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Amartya Sen: अमर्त्य सेन को विश्व भारती यूनिवर्सिटी का नोटिस, मामला अवैध कब्जे का

Amartya Sen: विश्वविद्यालय ने सेन पर भूखंड के हिस्से पर अनधिकृत कब्जा करने का आरोप लगाया है।

Neel Mani Lal
Published on: 20 March 2023 3:07 PM GMT
Amartya Sen: अमर्त्य सेन को विश्व भारती यूनिवर्सिटी का नोटिस, मामला अवैध कब्जे का
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अमर्त्य सेन (photo: social media )

Amartya Sen: पश्चिम बंगाल के शान्ति निकेतन स्थिति विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को नोटिस जारी कर उन्हें या उनके किसी प्रतिनिधि को 29 मार्च को विश्वविद्यालय के शांति निकेतन कार्यालय में अपनी जमीन से संबंधित सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा है।

अवैध कब्जा

सेन से पूछा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा उनके पिता आशुतोष सेन को पट्टे पर दी गई 1.38 एकड़ जमीन में से 13 डिसमिल से उन्हें बेदखल क्यों नहीं करना चाहिए, जिस पर अब उनका अवैध कब्जा है।

इससे पहले, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने सेन को उनके पैतृक निवास के भूखंड के संयुक्त सर्वेक्षण के लिए उपयुक्त तिथि और समय के लिए एक पत्र भेजा था। विश्वविद्यालय ने सेन पर भूखंड के हिस्से पर अनधिकृत कब्जा करने का आरोप लगाया है। हालांकि, सर्वेक्षण नहीं किया जा सका क्योंकि सेन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। 30 जनवरी को ममता बनर्जी ने सेन से मुलाकात की थी और भूमि संबंधी दस्तावेज उन्हें सौंपे। इससे सेन के दावे की पुष्टि हुई कि वह 1.38 एकड़ जमीन के असली पट्टेदार हैं।

छोटी सी जमीन का बड़ा झगड़ा

जिस जमीन पर विवाद है वह कोई बहुत बड़ा टुकड़ा नहीं है और उसकी कीमत 50 लाख रुपये से कम है। जमीन का ये टुकड़ा तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच लड़ाई के केंद्र में भी है। दरअसल, सेन और विश्व भारती, जिसके वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती हैं, भाजपा के करीबी हैं। चक्रवर्ती ने जब से पद संभाला है, छात्रों के साथ कई टकराव में रहे हैं। उनमें से कुछ छात्र गुट वामपंथी दलों और टीएमसी द्वारा समर्थित हैं। अब तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सेन के सतह खड़ी हो गईं हैं। लेकिन चक्रवर्ती अड़े हुए हैं कि सेन को जमीन वापस करनी चाहिए।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सेन विश्वविद्यालय के करीब प्रतीची नामक बंगले में रहते हैं। सेन और शांति निकेतन एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। उनका नाम टैगोर ने खुद अमर्त्य रखा था और टैगोर की मृत्यु के दो साल बाद 1943 में विश्व भारती द्वारा सेन के परिवार को भूखंड पट्टे पर दिया गया था, जो 1908 में अर्थशास्त्री के नाना क्षितिमोहन सेन को परिसर में लाए थे; और उनके पिता को विश्व भारती विश्वविद्यालय द्वारा 1.38 एकड़ जमीन पट्टे पर दी गई थी।

सेन का मामला खास है लेकिन शांति निकेतन में लंबे समय से भूमि अतिक्रमण का मामला चल रहा है। शांतिनिकेतन में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने टैगोर परिवार से 99 साल की लीज पर 1 रुपये में जमीन ली थी। और अब, विश्व भारती विश्वविद्यालय चाहता है कि वे पट्टे पर फिर से बातचीत करें, लेकिन वे इच्छुक नहीं हैं।

हालाँकि, कई लोगों का मानना है कि चक्रवर्ती को सेन का मुद्दा नहीं उठाना चाहिए था। लेकिन चक्रवर्ती का कहना है कि उनके पास ऐसे दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि सेन ने उस अतिरिक्त जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।

Neel Mani Lal

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