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Vice President Election: जानिए मार्गरेट अल्वा के बारे में जिन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर ही टिकट बेचने का लगाया था आरोप

Margaret Alva: रविवार को 17 विपक्षी दलों की तरफ से एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा विपक्ष का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया।

Krishna Chaudhary
Published on: 19 July 2022 2:12 PM IST
vice president Election 2022
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उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा (photo: social media )

Margaret Alva: राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति के चुनाव (Vice President Election) में भी विपक्ष सरकार को खुला मैदान देने के मूड में नहीं है। नंबर गेम में भले ही सत्तारूढ़ एनडीए विपक्ष से कहीं आगे है लेकिन फिर भी विपक्ष ने उसके सामने एक दिग्गज सियासी चेहरे को कैंडिडेट के तौर पर उतारा है। रविवार को 17 विपक्षी दलों की तरफ से एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) विपक्ष का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया। अल्वा और एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ Jagdeep Dhankhar) के बीच 6 अगस्त को मुकाबला तय है।

कौन हैं मार्गरेट अल्वा (Who is Margaret Alva)

मार्गरेट अल्वा भारतीय राजनीति का एक दिग्गज नाम है। वो बीते कई दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी वरिष्ठता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 1974 में पहली बार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने राज्यसभा भेजा था। 80 वर्षीय अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मैंगलूर में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और माता का नाम एलिजाबेथ नजारेथ था। अल्वा ने अपनी उच्च शिक्षा बेंगलुरू के माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज से की। उनकी शादी 24 मई 1964 को निरंजन अल्वा से हुई । उनके एक बेटी और तीन बेटे हैं। बता दें कि मार्गरेट के पति निरंजन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहले कपल सांसद जोकिमा अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं।

सियासी सफर – 1974 में पहली बार सांसद बनीं (Margaret Alva Political Career)

मार्गरेट अल्वा साल 1974 में पहली बार संसद पहुंचीं। साल 1974 से लेकर साल 1999 तक लगातर चार टर्म वह कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रहीं। 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कर्नाटक की उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से पहला आम चुनाव जीता। अल्वा 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से दोबारा चुनाव नहीं जीत पाईं। अपने 30 सालों के संसदीय करियर में वह 10 संसदीय समितियों में शामिल रहीं। एक सांसद के तौर पर महिला – कल्याण से जुड़े कई कानून को पास करवाने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस सरकार में महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों को तैयार कराने और उन्हें पास कराने में अल्वा का अहम योगदान रहा है।

कांग्रेस की दो सरकारों में किया काम

1984 की राजीव गांधी सरकार में मार्गरेट अल्वा संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनीं। इसके बाद उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले व खेल, महिला एवं बाल विकास का प्रभारी मंत्री भी बनाया गया। जबकि 1991 में राव की सरकार में पब्लिक और पेंशन विभाग की मंत्री बनाई गईं।

चार राज्यों की रह चुकी हैं राज्यपाल ( Governor Margaret Alva)

वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मार्गरेट अल्वा यूपीए सरकार के दौरान चार राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं। साल 2009 में पहली बार उन्हें उत्तराखंड का राज्यापाल बनाया गया था। अल्वा उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। इसके बाद साल 2012 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया, 2014 तक वह इस पद रहीं। इसी दौरान उन्हें गुजरात और गोवा का भी प्रभार मिला था।

कांग्रेस नेतृत्व पर टिकट बेचने का लगाया था आरोप (Margaret Alva controversy)

गांधी परिवार से नजदीकी के कारण कांग्रेस में अहम स्थान रखने वालीं मार्गरेट अल्वा ने साल 2008 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगा दिया था। उन्होंने कांग्रस हाईकमान पर टिकट बेचने का आरोप लगा दिया, जिस पर बवाल खड़ा हो गया। अल्वा उस दौरान कांग्रेस महासचिव थीं और उनके पास महाराष्ट्र, मिजोरम और पंजाब-हरियाणा का प्रभार था। इस आरोप के बाद फौरन उन्हें महासचिव के पद से हटा दिया गया था।

लेकिन अगले ही साल 2009 में गांधी परिवार से उनके नजदीकी संबंध काम आए और वह उत्तराखंड की राज्यपाल बनाई गईं। राजनीति जानकार बताते हैं कि अल्वा को तो एकबार कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाने की भी चर्चा हुई थी, लेकिन किन्हीं वजहों से ऐसा नहीं हो पाया। साल 2014 में कांग्रेस के सत्ता से जाने के बाद अन्य कई नेताओं की तरह मार्गरेट अल्वा भी पार्टी में अलग – थलग पड़ गई थीं। 2016 में सोनिया गांधी को लिखे एक खत में उन्होंने इसका जिक्र भी किया था। अल्वा ने पत्र में कहा था, आपके प्रति कोई नाराजगी नहीं है, आपके आसपास के लोग आप तक बात नहीं पहुंचने देते हैं।

शाहबानो केस को लेकर किया था बड़ा खुलासा

राजीव गांधी कैबिनट में शामिल रहीं मार्गरेट अल्वा ने साल 2016 में अपने बायोग्राफी करेज एंड कमिटमेंट में बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने लिखा, राजीव गांधी जब शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने जा रहे थे, तब मैंने उन्हें मौलवियों के आगे नहीं झुकने की सलाह दी थी मगर उन्होंने मेरा सुझाव मानने से इनकार कर दिया था। बता दें कि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी इसी मसले को लेकर पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार और कांग्रेस पार्टी से अलग हुए थे।

धर्मांतरण बिल का किया था तीखा विरोध

बीते साल कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी विधेयक की अल्वा ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि ईसाई ताकतों ने 200 साल तक भारत पर शासन किया, फिर देश की आबादी में ईसाईयों की संख्या मुश्किल से 3 प्रतिशत है। यदि हमने धर्मांतरण किया होता तो हमें कम से कम 30 प्रतिशत होना चाहिए था। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक दावा कर दिया था कि उन्हें अक्सर मिशनरी स्कूलों और कॉलेजों में सीटों के लिए कुछ बीजेपी एमपी और एमएलए के फोन आते रहते हैं। यदि हम उनका धर्मांतरण करते हैं तो वे अपने बच्चों को ईसाई स्कूलों में पढ़ने के लिए क्यों भेजते हैं ?

बता दें कि 6 अगस्त को देश में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा। नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे। मौजूदा उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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