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SC ने संचार कंपनियों को दिया ये आदेश, कोरोनाकाल में सरकार की करें मदद

दूरसंचार कंपनियों के AGR बकाए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वोडाफोन आइडिया से कहा कि वह अपने AGR बकाए की कुछ राशि तुरंत सरकार के पास जमा करे।

SK Gautam
Published on: 18 Jun 2020 10:44 AM GMT
SC ने संचार कंपनियों को दिया ये आदेश, कोरोनाकाल में सरकार की करें मदद
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। तो उधर दूरसंचार कंपनियों के AGR बकाए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वोडाफोन आइडिया से कहा कि वह अपने AGR बकाए की कुछ राशि तुरंत सरकार के पास जमा करे। SC ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि इस धन का उपयोग जनता के लिए किया जाना चाहिए, विशेष रूप से कोरोनावायरस महामारी के दौरान।

किस्तों में भुगतान करना उनके पास इकलौता विकल्प- वोडाफोन आइडिया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी की स्थिति बेहद अनिश्चित है और वह कोई भी ताजा बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है। रोहतगी ने कहा- 'अगर मैं अधिक भुगतान करता हूं, तो मेरे पास कुछ भी नहीं बचेगा। मेरे 11,000 कर्मचारी हैं।' रोहतगी ने कहा कि फिर उन्हें भुगतान करना मुमकिन नहीं हो सकेगा। वोडाफोन आइडिया ने स्वीकार किया कि कोई भी बैंक आज कंपनी को लोन नहीं देगा। किस्तों में भुगतान करना उनके पास इकलौता विकल्प है।

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शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को फैसला सुनाया था

गुरुवार को DoT ने बेंच से AGR के भुगतान पर भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड सहित टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दायर हलफनामों का जवाब देने के लिए समय मांगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को फैसला सुनाया था कि टेलीकॉम के AGR में गैर-दूरसंचार राजस्व को शामिल करके वैधानिक बकाया की गणना की जानी चाहिए।

संचार कंपनियों ने जवाब देने के लिए कुछ समय मांगा था

दूरसंचार विभाग ने पीठ से अनुरोध किया कि उसे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड जैसी निजी क्षेत्र की संचार कंपनियों द्वारा एजीआर पर आधारित बकाया राशि के भुगतान के बारे मे दाखिल हलफनामे का जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाए।

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वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह पहले ही दूरसंचार विभाग को 7000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है लेकिन इस समय के वित्तीय हालात में वह किसी भी तरह की बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है।

पीठ ने कहा कि संचार कंपनियों को कुछ न कुछ धन जमा कराना चाहिए

पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में दूरसंचार क्षेत्र ही धन अर्जित कर रहा है और उन्हें कुछ न कुछ धन जमा कराना चाहिए क्योंकि सरकार को स्थिति से निबटने के लिए पैसों की जरूरत है। न्यायालय ने 11 जून को इस मामले की सुनवाई के दौरान दूरसंचार विभाग से कहा था कि गेल जैसे गैर दूरसंचार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से चार लाख करोड़ रुपये के भुगतान की मांग पर फिर से विचार किया जाए। पीठ ने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के मामले मे उसके अक्टूबर, 2019 के फैसले के आधार पर इस तरह की मांग करना पूरी तरह अनुचित है।

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सार्वजनिक उपक्रमों से भी बकाये को जमा कराने की मांग

लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क जैसी सरकारी देनदारियों की गणना के लिए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर शीर्ष अदालत के अक्टूबर, 2019 के फैसले के बाद दूरसंचार विभाग ने गैस प्रदाता गेल इंडिया लि, विद्युत पारेषण कंपनी पावरग्रिड, ऑयल इंडिया लि, दिल्ली मेट्रो और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों से पिछले बकाये के रूप में चार लाख करोड़ रुपये की मांग की थी।

सरकार के स्वामित्व वाले इन उपक्रमों ने दूरसंचार विभाग की इस मांग को चुनौती देते हुए कहा था कि दूरसंचार उनका मुख्य कारोबार नहीं है और लाइसेंस से आमदनी उनकी आय का बहुत ही मामूली हिस्सा है।

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