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Vice President Election 2022: धनखड़ को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने ममता को लगाई मिर्ची, हमेशा रहा तनातनी का रिश्ता

Vice President Election 2022: पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा का यह कदम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को मिर्ची लगाने जैसा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 16 July 2022 9:27 PM IST
By making Dhankhar the candidate for the post of Vice President, BJP gave a blow to Mamta Banerjee.
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धनखड़ को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने ममता को लगाई मिर्ची: photo - social media

Vice President Election 2022: उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए भाजपा (BJP) ने आखिरकार अपने पत्ते खोल दिए हैं। पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक (BJP Board Meeting) में आज धनखड़ के नाम पर मुहर लगी। भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने से पहले धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शुक्रवार से ही सियासी हलकों में गतिविधियां काफी तेज थीं और पीएम मोदी से धनखड़ की मुलाकात के बाद उनके नाम पर आखिरी फैसला लिया गया।

भाजपा का यह कदम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (Mamata Banerjee) को मिर्ची लगाने जैसा है। पश्चिम बंगाल का गवर्नर बनाए जाने के बाद से ही जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच छत्तीस का रिश्ता रहा है और ममता के फैसलों पर धनखड़ हमेशा सवाल उठाते रहे हैं। ममता के फैसलों को लेकर वे हमलावर रुख अपनाते रहे हैं। पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर भी उन्होंने ममता और टीएमसी के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की थीं। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा का यह कदम ममता के जले पर नमक छिड़कने जैसा है।

दार्जिलिंग से सीधे दिल्ली पहुंचे थे धनखड़

पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) शुक्रवार को दार्जिलिंग दौरे से सीधे नई दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। उनकी इस मुलाकात को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा था। उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने से पहले भाजपा के दो शीर्ष नेताओं से हुई इस मुलाकात के बाद तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।

पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़: Photo - Social Media

आखिरकार भाजपा ने आज संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए धनखड़ के नाम का ऐलान कर दिया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने धनखड़ को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा की। उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 19 जुलाई है जबकि वोटिंग के लिए 6 अगस्त की तारीख तय की गई है। यदि विपक्ष की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया तो मतदान की जरूरत नहीं होगी। वैसे इस बात की संभावना काफी कम नजर आ रही है। जानकारों के मुताबिक टीएमसी को धनखड़ उपराष्ट्रपति के रूप में कतई स्वीकार नहीं होंगे।

ममता ने की थी हाल में मुलाकात

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हमेशा तनातनी का रिश्ता रहा है। हालांकि ममता ने हाल में धनखड़ से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद थे। मुलाकात के बाद ममता ने किसी भी प्रकार की सियासी चर्चा होने से इनकार किया था।

ममता की झंकार से इस मुलाकात को लेकर सियासी हलकों में हैरानी भी जताई गई थी। मजे की बात यह है की धनखड़ से मुलाकात से हमेशा परहेज करने वाली ममता बनर्जी काफी देर तक धनखड़ और असम के मुख्यमंत्री के साथ हंसी मजाक करती रहीं।

ममता सरकार से सबसे ताजा विवाद

वैसे धनखड़ और ममता सरकार के बीच विवादों की लंबी फेहरिस्त है। राज्यपाल धनखड़ और ममता सरकार के बीच अभी पिछले महीने सबसे बड़ा विवाद वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट बिल 2022 को लेकर हुआ था। ममता सरकार ने गत 13 जून को यह दिल पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित कराया था। इस बिल के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर का पद छीन लिया।

इस बिल के लागू होने के बाद अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर होंगी। पश्चिम बंगाल भाजपा ने इस बिल का तीखा विरोध किया था जबकि राज्यपाल धनखड़ ने भी ममता सरकार के इस कदम पर तीखी आपत्ति जताई थी। राज्य की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने ममता सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम पर तीखा विरोध जताया था। उन्होंने कहा कि ममता सरकार का यह कदम विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए बड़ा झटका साबित होगा।

