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सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को किया बरी

सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित एनकाउंटर केस में 13 साल बाद आज फैसला आ गया। सीबीआई के स्पेशल जज एस. जे. शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि सभी गवाह और सबूत षड्यंत्र और हत्या को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। परिस्थितिजन्य सबूत पर्याप्त नहीं हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 21 Dec 2018 10:33 AM IST
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को किया बरी
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नई दिल्ली: सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित एनकाउंटर केस में 13 साल बाद आज फैसला आ गया। सीबीआई के स्पेशल जज एस. जे. शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि सभी गवाह और सबूत षड्यंत्र और हत्या को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। परिस्थितिजन्य सबूत पर्याप्त नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि तुलसीराम प्रजापति की एक षड्यंत्र के तहत हत्या करने का आरोप सच नहीं है। सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है।

एनकाउंटर के बाद गर्मा गई थी सियासत

2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने के बाद सियासत में हलचल मच गई थी। इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को हुई थी।

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37 लोगों को बनाया था आरोपी

इस मामले में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल थे। हालांकि 2014 में ही 16 लोगों को बरी कर दिया गया था। बरी किए गए लोगों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं। ये मामला पहले गुजरात में चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे।

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यह है पूरा मामला

गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 2005 में हुआ था। साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मामले की जांच गुजरात में चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गुजरात में इस केस को प्रभावित किया जा रहा है, इसलिए 2012 में इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था। इसी मामले में सीबीआई कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए 22 आरोपियों को भी बरी कर दिया।

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Dharmendra kumar

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