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विकास दुबे की हत्या : इस खास आदमी ने रची थी साजिश, लेकिन उल्टा पड़ गया दांव

आखिर क्या वजह थी कि पुलिस को विकास दुबे का एनकाउंटर करना पड़ा? आज हम आपको बताते हैं कि वो कौन था जिसने विकास दुबे की हत्या की साजिश रची थी, यानि कि कौन था कानपुर कांड का सूत्रधार ।

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Published on: 22 July 2020 5:29 PM IST
विकास दुबे की हत्या : इस खास आदमी ने रची थी साजिश, लेकिन उल्टा पड़ गया दांव
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आशुतोष त्रिपाठी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बड़े गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया, जिस तरह एसटीएफ ने विकास दुबे का एनकाउंटर किया उसके बाद से ही पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल उठे। विकास दुबे के एनकाउंटर से कई सफेदपोश नाम के ऊपर से पर्दा हट सकता था, लेकिन नहीं हट पाया। आखिर क्या वजह थी कि पुलिस को विकास दुबे का एनकाउंटर करना पड़ा? आज हम आपको बताते हैं कि वो कौन था जिसने विकास दुबे की हत्या की साजिश रची थी, यानि कि कौन था कानपुर कांड का सूत्रधार ।

जय बाजपेयी ने बनायी थी विकास को निपटाने की योजना

जय बाजपेयी विकास दुबे का बहुत खास गुर्गा था, जो विकास की सारी काली कमाई का लेखा-जोखा रखता था । दरअसल, जय बाजपेयी बहुत मामूली आदमी था और विकास दुबे से रिश्तों के बाद वह करोड़ों का मालिक बन गया था। धीरे-धीरे उनसे अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी, बड़े- बड़े नेताओं से नौकरशाहों से। यहीं से उनके दिमाग में विकास दुबे की हत्या की साजिश ने जन्म लिया, 1 जुलाई को जय बाजपेयी ने लखनऊ में कई प्रभावशाली लोगों से मुलाकात की। उन्ही प्रभावशाली व्यक्तियों ने से एक ने एसएसपी कानपुर को फ़ोन किया, और कहा कि कौन है ये विकास दुबे ? आज इसका काम तमाम हो जाना चाहिए। 2 जुलाई की रात जो हुआ वो पूरा हिन्दुस्तान जानता है।

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60 मुकदमों चुप थी यूपी पुलिस, मार-पीट के मामले में करने निकले थे एनकाउंटर

गैंगस्टर विकास दुबे के ऊपर लगभग 60 मुकदमें दर्ज थे, बावजूद इसके यूपी पुलिस ने कभी भी कोई कार्यवाई नहीं की । लेकिन 2 जुलाई को राहुल तिवारी नामक युवक ने चौबेपुर थाने में एक एफआईआर दर्ज कराते हैं कि विकास दुबे ने उनके साथ मार-पीट की है। रात 11 बजकर 52 मिनट पर एफआईआर दर्ज की जाती है और तीन थानों की पुलिस और सीओ 38 मिनट में थाना चौबेपुर पहुंच भी जाते हैं । विकास को लेकर सारी रणनीति भी बन जाती है और 12 बजकर 30 मिनट पर थाने की जीडी में सभी की रवानगी भी हो जाती है। रात 1 बजे मुठभेड़ होती है जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो जाते हैं।

बिना मेडिकल के लिखा 307 का मुक़दमा

पुलिस ने रात में जो एफआईआर संख्या 191 लिखी उनमे विकास दुबे के ऊपर धारा 307 भी लगायी, जबकि पीड़ित राहुल तिवारी के शरीर पर किसी तरह के कोई चोट के निशान नहीं थे, और नाही पुलिस ने पीड़ित का कोई मेडिकल कराया, तो सवाल ये उठता है कि पीड़ित के बिना मेडिकल कराये 307 धारा कैसे लिखी गयी।

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उल्टा पड़ गया मामला

विकास दुबे ने सिर्फ एक इलाके अपनी दहशत बना रखी थी, यहाँ तक की राजधानी लखनऊ में भी उसे कोई नहीं जनता था, तो पुलिस पर ऐसी क्या विपदा आ पड़ी कि रात में 11 बजकर 52 मिनट पर एफआईआर लिखकर रात में ही उसके एनकाउंटर के लिए निकलना पड़ा ? पुलिस में ही किसी की मुखबरी से सारा दांव उल्टा पड़ गया और 8 पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिसको मारने गए थे वही बचकर भाग निकला, ये खबर पूरे देश में आग की तरफ फैली जिसके चलते जय बाजपेयी को गिरफ्तार किया गया और उसकी रसूख के चलते छोड़ भी दिया गया। लेकिन उसे छोड़ने के बाद मीडिया में ये खबर प्रमुखता से दिखाई गयी, जिससे पुलिस की काफी थू-थू हुई। जिसपर पुलिस को जय बाजपेयी को दुबारा गिरफ्तार करना पड़ा।



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