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V-President Jagdeep Dhankhar: धनखड़ की जीत से सियासी समीकरण साधने में ऐसे मिलेगी मदद, भाजपा को कई राज्यों में फायदा
V-President Jagdeep Dhankhar: दिल्ली में भी जाट मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और वहां भी भाजपा को लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है।
V- President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को मिली शानदार जीत भाजपा की सियासी रणनीति के लिए काफी फायदेमंद मानी जा रही है। आने वाले दिनों में पार्टी को कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ 2024 में लोकसभा की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। धनखड़ का ताल्लुक जाट बिरादरी से है और उनकी की जीत जाट बिरादरी में भाजपा की पैठ मजबूत बनाने में मददगार साबित होगी। इस जीत से भाजपा को राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। दिल्ली में भी जाट मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और वहां भी भाजपा को लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है।
किसान परिवार से आने वाले धनखड़ के जरिए भाजपा ने किसानों को भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद पीएम मोदी ने उन्हें एक किसान पुत्र बताया था और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी इस पर काफी जोर दिया था। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन के मद्देनजर भाजपा ने धनखड़ के जरिए किसानों का समीकरण साधने की भी बड़ी कोशिश की है।
राजस्थान चुनाव पर भाजपा की नजरें
उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचने वाले धनखड़ राजस्थान के दूसरे नेता है। उनसे पहले राजस्थान के भैरो सिंह शेखावत भी देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। राजस्थान के झुंझुनू जिले से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ लोकसभा सांसद के साथ राजस्थान की किशनगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। राजस्थान में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए अभी से ही पूरा जोर लगा रखा है। जाट बिरादरी से आने वाले धनखड़ की जीत राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
राजस्थान में लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस के बीच हर पांच साल पर सत्ता बदलने का क्रम चलता रहा है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमों के बीच चल रही उठापटक के बीच भाजपा कांग्रेस को पटखनी देने की कोशिश में जुटी हुई है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान के चुनाव में भाजपा धनखड़ की जीत को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।
इन राज्यों में मिलेगी बड़ी मदद
राजस्थान विधानसभा की 200 में से 40 सीटों पर जाट बिरादरी प्रभावशाली भूमिका निभाती है। हरियाणा की 35 सीटों पर भी जाट मतदाता असरदार भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी जाट मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है।
दिल्ली की कुछ लोकसभा सीटों पर भी जाट मतदाताओं पर भाजपा ने नजरें गड़ा रखी हैं। भाजपा को दो साल बाद 2024 की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। ऐसे में भाजपा ने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाताओं को भी साधने की बड़ी कोशिश की है।
लोकसभा चुनाव में भी फायदेमंद
यदि लोकसभा चुनाव के नजरिए से देखा जाए तो पांच राज्यों में करीब 40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां जाट मतदाता प्रभावी भूमिका में है। धनखड़ की जीत से इन सीटों पर भाजपा को सियासी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ छेड़े गए किसान आंदोलन का जाट प्रभुत्व वाले इलाकों में काफी असर देखा था।
जाटों में इसे लेकर नाराजगी दिखी थी मगर माना जा रहा है कि भाजपा इस नाराजगी को काफी हद तक दूर करने में कामयाब हो सकती है। जाट बिरादरी से जुड़े नेता को बड़ा पद देकर भाजपा ने जाटों को खुश करने का बड़ा प्रयास किया है।
किसानों को संदेश देने की कोशिश
किसान परिवार से आने वाले धनखड़ की यह जीत किसानों को भी बड़ा संदेश देने वाली साबित हो सकती है। धनखड़ को उम्मीदवार घोषित करते के समय से ही भाजपा किसान कार्ड खेलने की कोशिश में जुटी हुई है। इसीलिए भाजपा नेताओं की ओर से बार-बार उन्हें किसान पुत्र कह कर संबोधित किया गया।
किसान आंदोलन के समय विपक्षी दलों की ओर से भाजपा पर किसान विरोधी होने का बड़ा आरोप लगाया गया था। उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को बड़ा सियासी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी मगर भाजपा लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही। धनखड़ की जीत के साथ ही पार्टी ने किसानों के साथ खड़ा होने का संदेश देने का प्रयास किया गया है।
अकाली दल ने दिया भाजपा का साथ
कृषि कानूनों के खिलाफ ही शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से बाहर जाने का फैसला किया था मगर उपराष्ट्रपति चुनाव में अकाली दल ने धनखड़ का समर्थन किया है। ऐसे में राजनीतिक समीकरण साधने में भी धनखड़ की जीत भाजपा के लिए फायदे का सौदा साबित होगी। वकालत में काफी नाम कमाने वाले धनखड़ नियम कानूनों के अच्छे जानकार हैं और वे संसदीय मामलों के राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में राज्यसभा के सभापति के रूप में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी।