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14 August 1947 History: बंटवारे ने दिया बेइंतहा दर्द, जिन्ना की जिद ने दिखाया रंग, बापू चाह कर भी नहीं रोक सके विभाजन

Vibhajan Vibhishika Smriti Diwas: देश के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख काफी दर्द पहुंचाने वाली है क्योंकि 1947 में आज ही के दिन देश का बंटवारा हुआ था और पाकिस्तान नए देश के रूप में दुनिया के सामने आया था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 14 Aug 2022 10:02 AM IST
Independence day
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू (फ़ोटो न्यूज नेटवर्क)

Vibhajan Vibhishika Smriti Diwas: देश के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख काफी दर्द पहुंचाने वाली है क्योंकि 1947 में आज ही के दिन देश का बंटवारा हुआ था और पाकिस्तान नए देश के रूप में दुनिया के सामने आया था। विभाजन के दौरान भारी कत्लेआम हुआ जिसमें लाखों लोगों की जान गई। बंटवारे के बाद दोनों देशों के पीछे तनाव कभी कम नहीं हो सका और आजादी के 75 साल बाद भी पड़ोसी मुल्क होने के बावजूद पाकिस्तान भारत के साथ हर मुद्दे पर टकराव पैदा करता रहता है।

सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी टिप्पणियां पढ़ने को मिलती हैं कि महात्मा गांधी इस बंटवारे के पक्षधर थे जबकि इन टिप्पणियों में तनिक भी सच्चाई नहीं है। सच्चाई तो यह है कि देश का बंटवारा मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की जिद पर हुआ था और महात्मा गांधी इस बंटवारे के पूरी तरह खिलाफ थे। जिला की जिद के कारण 1947 में कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए कि बंटवारे के सिवा कोई विकल्प ही नहीं रह गया।

भावनाओं और रिश्तों का बंटवारा

14 अगस्त की तारीख को यदि देश के इतिहास का सबसे मुश्किल दिन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उस दिन देश के भूगोल, समाज और संस्कृति सबकुछ का ब॔टवारा हो गया। भारत और पाकिस्तान के जिन लोगों ने बंटवारे का दर्द सहा है,वे आज भी उन दर्दनाक दिनों को नहीं भूल पाए हैं। इस फैसले की वजह से दोनों देशों में लाखों लोग मारे गए और लाखों लोगों को अपना घर बार छोड़कर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ा। लाखों लोग अपनी संपत्तियों से बेदखल होकर रातों रात सड़क पर आ गए। भारत और पाकिस्तान का विभाजन बीसवीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में एक था।

इस बंटवारे ने दोनों देशों के लोगों को बेइंतहा दर्द दिया और इसके जरिए दोनों देशों के लोगों के दिल, उम्मीदें, भावनाएं और रिश्ते सबकुछ बांट दिए गए। इस बंटवारे के दौरान सबसे ज्यादा दर्द महिलाओं ने झेला। दोनों देशों में भड़के दंगों की वजह से हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार और बदसलूकी की घटनाएं हुईं। महिलाओं के दुधमुंहे बच्चों तक को नहीं छोड़ा गया। बाद के दिनों में कई महिलाओं ने अपने साथ हुई दिल दहलाने वाली घटनाओं का खुलासा भी किया था।

महात्मा गांधी और नेहरू ने किया विरोध

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के विभाजन के पूरी तरह खिलाफ से मगर मोहम्मद अली जिन्ना की जिद ने अंग्रेजों को देश से जाते-जाते देश के बंटवारे का बड़ा मौका मुहैया कराया। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा अफरा तफरी के माहौल में हुआ था और इसे अंतिम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने अंजाम दिया। लॉर्ड माउंटबेटन को ब्रिटिश सैनिकों को भारत से निकालने की जल्दबाजी थी और इसी कारण कुछ भी व्यवस्थित ढंग से नहीं हुआ।

