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माननीयों का वेतन-भत्ता: समिति की बैठक कल, हो सकता है बड़ा फैसला

सांसदों की वेतन बढ़ोतरी के बारे में अंतिम फैसला भले ही सरकार को करना है लेकिन शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों के करीब 787 मौजूदा सांसदों का वेतन दोगुना करने के प्रस्ताव को हरी झंडी देने की प्रबल संभावना है। भाजपा सांसद बंदारूदत्तत्रे की अध्यक्षता वाली सांसदों के वेतन भत्ता

Anoop Ojha
Published on: 11 Jan 2018 4:06 PM GMT
माननीयों का वेतन-भत्ता: समिति की बैठक कल, हो सकता है बड़ा फैसला
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नई दिल्ली: सांसदों की वेतन बढ़ोतरी के बारे में अंतिम फैसला भले ही सरकार को करना है लेकिन शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों के करीब 787 मौजूदा सांसदों का वेतन दोगुना करने के प्रस्ताव को हरी झंडी देने की प्रबल संभावना है। भाजपा सांसद बंदारूदत्तत्रे की अध्यक्षता वाली सांसदों के वेतन भत्ता समिति की मौजूदा बैठक में वेतन भत्ता बढ़ोतरी का एजेंडा सबसे उच्च प्राथमिकता में है।

दो बरस पूर्व उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब वेतन भत्तों की संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष थे उन्होंने सांसदों के वेतन भत्तों में इस बढ़ोतरी की जोरदार सिफरिश सरकार को की थी। इसमें कई तर्क दिए गए और सभी दलों के सांसद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट थे। वेतन में इजाफा करवाने की मुहिम में जुटे सांसदों का तर्क है कि जनवरी 2016 से सरकारी कर्मचारियों के सातवें वेतनमान के लागू होने के बाद सरकारी अधिकारियों का वेतन भत्ता सांसदों से भी काफी ज्यादा हो चुका है।

वेतन बढ़ोतरी के विरोध के मामले में केवल वाम दल ही अब तक विरोध करते रहे हैं। उनका मानना था कि सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी से आम जनता में गलत संदेश जा रहा है तथा लोकसेवक के तौर पर अपना वेतन खुद बढ़ाने की परिपाटी से जनता में जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों की छवि बुरी तरह गिर रही है।

सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी पहली बार 2010 में हुई थी। तब उनका वेतन तब तीन गुना बढ़ा था तो भारी बवाल हुआ था। सात साल पूर्व सांसद का मूल वेतन 16000 से बढाकर 45000 कर दिया गया था। इसी तरह उनके भत्ते भी तीनगुना कर दिए गए थे। पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन में भी खासी बढ़ोतरी हुई थी। इस बार सांसदों के वेतन भत्ते फिर से तीन गुना बढ़ाने की तैयारी है। योगी समिति ने सिफारिश की थी कि सांसदों का वेतन कम से कम 1 लाख रूपए करना चाहिए। दो साल से प्रधानमंत्री मोदी ने वेतन बढ़ोतरी की सिफारिश को ठंडे बस्तें में डाल रखा था।

वेतन बढ़ोतरी मांग के समर्थन में सांसदों के अपने-अपने तर्क हैं। उनमें से कइयों की इस बात में दम भी दिखता है कि अपने चुनाव क्षेत्र में वे हर वक्त गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। जन सेवा में हर वक्त परिवार से अलग रहते हैं। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने तो बीते सत्र में सदन में यह मामला ही उठाते हुए सरकार द्वारा रिपोर्ट को दबाकर बैठने की आलोचना की थी। उनकी मांग थी कि सांसद का वेतन सरकार के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले नौकरशाह से 1 रुपया अधिक होना चाहिए। केंद्र सरकार के सचिवों का वेतन करीब ढाई लाख रूपए प्रति माह होता है। सांसदों को सात साल पहले वेतन भत्तों और दूसरे व्ययों में भी काफी बढ़ोतरी हुई थी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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