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हिमाचल चुनाव : ये 7 सीटें तय करेंगी नेताओं का राजनैतिक भविष्य, CM भी शामिल

Rishi
Published on: 24 Oct 2017 10:24 AM GMT
हिमाचल चुनाव : ये 7 सीटें तय करेंगी नेताओं का राजनैतिक भविष्य, CM भी शामिल
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शिमला : विधानसभा चुनाव किसी भी राज्य में हो वहां कुछ ऐसी सीट जरुर होती हैं। जिनपर सबकी नजर होती है। फिर भले ही राज्य छोटा हो या बड़ा। बड़े नेताओं के साथ नाम जुड़ने के बाद कुछ विधान सभा सीट वीआईपी बन जाती हैं। तो कुछ अपने वोटर्स के चलते। ऐसी ही हिमाचल प्रदेश की कुछ विधान सभा सीटों के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।

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अर्की – 6 बार के सीएम वीरभद्र सिंह ने शिमला छोड़ सोलन की अर्की विधानसभा से किस्मत आजमाने का फैसला लिया। यहां गोविंदराम शर्मा बीजेपी के सिटिंग विधायक हैं। पार्टी को लगा कि वो सीएम को टक्कर नहीं दे सकते। तो उनका टिकट रतन पाल सिंह थमा दिया गया। रतन का ये पहला चुनाव है, और उनके सामने सूबे का वो सीएम है जिसने 6 बार प्रदेश को चलाया है। ऐसे में नवजात रतन उन्हें कितनी टक्कर देंगे ये समझ के बाहर है।

यहां कुल 84834 मतदाता है। पिछले चुनाव में गोविन्द राम शर्मा इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।

सुजानपुर – सूबे के पूर्व सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र राणा उनसे दो-दो हाथ करने को बेताब हैं। ये वही राणा हैं जो कभी धूमल के खास हुआ करते थे।

2012 में यहां कुल 65,006 मतदाता थे। पिछले चुनाव में राजेन्दर सिंह विधायक चुने गए। उन्होंने दो साल बाद इस्तीफा दे दिया तो उप चुनाव में नरेंद्र ठाकुर चुने गये।

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मंडी – इस सीट से फिल्म इंडस्ट्री के दबंग सलमान खान का करीबी रिश्ता है। वो क्या कहते हैं- साले बहनोई वाला। सलमान की बंधन फिल्म याद है ना! सही पकड़े हैं। सलमान की बहन अर्पिता का ससुराल है मंडी में। सलमान की बहन के ससुर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा इसबार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस ने उनके सहयोगी ठाकुर कौल सिंह की बेटी चंपा को टिकट दे मैदान में उतार दिया है। ऐसे में कांग्रेस को यहां पंडित सुखराम शर्मा के राजनैतिक रसूख और सलमान के स्टारडम से पार पाना आसान नहीं होगा।

2012 में यहां 64,881 मतदाता थे। पिछले चुनाव में अनिल कुमार इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।

देहरा – बीजेपी के विधायक रविंद्र रवि इस सीट से पिछले 25 वर्षों से माननीय हैं। कांग्रेस ने इस बार उनकी जीत में रोड़ा अटकाने के लिए राज्य सभा सदस्य विप्लव ठाकुर को मैदान में उतारा है। वो जनाधार वाली नेता मानी जाती हैं। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि वो रवि को कड़ी चुनौती देंगी।

2012 में यहां कुल 70,424 मतदाता थे। पिछले चुनाव में रविंदर सिंह रवि विधायक चुने गए।

शिमला ग्रामीण - इस सीट से सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे अपना राजनैतिक सफर शुरू करने जा रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने उनके राह में कांटे बिछाने का पूरा इंतजाम कर दिया। सीएम के करीबी रहे प्रमोद शर्मा को बीजेपी ने टिकट दे मैदान में उतार दिया है। अब ये सीट वीरभद्र की साख का सवाल बन गई।

2012 में यहां कुल 68,326 मतदाता थे। पिछले चुनाव में वीरभद्र सिंह यहां से विधायक चुने गए।

फतेहपुर – ये सीट बीजेपी के लिए इज्जत की बात बन चुकी है। इसपर उम्मीदवार चयन के लिए हाईकमान ने बड़े पापड़ बेले। कईयों के दिल तोड़े, और कैबिनेट मंत्री सुजान सिंह पठानिया के सामने कृपाल परमार को उतार दिया। परमार अभी चुनावी राजनीति में अबोध ही हैं। ऐसे में वो चतुर सुजान को कितनी टक्कर देंगे ये तो समझ के बाहर है। पूर्व सांसद और कभी बीजेपी में रहे राजन सुशांत भी मैदान में हैं। इसके साथ ही बीजेपी के बागी बलदेव सिंह ठाकुर भी बीजेपी के लिए मुसीबत का कारण बने हुए हैं।

2012 में यहां कुल 72,676 मतदाता थे। पिछले चुनाव में सुजान सिंह पठानिया विधायक चुने गए।

नगरोटा - परिवहन मंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी जीएस बाली के सामने उनके करीबी रहे अरुण कुमार मैदान में खम ठोक रहे हैं। अरुण बीजेपी के टिकट पर चुनावी दंगल में उतरे हैं।

2012 में यहां कुल 74,574 मतदाता थे। पिछले चुनाव में जी एस बाली इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।

इनके आलावा भी कई सीटें हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेताओं की साख जुडी है। देखना ये होगा कि परिणामों के आने के बाद किस की साख बचती है और किसकी लुट जाती है

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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