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लकीर रेडक्लिफ ने खींची थी जिन्हें यहां के इतिहास और भूगोल बारे में तनिक भी जानकारी नहीं थी। वे बंटवारे के कुछ समय पहले ही भारत आए थे और उन्होंने भावनाओं और सांस्कृतिक आधार को देखे बिना ही दो मुल्कों की लकीर खींच दी। इस बंटवारे में दोनों मुल्कों के बीच कभी न खत्म होने वाले नफरत के बीज बो दिए जिसका असर आज भी महसूस किया जा रहा है।

1930 में उठी थी पहली बार मांग

मुस्लिमों के लिए अलग मुल्क बनाने की मांग सबसे पहले मोहम्मद इकबाल ने 1930 में की थी। इकबाल वही शख्स हैं जिन्होंने चर्चित गीत सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा लिखा था। बाद में इकबाल और अन्य मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई में अपनी इस मांग को और धारदार बनाया। 1933 में हुए गोलमेज सम्मेलन के दौरान रहमत अली ने भी मुस्लिमों के लिए अलग देश बनाने की मांग की थी।

इसके बाद कट्टरपंथी भी हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग पर जोर देने लगे। महात्मा गांधी और कांग्रेस ने देश के विभाजन की इस मांग का विरोध किया था और इससे जुड़े प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके बाद देश में कई स्थानों पर हिंदू मुस्लिम दंगे भी हुए। 1946 में हुए चुनाव में कांग्रेस को 923 और मुस्लिम लीग को 425 सीटें हासिल हुई थीं। मुस्लिम लीग को नतीजों में मिली इस सफलता के बाद अलग मुल्कों की मांग और तेज हो गई।

जिन्ना की जिद से मिला बंटवारे का मौका

जानकारों का कहना है कि जिन्ना को इस बात का डर सता रहा था कि अगर वे देश के पीएम बनने में कामयाब भी हो गए तो उन्हें बाद में हिंदुओं का मत हासिल नहीं होगा। बाद में देश की सत्ता पर हिंदू फिर काबिज हो जाएंगे। ऐसे में जिन्ना को लगा कि अलग देश की मांग करना ही उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा। जिन्ना महात्मा गांधी को देश का नहीं बल्कि हिंदुओं का नेता माना करते थे। इसी कारण जिन्ना अलग देश की मांग पर अड़े रहे और लॉर्ड माउंटबेटन ने कांग्रेस के नेताओं को देश के दो टुकड़े करने के लिए राजी कर लिया।

महात्मा गांधी को इस फैसले के बारे में बाद में जानकारी मिली थी। बापू को इस बंटवारे ने इतना दर्द पहुंचाया था कि वे आजादी के बाद जश्न से जुड़े हुए किसी कार्यक्रम में शामिल तक नहीं हुए थे। उन्होंने जिन्ना के साथ कई दौर की बैठक की थी मगर वे जिन्ना को समझाने में कभी कामयाब नहीं हो सके। सांप्रदायिकता का शोरगुल इतना तेज था कि बापू की विवेक और शांति की आवाज उसमें कहीं गुम हो गई।

कभी सहज नहीं हो सके पाक के साथ रिश्ते

विभाजन के बाद कभी भी भारत और पाकिस्तान के रिश्ते मधुर नहीं हो सके और आज भी पाकिस्तान भारत में अशांति पैदा करने का कोई मौका नहीं चूकता। कश्मीर को लेकर पैदा हुआ विवाद आज तक नहीं सुलझ सका। भारत जम्मू-कश्मीर को देश का अविभाज्य अंग मांगता है जबकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार कश्मीर को लेकर दावेदारी करता रहा है।

भारत की ताकत के सामने असहाय पाकिस्तान घाटी में आतंकवाद की घटनाओं को बढ़ाने की साजिश लंबे समय से करता रहा है। घाटी में आज भी आतंकवाद की जितनी घटनाएं हो रही हैं, उनके पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के पुख्ता सबूत हैं। भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने आज तक कश्मीर में पाकिस्तान का सपना सच नहीं होने दिया है। इन जांबाज सैनिकों के दम पर ही भारत आतंकवाद पर काबू पाने की कोशिश में लगातार जुटा हुआ है।



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Prashant Dixit

Prashant Dixit

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