TRENDING TAGS :
Vivek Agnihotri: जज पर टिप्पणी कर फंसे विवेक अग्निहोत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट से मांगी माफी, जानें क्या है मामला
Vivek Agnihotri Apologized: निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने एक जज के खिलाफ की अपनी टिप्पणी को लेकर माफी मांगी है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था।
Vivek Agnihotri: द कश्मीर फाइल्स फिल्म के निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने पूर्व में एक जज के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणी को लेकर अदालत से माफी मांगी है। दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे अवमानना के मामले में उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। दरअसल, भीमा कोरेगांव केस में आरोपी गौतम नवलखा को जमानत देने पर उन्होंने जस्टिस एस मुरलीधर की आलोचना की थी। विवेक अग्निहोत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था।
उच्च न्यायालय ने इस बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 2018 में विवेक अग्निहोत्री और आनंद रंगनाथन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। अदालत ने फिल्म निर्माता को नोटिस जारी किया था। अदालत से सशर्त माफी मांगने के बावजूद उन्हें अगली सुनवाई को कोर्ट में पेश होना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च 2023 को होगी।
आज सुनवाई में क्या हुआ ?
मंगलवार को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत की डिविजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने कोर्ट को बताया कि विवेक अग्निहोत्री की ओर से दाखिल एफिडेविट और ट्विटर के जवाब में काफी अंतर है। उन्होंने कहा कि विवेक रंजन अग्निहोत्री ने दावा किया है कि उन्होंने अपने ट्वीट्स हटा लिए थे। लेकिन सोशल मीडिया कंपनी ट्वीटर ने बताया कि उसने ये ट्वीट हटाए थे। इस पर फिल्म निर्माता के वकील ने कहा कि वह इस बात की जानकारी लेंगे कि कब ट्वीट को ब्लॉक किया गया था।
कौन हैं वो जस्टिस जिनके खिलाफ टिप्पणी कर फंस गए विवेक अग्निहोत्री
फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने साल 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर के उस आदेश की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने भीम कोरेगांव मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट ऑर्डर और ट्रांजिट रिमांड को रद्द कर दिया था। जस्टिस मुरलीधर उस दौरान दिल्ली हाईकोट में जज थे। फिलहाल वह ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी जज रह चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में पीएचडी करने वाले जस्टिस मुरलीधर ने साल 1984 में चेन्नई से अपनी वकालत शुरू की थी।