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Vice President Election: कैसे होता है उप राष्ट्रपति का चुनाव, कौन-कौन देता है वोट, जानें सब कुछ
Vice President Election: देश में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर बढ़ी सियासी सरगर्मी के बीच उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है।
New Delhi: देश में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर बढ़ी सियासी सरगर्मी के बीच उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election 2022) की तारीख का ऐलान हो गया है। अधिसूचना के मुताबिक, 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। अधिसूचना के जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया 19 जुलाई तक चलने वाली है। बता दें कि वर्तमान उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
जैसा की हम सब जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव (presidential election process) में संसद के दोनों सदनों के सदस्य और विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं। निर्वाचित सांसदों और विधायकों का वोट ही तय करता है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कौन बैठेगा। लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव (Vice President election process) में ऐसा नहीं होता है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में विधानसभा के सदस्यों की कोई भूमिका नहीं होती है। तो आइए उपराष्ट्रपति के चुनाव में बारे में जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें –
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया (Vice President election process)
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। खास बात यह है कि इसमें दोनों सदस्यों के मनोनीत सदस्य भी वोटिंग कर सकते हैं। इस प्रकार उपराष्ट्रपति के चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक सदस्य हिस्सा लेंगे। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो जाने के 60 दिन के भीतर चुनाव कराना जरूरी होता है। इसके लिए चुनाव आयोग (election Commission) एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है, जो किसी संसद के किसी सदन का सचिव होता है।
निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक नोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन मंगवाता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम 20 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। साथ ही उम्मीदवार द्वारा 15 सौ रूपया बतौर जमानत राशि जमा कराना आवश्यक होता है। प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है।
क्या होती है वोटिंग में आनुपातिक पद्धति (proportional method of voting)
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव इलेक्शन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (proportional representation) से किया जाता है। इसमें मतदान खास तरीके से होती है जिसे सिंगल ट्रांसफेरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। इसमें वोटर को वोट तो एक ही देना होता है लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर अपनी प्राथमिकता तय करनी होती है। वह बैलेट पेपर पर मौजूद प्रत्याशियों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देता है।
वोटों की गिनती कैसे होती है ?
पहले यह देखा जाता है कि सभी प्रत्याशियों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं। फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है। कुल संख्या को 2 से डिवाइड किया जाता है और भागफल में 1 को जोड़ दिया जाता है। अब जो संख्या प्राप्त होती है उसे वह कोटो माना जाता है जो किसी प्रत्याशी को मतगणना में टिके रहने के लिए आवश्यक है।
यदि पहली गिनती में ही कोई उम्मीदवार जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या इससे अधिक वोट प्राप्त कर लेते है, तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है। यदि ऐसा न हो पाए तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। सबसे पहले उस उम्मीदवार को चुनाव की रेस से बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले हों।
मगर उसे पहली प्राथमिकता में देने वाले वोटों में यह देखा जाता है कि दूसरा प्रिफरेंस किसे दिया गया। फिर दूसरे प्रिफरेंस वाले ये वोट अन्य उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। इस वोटों के मिल जाने से अगर किसी प्रत्याशी का मत कोटे वाली संख्या के बराबर या अधिक हो जाए तो उस प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है।
भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम उम्र 35 वर्ष
इसके बाद यदि दूसरे राउंड में भी कोई प्रत्याशी न चुना जाए तो प्रक्रिया जारी रहती है। सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। उसे पहली प्राथमिकता देने वाले बैलेट पेपर्स और उसे दूसरी काउंटिंग के दौरान मिले बैलेट पेपर्स की फिर से जांच की जाती है और देखा जाता है कि उनमें अगली प्राथमिकता किसे दी गई है। फिर उस प्राथमिकता को संबंधित उम्मीदवारों को ट्रांसफ़र किया जाता है। यह प्रक्रिया जारी रहती है और सबसे कम वोट पाने वाले प्रत्याशियों को तब तक बाहर किया जाता रहेगा, जब तक किसी एक प्रत्याशी को मिलने वाले वोटों की संख्या कोटे के बराबर न हो जाए।
बता दें कि भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम उम्र 35 वर्ष है। इसके अलावा उसका भारत का नागरिक होना जरूरी है। साथ ही उसे उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए। यदि कोई भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उप राष्ट्रपति चुने जाने के योग्य नहीं होगा। देश में पहली बार उप राष्ट्रपति पद का चुनाव 1952 में हुआ था। सर्वपल्ली राधाकृष्ण देश के पहले उप राष्ट्रपति चुने गए थे, वो लगातार दो बार इसपद पर रहे। राष्ट्रपति की तरह उप राष्ट्रपति का कार्यकाल भी पांच साल का होता है। उप राष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है।