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अभी-अभी यहां हुई जबरदस्त हिंसा, फेंके गये पत्थर, मची भगदड़, पुलिस मौके पर
मध्य प्रदेश के शाजापुर में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा की खबर है। यहां के कुरैशी मोहल्ला में जमकर पत्थरबाजी हुई है। हिंसा के बाद पुलिस अधिकारी मौके पर हैं।
इंदौर: मध्य प्रदेश के शाजापुर में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा की खबर है। यहां के कुरैशी मोहल्ला में जमकर पत्थरबाजी हुई है। हिंसा के बाद पुलिस अधिकारी मौके पर हैं। दरअसल, बुधवार को शहर में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में राष्ट्र सुरक्षा मंच के बैनर तले तिरंगा यात्रा निकाली जा रही थी।
लोगों का हुजूम जब नई सड़क क्षेत्र में पहुंचा तभी अचानक कुरैशी मोहल्ला के पास अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। कुछ ही देर में यहां पर जमकर पथराव शुरू हो गया। पुलिस जब तक स्थिति को संभालती तब तक बड़ी संख्या में कुरैशी मोहल्ला और नई सड़क छेत्र में पत्थर फेंके जा चुके थे।
सूचना मिलते ही कलेक्टर, एसपी, एडिशनल एसपी, एसडीओपी सहित भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गए और स्थिति को नियंत्रण में लिया। घटना के दौरान यहां पर आसपास की दुकानें बंद हो गई।
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यूपी हिंसा मामले में सरकार की कार्रवाई पर ह्स्तक्षेंप से कोर्ट का इनकार
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ समेत कई जिलों में पुलिस बर्बरता पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया. अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। इसे देखते हुए मुंबई के अधिवक्ता अजय कुमार ने ईमेल के जरिये हाईकोर्ट को पत्र भेजा था। हाईकोर्ट ने पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस को अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए के गोयल ने स्वीकार किया।
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सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन मामले की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इसी मामले में हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नक़वी और अधिवक्ता रमेश कुमार यादव को न्याय मित्र नियुक्त कर दिया गया है।
जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर पुलिस बर्बरता का जिक्र किया गया है. इसमें यह भी कहा गया कि इन घटनाओं से प्रदेश देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही है।
इसमें मुजफ्फरनगर के मदरसे में बच्चों की निर्मम पिटाई और उनसे जबर्दस्ती जय श्री राम का नारा लगवाने का भी हवाला दिया गया है।खंडपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि सारे कागजात न्यायमित्र फरमान नक़वी और रमेश कुमार यादव को उपलब्ध कराए जाएं।
20 दिसंबर को यूपी में भी हुई थी हिंसा
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में 20 दिसंबर को नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा के दौरान दो युवक सुलेमान और अनस की जान गई थी। इसमें सुलेमान की मौत पुलिस की गोली से हुई थी।
इस मामले में सुलेमान के भाई शोएब ने नहटौर के पूर्व थाना प्रभारी राजेश सोलंकी, दरोगा आशीष तोमर, सिपाही मोहित तोमर समेत चार पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज कराया है।
वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में पुलिस ने दावा किया था कि आत्मरक्षा में फायर किया था। उत्तर प्रदेश में यह पहला मामला है, जिसमें हिंसा के दौरान मारे गए युवक की हत्या के मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ है।
सुलेमान के मामा अनवार ने बताया कि उस दिन (20 दिसंबर) सब जुमे की नमाज पढ़कर निकले थे। पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। भगदड़ मची और गोली चला दी। सुलेमान गोली की चपेट में आ गया। उसकी मौत हो गई। सुलेमान यूपीएससी की तैयारी कर रहा था।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने की थी मुलाकात
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिंसा के दो दिन बाद यानी 22 दिसंबर को अचानक बिजनौर पहुंच गई थी। यहां उन्होंने सुलेमान व अनस के परिजनों से मुलाकात की थी।
प्रियंका ने इस दौरान मांग की थी कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी को भारतीयता का सबूत मांगने का अधिकार नहीं है। मोदी सरकार को नागरिकता कानून को वापस लेना चाहिए।
हिंसा मामले की होगी मजिस्ट्रेटियल जांच
नागरिकता कानून के खिलाफ बिजनौर में भड़की हिंसा मामले की मजिस्ट्रेटियल जांच होगी। वहीं, डीएम रमाकांत पांडेय ने बताया कि हिंसा में हुए नुकसान व सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ में शामिल 43 लोगों को करीब 15 लाख की क्षतिपूर्ति के रिकवरी का नोटिस जारी किया है।
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