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Jagdeep Dhankhar : 'किसानों से वार्ता क्यों नहीं की जा रही है?', उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री को दे डाली नसीहत
Jagdeep Dhankhar : देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को नसीहत दे डाली है।
Jagdeep Dhankhar : देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को नसीहत दे डाली है। उन्होंने कहा कि जब भारत देश बुलंदियों को छू रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, यदि संस्थाएं जीवंत होती, योगदान करती, यह हालात कभी नहीं आते। यह आप और हमारे सामने प्रश्न हैं। उन्होंने कहा कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में ऐसे संस्थानों का नेटवर्क, जो देश के हर कोने में फैला हुआ है, कृषि विज्ञान की हर गतिविधि को कवर करता है, किसान तक बात पहुंच रही है क्या? मुझे आशा की किरण नज़र आ रही है। एक अनुभवी व्यक्ति आज के दिन भारत का कृषि मंत्री है। वियोग इससे अधिक नहीं हो सकता है।
उन्होंने आगे लिखा, किसान यदि आज के दिन आंदोलित हैं, उस आंदोलन का आकलन सीमित रूप से करना बहुत बड़ी गलतफहमी और भूल होगी। जो किसान सड़क पर नहीं है, वह भी आज के दिन चिंतित हैं, आज के दिन परेशान है। भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा मिलना है तो हर व्यक्ति की आय को आठ गुना करना है। उस आठ गुना करने में सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है! उन्होंने कहा कि विकसित भारत का रास्ता किसान के दिल से निकलता है, यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैंने 2 दिन पहले चिंता व्यक्त की थी कि किसान आंदोलित हैं। मैंने किसान भाइयों से आह्वान किया था की हमें निपटारे की ओर बढ़ना चाहिए। हम अपनों से नहीं लड़ सकते। हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका पड़ाव सीमित रहेगा, अपने आप थक जाएंगे। अरे भारत की आत्मा को परेशान थोड़ी ना करना है, दिल को चोटिल थोड़ी ना करना है। उन्होंने कहा कि मैंने जब आह्वान किया तो मुझे अच्छा लगा कि एक प्रतिक्रिया आई है। उनका संदेश क्या है मेरे लिए? उनका संदेश है कि किसान के साथ जो वादा किया वो पूरा क्यों नहीं हुआ? जब कोई भी सरकार वादा करती है और वह वादा किसान से जुड़ा हुआ है तब हमें कभी कोई कसर नहीं रखनी चाहिए। किसान हमारे लिए आदरणीय है, प्रातः स्मरणीय हैं, सदैव वंदनीय है। मैं खुद कृषक पुत्र हूं, मैं जानता हूं किसान क्या कुछ नहीं झेलता है।
किसानों से अविलंब वार्ता होनी चाहिए
उन्होंने आगे कहा कि किसान से वार्ता अविलंब होनी चाहिए और हमें जानकारी होनी चाहिए, क्या किसान से कोई वादा किया गया था? प्रधानमंत्री जी का दुनिया को संदेश है, जटिल समस्याओं का निराकरण वार्ता से होता है। कृषि मंत्री जी, आपसे पहले जो कृषि मंत्री जी थे, क्या उन्होंने लिखित में कोई वादा किया था? यदि अगर वादा किया था तो उसका क्या हुआ? उन्होंने कहा कि हमारा मन सकारात्मक होना चाहिए, रुकावट पैदा करने वाला नहीं होना चाहिए कि किसान को यह कीमत दे देंगे तो इसके दुष्परिणाम होंगे। किसान को जो भी कीमत देंगे, उसका पांच गुना देश को मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है!
उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा है : किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है? मैं यह समझ पाने में असफल हूं कि हम अर्थशास्त्रियों, थिंक टैंकों के साथ परामर्श करके ऐसा फार्मूला क्यों नहीं बना सकते, जो हमारे किसानों को लाभ पहुंचाए। अरे, हम तो reward के बजाय जो due है, उसको नहीं दे रहे। जो promise किया गया है, हम उसको देने में भी कंजूसी कर रहे हैं।
क्या किसानों से वादा किया गया था?
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह आकलन बहुत संकीर्ण है कि किसान आंदोलन का मतलब सिर्फ उतना हैं, जो लोग सड़क पर है। ऐसा नहीं है। इस देश के अंदर लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा- "जय जवान, जय किसान"। उस "जय किसान" के साथ हमारा रवैया वैसा ही होना चाहिए, जो लाल बहादुर शास्त्री की कल्पना थी। और उसके अंदर क्या जोड़ा गया? माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा- "जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान।" और वर्तमान प्रधानमंत्री ने दूरदर्शिता दिखाते हुए इसको पराकाष्ठा पर ले गए- "जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान, जय विज्ञान।"
उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।
उन्होंने कहा कि मान कर चलिए आप रास्ता भटक गए हैं। हम उस रास्ते पर गए हैं, जो खतरनाक है। मुझे बड़ा अच्छा लगा जब माननीय जगजीत सिंह ने सार्वजनिक रूप से पहले तो संज्ञान लिया कि मैंने क्या कहा और फ़िर उन्होंने कहा। पहला, किसान को एमएसपी गारंटी कानून चाहिए। खुले मन से देखो खुले मन से सोचो, आंकलन करो। देने के क्या फायदे हैं, नहीं देने का क्या नुकसान हैं। आप तुरंत पाओगे इसमें नुकसान ही नुकसान है। दूसरा, कृषि मंत्री ने लिखित में जो वादा किया उसका क्या हुआ?