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Maharashtra Election 2024: हिंदी भाषी राज्यों के मतदाता करेंगे बड़ा खेल, BJP ने यूपी के नेताओं को सौंपी खास जिम्मेदारी

Maharashtra Election 2024: मुंबई और आसपास ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के कई अन्य इलाकों में हिंदी भाषी राज्यों के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और वे प्रत्याशियों की जीत-हार में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं

Anshuman Tiwari
Published on: 15 Nov 2024 10:40 AM IST (Updated on: 15 Nov 2024 10:47 AM IST)
Maharashtra Election 2024
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Maharashtra Election 2024

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में हो रहे कड़े मुकाबले के बीच सभी राजनीतिक दल हिंदी भाषी राज्यों के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मुंबई और आसपास ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के कई अन्य इलाकों में हिंदी भाषी राज्यों के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और वे प्रत्याशियों की जीत-हार में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दलों की ओर से इन मतदाताओं पर डोरे डाले जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों ने टिकट देने के मामले में भी उत्तर भारतीयों का विशेष तौर पर ख्याल रखा है।

विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से एक दर्जन से अधिक उत्तर भारतीय लोगों को टिकट दिया गया है। उत्तर भारतीयों को टिकट देने के मामले में भाजपा और कांग्रेस सबसे आगे हैं। हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा का पहले से ही प्रभुत्व रहा है और पार्टी महाराष्ट्र में इसे भुनाना चाहती है। इस कारण भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे हिंदी भाषा राज्यों के विधायकों और सांसदों को प्रचार और जनसंपर्क के काम में लगाया गया है।

हिंदी भाषी राज्यों के मतदाताओं की भूमिका अहम

यदि हिंदी भाषी राज्यों से जुड़े मतदाताओं की ताकत की बात की जाए तो मुंबई और आसपास के इलाकों में काफी संख्या में उत्तर भारतीय रहते हैं। किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में इन मतदाताओं की प्रमुख भूमिका रहा करती है। मुंबई और उसके आसपास के जिलों में 35 लाख से अधिक उत्तर भारतीय लोग रहते हैं। इस संख्या से समझा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होगी।

मुंबई के अलावा ठाणे, कल्याण, नई मुंबई, पालघर, वसई और विरार जैसे बृहन्मुंबई के क्षेत्रों में भी हिंदी भाषा मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। मुंबई के अलावा महाराष्ट्र के नागपुर, पुणे, नासिक और औरंगाबाद जैसे बड़े नगरों में भी हिंदी भाषा इलाकों के लोग काफी ज्यादा संख्या में रहते हैं। इसलिए विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी भूमिका काफी अहम साबित होगी। पूर्व के चुनावों में भी ये मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।


कई उत्तर भारतीय नेताओं का दिखा है दबदबा

महाराष्ट्र की सियासत में उत्तर भारतीय लोगों का पहले से ही काफी रसूख का रहा है। यदि महाराष्ट्र की सियासत में उत्तर भारतीय लोगों के दबदबे की बात की जाए तो कृपाशंकर सिंह,डॉ. राम मनोहर त्रिपाठी, चंद्रकांत त्रिपाठी, मोहम्मद आरिफ नसीम खान, नवाब मलिक, विद्या ठाकुर जैसे उत्तर भारत मूल के नेता महाराष्ट्र में अपनी ताकत दिखाते रहे हैं। इन सभी को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनने का मौका भी मिला है।

हिंदी भाषी राज्यों के राजनीतिज्ञ समय-समय पर चुनाव जीतकर महाराष्ट्र के विधानसभा में पहुंचने रहे हैं। यदि 2009 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो मुंबई और आसपास के इलाकों में करीब 25 फ़ीसदी यानी 9 उत्तर भारतीय नेताओं ने चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की थी। इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान भी कई उत्तर भारतीय नेताओं के चुनाव जीतने की उम्मीद जताई जा रही है।

टिकट देने में भाजपा और कांग्रेस ने दिखाई दिलचस्पी

हिंदी भाषी राज्यों के लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस बार उत्तर भारत से जुड़े नेताओं को टिकट देने में खासी दिलचस्पी दिखाई है। महाराष्ट्र में इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में छब दल शामिल हैं। दोनों गठबंधनों में शामिल इन दलों की ओर से कई उत्तर भारतीयों को टिकट दिया गया है।

भाजपा अभी तक उत्तर भारतीयों को टिकट देने में कम दिलचस्पी दिखाती थी। इसी कारण पार्टी पर आरोप लगाता रहा है कि वह उत्तर भारतीयों के वोट तो जरूर बटोर लेती है मगर टिकट नहीं देती। अबकी बार इस धारणा को तोड़ने के लिए भाजपा ने चार सीटों पर उत्तर भारतीयों को टिकट दिया है। उल्लेखनीय बात यह है कि दूसरे राष्ट्रीय दल कांग्रेस ने भी इतने ही उत्तर भारतीय लोगों को चुनावी अखाड़े में उतारा है।


यूपी के नेताओं को मिली खास जिम्मेदारी

मुंबई और उसके आसपास रहने वाले उत्तर भारतीय मतदाताओं का समर्थन लंबे समय तक कांग्रेस को मिलता रहा मगर अब भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने भी इसमें सेंधमारी कर ली है। मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों की बात की जाए तो यहां पर वाराणसी, जौनपुर और प्रयागराज से जुड़े लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। भाजपा ने इस बार उत्तर भारतीय लोगों का समर्थन हासिल करने की रणनीति पर विशेष रूप से काम किया है।

इसके तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई नेताओं को काफी पहले से ही महाराष्ट्र बुला लिया गया है और वे मुंबई और आसपास के इलाकों में भाजपा प्रत्याशियों का प्रचार करने में जुटे हुए हैं। भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश से ही नहीं बल्कि बिहार और मध्य प्रदेश से भी पार्टी के नेता यहां तलब किए गए हैं। भाजपा की ओर से एक-एक क्षेत्र में कई विधायकों और सांसदों को चुनावी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत ये जनप्रतिनिधि हिंदी भाषी लोगों से लगातार संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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