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विनेश फोगाट की ‘कमजोर जीत’ के क्या है मायने, कांग्रेस की 'किसान, जवान और पहलवान' नीति क्यों हुई बेअसर

Vinesh Phogat: हरियाणा के जुलाना सीट से पहली बार चुनावी मैदान में उतरी विनेश फोगाट यहाँ से जीत चुकी हैं। इन्होने बीजेपी के योगेश कुमार को पछाड़ा है।

Sonali kesarwani
Published on: 9 Oct 2024 10:34 AM IST (Updated on: 9 Oct 2024 3:25 PM IST)
Vinesh Phogat
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Vinesh Phogat (social media) 

Vinesh Phogat: हरियाणा के जुलाना सीट से महिला पहलवान और कांग्रेस नेता विनेश फोगाट की जीत को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में अलग- अलग तरह की बातें चल रही हैं। कुछ रिपोर्ट्स में विनेश फोगाट की इस जीत को महिलाओं और पहलवानों की बड़ी जीत बताई जा रही है तो वहीं कुछ रिपोर्ट्स में ऐसी बातें की जा रही है कि विनेश फोगाट की हरियाणा में ये जीत ‘एक कमजोर जीत’ है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जुलाना के मतगणना केंद्र में बैठे चन्दर का इस जीत पर कहना हैं, "विनेश जीत तो गईं लेकिन उन्होंने बीजेपी के योगेश कुमार को पछाड़ा नहीं।”वहीं अजीत कहते हैं, "लोग ख़ुश ज़रूर हैं लेकिन कुछ कमी रह गई। पहलवानों का नाम रोशन ज़रूर किया है लेकिन हमें उम्मीद थी कि विनेश 30,000 के अंतर से जीतेंगी।” आपको बता दें कि विनेश फोगाट ने अपने ससुराल जुलाना से चुनाव लड़ा था जहाँ इन्होने बीजेपी के योगेश कुमार को 6,015 वोटों हराया है।

'किसान, जवान और पहलवान' नीति क्यों बेअसर

हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने ‘किसानम जवान और पहलवान’ की नीति अपनाई थी। उन्होंने इस मुद्दे को लोगो के इमोशन से जोड़ना भी चाहा था लेकिन शायद कहीं कुछ कमी रह गई। जिसका नतीजा चुनावी परिणाम में दिखाई दिया। कांग्रेस पार्टी को बहुत उम्मीद थी कि किसान, जवान और पहलवान का फायदा उन्हें होगा लेकिन विनेश फोगाट की जीत कुछ और ही बयां कर रही है।


एक प्रतिष्ठित मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा के राजनीति विज्ञानी और महाराणा प्रताप नेशनल कॉलेज में प्रोफ़ेसर डॉ. विजय चौहान कहते हैं, "विनेश की जीत को कांग्रेस की हार से जोड़ के देखा जाना चाहिए। चुनाव के आख़िरी दौर में मुद्दा एक बार फ़िर जाट और ग़ैर जाट की राजनीति का बन चुका था, जिसका नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा है।"

बीजेपी ने उठाया जाट की राजनीति का फायदा

प्रोफ़ेसर डॉ. विजय चौहान हरियाणा चुनाव और इसके परिणाम को लेकर कहते है कि राहुल गांधी यहाँ आए और जाट परिवार के एक लड़के से मिले। उन्होंने कई ऐसी रैलियां की जहाँ उन्होंने यह बताया कि इस बार हुड्डा की सरकार बनेगी। जबकि बीजेपी का जितना भी विरोध रहा इस चुनाव प्रचार के दौरान वो जाटों के क्षेत्र में ज्यादा रहा। इसका परिणाम ये निकला कि हरियाणा के वोटरों के दिमाग में जाट और गैर जाट की राजनीति ने घर कर और इसका फायदा उठाने में बीजेपी पूरी तरह कामयाब रही।


जाट बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को नुकसान

इस चुनाव में सब ने देखा कि कांग्रेस ने विनेश फोगाट को बहुत ज्यादा तवज्जो दिया। जो पार्टी पर काफी ज्यादा भारी पड़ा। राजनीतिक विश्लेषक कुशल पाल ने बयान देते हुए कहा कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भले ही ओबीसी से फायदा न मिला हो लेकिन हरियाणा चुनाव में ओबीसी वोटरों का इनकी जीत में काफी बड़ा हिस्सा रहा है। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका जाट बहुत क्षेत्रों से मिला है।

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