TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

उपराष्ट्रपति ने कहा छात्रों को जेल की सैर कराओ, वजह जान हैरान हो जाएंगे

उपराष्ट्रपति सेल्यूलर जेल गए और उन्‍होंने अन्‍य स्‍वाधीनता सेनानियों के साथ-साथ उस एकांत कोठरी में जाकर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां स्‍वतंत्रता संग्राम के समय उन्‍हें कैद किया गया था और उनके साथ अमानवीय व्‍यवहार किया जाता था।

राम केवी
Published on: 16 Jan 2020 10:05 PM IST
उपराष्ट्रपति ने कहा छात्रों को जेल की सैर कराओ, वजह जान हैरान हो जाएंगे
X

नयी दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सभी राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि वे सेल्यूलर जेल और स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े अन्य ऐतिहासिक स्थलों में छात्रों के दौरे आयोजित करे।

उपराष्ट्रपति सेल्यूलर जेल गए और उन्‍होंने अन्‍य स्‍वाधीनता सेनानियों के साथ-साथ उस एकांत कोठरी में जाकर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां स्‍वतंत्रता संग्राम के समय उन्‍हें कैद किया गया था और उनके साथ अमानवीय व्‍यवहार किया जाता था।

श्री नायडू के साथ उनकी पत्‍नी श्रीमती उषाम्‍मा, उनके पुत्र, उनके दामाद, बेटी और नाती-पोते भी गए थे। फेसबुक पोस्‍ट में उपराष्‍ट्रपति ने वीर सावरकर की कोठरी के अपने दौरे को ‘विनम्र अनुभव’ बताया। उन्‍होंने कहा कि वीर सावरकर का जीवन युवाओं के लिए काफी प्रेरणापूर्ण है।

बर्बरता की याद होती है ताजा

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जेल उन स्‍वाधीनता सेनानियों के साथ किए गए बर्बरतापूर्ण व्‍यवहार की याद दिलाती है, जिन्‍होंने मातृभूमि के लिए अपना प्रेम छोड़ने से इनकार कर दिया था। उन्‍होंने कहा कि देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत और देश को बाहरी शासन से मुक्ति दिलाने के अपनी प्रण को लिये इन बहादुर स्‍वाधीनता सेनानियों ने कभी हार नहीं मानी।

श्री नायडू ने कहा कि सेल्यूलर जेल हमें याद दिलाती है कितनी कठिन और कीमती है हमारी आजादी। यह कहते हुए कि यह जेल आज उन लोगों के लिए तीर्थ स्‍थल है, जो देश से प्‍यार करते हैं और आजादी को महत्‍व देते हैं। उपराष्‍ट्रपति ने इसे उपनिवेशवाद की बुराई से प्रतिरोध का प्रतीक बताया।

सेल्यूलर जेल दिलाएगी याद

युवा पीढ़ी को अपने साहसी स्‍वाधीनता सेनानियों के त्‍याग की अनगिनत कहानियों की याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि सेल्यूलर जेल के दौरे से उन्‍हें देश के गौरव के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलेगी और इस महान देश की एकता और अखण्‍डता की सदैव रक्षा की जा सकेगी।

वर्ष 1906 में पूरी हुई सेल्यूलर जेल को काला पानी भी कहा जाता है। यह नाम कैदियों को रखने के लिए एकांत को‍ठरियों के आधार पर पड़ा। भूख, यातना और एकांत में रखने के इसके तीन स्‍तरीय तरीके में यहां कैदियों को अलग-थलग रखकर कठोर से कठोर सजा दी जाती थी।

मनोबल गिराने को एकांत जेल

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एकांत में रखने का उद्देश्‍य स्‍वाधीनता सेनानियों का मनोबल गिराना था। यह जेल चारो ओर से सैंकड़ों मील समुद्र से घिरी है, जहां कैदियों के भागने की बहुत कम गुंजाइश थी।

वीर सावरकर के अलावा अनेक जाने-माने लोगों को सेल्‍यूलर जेल में कैद करके रखा गया। वीर सावरकर को दो आजीवन कारावासों की सजा के साथ सेल्‍यूलर जेल भेजा गया। एकांतवास में काल कोठरी में उन्‍हें रखना यातना और उत्‍पीड़न था। उन्‍हें कोल्‍हू से बांध दिया गया था, जो सबसे कठोर श्रम था।

भाई को भाई की जानकारी नहीं

सावरकर अन्‍य कैदियों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। उनके भाई भी उसी जेल में थे, लेकिन दोनों को एक-दूसरे की उपस्थिति की जानकारी नहीं थी। जेल में बंद अन्‍य क्रांतिकारियों पर ब्रिटिश ने अलीपुर बम कांड, नासिक साजिश, लाहौर साजिश मामले और चटगांव शस्‍त्रागार विद्रोह मामले थोपे थे, उन्‍हें आजीवन कारावास दिए गए और अनेक कठिनाइयों तथा बर्बरताओं का सामना करना पड़ा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ब्रिटिश इन्‍हें साजिश के मामले कहते थे, लेकिन हमें इसके बजाय इन्‍हें स्‍वाधीनता संघर्ष के मामले कहना चाहिए।

राम केवी

राम केवी

Next Story