिसमस से पहले सभी मजदूर अपने घर पर होंगे। वह सुरक्षित हैं। अगर रेस्क्यू में जल्दबाजी की गई तो और मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसलिए पूरी सावधानी के साथ सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अब से एक महीने में 41 लोग घर सुरक्षित होंगे। मुझे बिल्कुल नहीं पता कि कब। मेरा मतलब है कि हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। हमें बस सबसे महत्वपूर्ण बात पर विचार करना चाहिए और वह यह है कि सभी सुरक्षित घर आएं। मुझे विश्वास है कि वे क्रिसमस पर अपने घर होंगे। उन्होंने कहा कि मैंने कभी वादा नहीं किया था कि यह जल्दी हो जाएगा। मैंने कभी वादा नहीं किया कि यह आसान होगा, मैंने कभी नहीं कहा कि यह कल हो जाएगा, मैंने कभी नहीं कहा कि यह आज रात होगा। वे सुरक्षित रहेंगे।

सीएम पुष्कर सिंह धामी: Photo- Social Media

सीएम धामी ने बताया रेस्क्यू का अगला चरण

बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने कहा, ‘मुझसे मजदूरों ने कहा कि हमें खाना मिल रहा है, चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम प्रार्थना कर रहे हैं कि हम जल्द से जल्द यहां से निकल सकें।‘ उन्होंने कहा कि यहां सभी संसाधन उपलब्ध हैं। प्लाज्मा कटर की तरह जो उपकरण यहां नहीं है उसे लाया जा रहा है। मुख्य टनल के निर्माण से पहले एस्केप टनल नहीं बनाने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम हर पहलू पर गौर कर रहे हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता पहले मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की है। उन्होंने कहा कि जीपीआर मैपिंग विश्वसनीय नहीं है, इसे रेस्क्यू में जुटे अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं।

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रेस्क्यू टीम ने माना जीपीआर मैपिंग विश्वनीय नहीं है

गौरतलब है कि जीपीआर मैपिंग करने वाली टीम ने कहा था कि 48 मीटर की ड्रिलिंग के बाद आगे की राह आसान है, क्योंकि ऑगर मशीन के रास्ते में अब कोई मेटर ऑब्जेक्ट नहीं पड़ेगा, लेकिन यह बात गलत साबित हुई और कल शाम ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन लोहे की जाल में फंसकर टूट गई। इसके बाद विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग पर भी विचार कर रहे हैं। इसके लिए मशीन तैयार करके सुरंग के ऊपर पहुंचा दी गई है। मैनुअल ड्रिलिंग शुरू करने के बाद परिस्थितियों का आकलन किया जाएगा और इसमें ज्यादा दिक्कत आने पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की जा सकती है।

Shashi kant gautam

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