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Mukesh Sahani: आखिर कौन हैं मुकेश सहनी, बॉलीवुड से आकर बिहार की सियासत में छाए, सियासी दांव-पेंच के माहिर खिलाड़ी

Mukesh Sahani: बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नाम से अपना अलग दल बना रखा है और वे इस पार्टी के मुखिया हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 16 July 2024 10:52 AM IST
Vikassheel insaan party chief Mukesh Sahani
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Vikassheel insaan party chief Mukesh Sahani  (photo: social media )

Mukesh Sahani: बिहार की सियासत में पिछले करीब एक दशक से सक्रिय मुकेश सहनी अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। खुद को सन ऑफ मल्लाह बताने वाले सहनी बिहार में निषाद बिरादरी से जुड़े लोगों को आरक्षण दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नाम से अपना अलग दल बना रखा है और वे इस पार्टी के मुखिया हैं। बिहार के दरभंगा जिले में पिता जीतन सहनी की हत्या के बाद मुकेश सहनी एक बार फिर चर्चाओं में है।

उन्हें सियासी मोल-भाव करने वाला नेता माना जाता रहा है और इसी कारण वे कभी एनडीए के साथ दिखते हैं तो कभी विपक्षी महागठबंधन के साथ। मौजूदा समय में वे विपक्षी महागठबंधन में शामिल हैं और पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ बिहार का व्यापक दौरा किया था। हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजे में तेजस्वी और मुकेश दोनों को करारा झटका लगा है। बिहार की सियासत में सक्रिय होने से पहले मुकेश सहनी बॉलीवुड की दुनिया से जुड़े रहे हैं। वे बॉलीवुड के दो बड़े अभिनेताओं शाहरुख खान और सलमान खान की बहुचर्चित फिल्मों देवदास और बजरंगी भाईजान का सेट डिजाइन कर चुके हैं।

नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं सहनी

बिहार की सियासत में पिछले कई वर्षों से सक्रिय होने के बावजूद सहनी कोई ज्यादा बड़ी सियासी कामयाबी नहीं हासिल कर सके हैं। उन्हें एक बार नीतीश सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बनने का मौका जरूर मिला है। बिहार में वे उन्हें सियासी जोड़-तोड़ वाला नेता माना जाता रहा है और वे अपने फायदे के हिसाब से गठबंधन करते रहे हैं।

एनडीए और महागठबंधन दोनों में उनका आना-जाना लगा रहता है। जिस गठबंधन में उन्हें ज्यादा सीट मिलने की गुंजाइश दिखती है, उस गठबंधन में शामिल होने से उन्हें कोई परहेज नहीं है।


2018 में बनाई थी अपनी पार्टी

सहनी ने 4 नवंबर 2018 को विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का गठन किया और राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए तेजस्वी यादव से बातचीत शुरू की। तेजस्वी की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद वे महागठबंधन में शामिल हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में वीआईपी प्रत्याशियों ने लोकसभा की तीन सीटों पर किस्मत आजमाई।

वीआईपी को मुजफ्फरपुर, मधुबनी और खगड़िया लोकसभा सीटें मिली थीं मगर तीनों ही सीटों पर वीआईपी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। मुकेश सहनी खुद भी खगड़िया से चुनाव हार गए।


2015 में किया था भाजपा का प्रचार

वैसे बिहार की सियासत में सहनी 2013 में ही कूद पड़े थे मगर उन्हें 2015 से सियासी हलकों में पहचान मिलना शुरू हुई। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने गठबंधन कर लिया था। उस समय सहनी ने कोई पार्टी नहीं बनाई थी मगर उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया।

2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान वे कई चुनावी मंचों पर भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के साथ दिखे थे। उन्होंने शाह के साथ कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया मगर वे निषादों के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो सके और भाजपा को पराजय झेलनी पड़ी।


एनडीए से हाथ मिलाकर बने ताकतवर

बिहार विधानसभा के 2020 में हुए चुनाव में उन्होंने राजद से 25 सीटों की मांग की थी मगर राजद नेता तेजस्वी यादव उन्हें 10-11 सीटें देने को भी तैयार थे। इससे नाराज साहनी ने महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही हंगामा कर दिया और उनके समर्थक नारेबाजी करने लगे। उन्होंने खुद के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। बाद में उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का भी ऐलान कर दिया।

उन्होंने अपने सूत्रों के जरिए एनडीए से हाथ मिलाने की संभावनाएं तलाशीं और इस काम में उन्हें कामयाबी भी मिली। एनडीए की ओर से उन्हें 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया गया जिसमें वीआईपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान भी सहनी को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बावजूद एनडीए की ओर से उन्हें मंत्री बनाया गया और बाद में वादे के मुताबिक उन्हें विधानपरिषद की सदस्यता भी हासिल हो गई।


इस बार तीनों सीटों पर मिली हार

लोकसभा चुनाव 2024 में राजद ने मुकेश सहनी को भी साथ लिया था और वीआइपी पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी में वीआईपी के उम्मीदवार महागठबंधन की तरफ से उतारे गए थे तीनों सीटों पर वीआईपी को बड़े अंतर से हार मिली।

चुनाव प्रचार की बात करें तो महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में थी। तेजस्वी यादव ने 250 से अधिक जनसभाएं कीं और कई जगहों पर रोड शो भी किए। इस बार उनके साथ मुकेश सहनी भी हर जनसभा में मौजूद रहे। मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव एकसाथ चुनाव प्रचार करते रहे मगर राजद को सिर्फ चार सीटें मिलीं जबकि वीआईपी का खाता भी नहीं खुल सका।


सहनी की जिंदगी का सफर काफी दिलचस्प

सियासत के मैदान में कूदने से पहले सहनी की जिंदगी का सफर भी काफी दिलचस्प है। 19 साल की उम्र में वे काम की तलाश में दरभंगा छोड़कर मुंबई पहुंच गए थे। वहां कुछ समय तक उन्होंने एक कॉस्मेटिक दुकान में भी काम किया। इस दौरान कुछ लोगों के संपर्क में आने के बाद सहनी के दिमाग में बॉलीवुड फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने का आइडिया आया।

इस दिशा में प्रयास शुरू करने के बाद उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक शाहरुख खान की फिल्म देवदास और सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान में मिला और इन दोनों फिल्मों का सेट उन्होंने डिजाइन किया। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड में काम की कमी नहीं रही और उन्होंने अपनी अलग कंपनी बना ली। इस काम में काफी पैसा कमाने के बाद उन्होंने सियासी मैदान में उतरने का मन बनाया।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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