हिंसा की घटनाओं पर हुआ था लेटर वार

पश्चिम बंगाल में पिछले साल विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। ममता के सत्तारूढ़ होने के बाद पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में व्यापक स्तर पर हिंसा की घटनाएं हुई थीं जिनमें कई लोग मारे गए थे। भाजपा का आरोप था कि टीएमसी कार्यकर्ताओं और बंगाल पुलिस की मिलीभगत से इन घटनाओं को अंजाम दिया गया। कई इलाकों से लोगों को निकालकर राहत शिविरों में भी पहुंचाया गया था। हिंसा की इन घटनाओं के बाद राज्यपाल और ममता सरकार के बीच लेटर वार शुरू हो गया था।

राज्यपाल धनखड़ ने हिंसा की इन घटनाओं पर तीखी आपत्ति जताई थी। ममता सरकार के अनुरोध को दरकिनार करते हुए जगदीप धनखड़ ने हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने के साथ ही राहत शिविरों का भी दौरा किया था। उन्होंने हिंसा से प्रभावित लोगों से बातचीत करके उनका दुख दर्द समझने की कोशिश की थी। राज्यपाल धनखड़ के इस दौरे से ममता सरकार और राजभवन के बीच जबर्दस्त तनातनी हुई थी।

जब धनखड़ को ममता ने किया ब्लॉक

इस साल जनवरी महीने के दौरान भी धनखड़ और ममता के बीच में भारी तनातनी देखने को मिली थी। धनखड़ के लगातार ट्वीट के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था। ममता बनर्जी का कहना था कि धनखड़ ने कई बार राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को धमकाया है। वे राज्य सरकार के कामकाज को लेकर बेवजह टिप्पणियां करते रहते हैं। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल धनखड़ को ब्लॉक करने की जानकारी दी थी। शायद यह पहला मौका था जब किसी मुख्यमंत्री ने गवर्नर को सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया हो।

ममता ने धनखड़ के खिलाफ कई पत्र लिखे

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धनखड़ को पश्चिम बंगाल के गवर्नर पद से हटाने के लिए कई बार पत्र लिख चुकी हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान ममता ने खुद खुलासा किया था कि पीएम मोदी से कई बार अनुरोध किए जाने के बावजूद धनखड़ को गवर्नर पद से नहीं हटाया जा रहा है। टीएमसी के सांसदों ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके धनखड़ को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग की थी।

संसद के पिछले बजट सत्र के दौरान जब राष्ट्रपति अभिभाषण करने के लिए संसद भवन पहुंचे तो टीएमसी सांसदों ने उनसे मुलाकात की थी। टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय का कहना था कि हमने राष्ट्रपति से धनखड़ को तत्काल पद से हटाने की मांग की है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी: Photo - Social Media

अब राज्यसभा में दिखेगा गजब का नजारा

पश्चिम बंगाल के गवर्नर के रूप में धनखड़ का पूरा कार्यकाल ममता सरकार से तनातनी भरा रहा है। वे राज्य सरकार के कामकाज को लेकर हमेशा गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी देते रहे। ऐसे में भाजपा की ओर से धनखड़ को उम्मीदवार बनाया जाना ममता सरकार के जले पर नमक छिड़कने जैसा माना जा रहा है।

सियासी जानकारों का मानना है कि धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया जाना टीएमसी को कतई मंजूर नहीं होगा मगर संसद के दोनों सदनों में एनडीए की ताकत को देखते हुए धनखड़ का उपराष्ट्रपति चुनाव जाना तय है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। राज्यसभा में अब धनखड़ जहां टीएमसी सांसदों की अनुशासनहीनता पर नकेल कसने की कोशिश करेंगे तो दूसरी ओर टीएमसी सांसदों की ओर से जमकर हंगामे की बात तय मानी जा रही है।



Shashi kant gautam

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