TRENDING TAGS :
Wagh Bakri's Parag Desai Dies: वाघ बकरी चाय मालिक पराग देसाई का निधन, 104 साल पहले हुई थी एक दुकान से शुरुआत; आज भारत सहित 40 देशों में फैला कारोबार
Wagh Bakri's Parag Desai Dies: पराग देसाई 15 अक्टूबर को एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। जिससे उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया और रविवार देर रात उनकी मौत हो गई।
Wagh Bakri Parag Desai Dies: भारतीय करोबार के क्षेत्र से शारदीय नवरात्रि के नवमी वाले दिन एक मनहूस खबर सुनाई दी। भारत की मशहूर चाय ब्रांड कंपनी वाघ बरकी चाय के मालिक एव एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई का सोमवार को निधन को गया। 49 वर्षीय देसाई का निधन ब्रेन हेमरेज के चलते हुआ। बीते सप्ताह घर में मॉर्निग वॉक के दौरान वह गिर गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ब्रेन हेमरेज होने की वजह से कारोबारी पराग को वेंटिलेटर पर रखा गया था। बीते एक सप्ताह से वह अस्पताल में भर्ती थे और जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे और आखिरकार आज वह दुनिया से अलविदा कह दिया। निधन की सूचना मिलते ही समूचे कारोबार जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। बाघ ब्रांड किसी परिचय का महोताज नहीं है। आज से करीब 104 साल पहले एक दुकान से चाय बिक्री से शुरू हुआ कारोबार आज भारत का चाय कारोबार में बड़ा ब्रांड बना ही है, साथ ही कई देशों मे इस ब्रांड का कारोबार फैला हुआ है। अपने स्वाद के बलबूते लाखों करोड़ों को दीवाना बनाए हुए है।
जानिए 104 साल पुराने ब्रांड वाघ बरकी चाय की कहानी
भारत की मशहूर चाय ब्रांड कंपनी वाघ बरकी का ताल्लुक दक्षिण अफ्रीका से था। गुजरात के रहने वाले नरणदास देसाई का दक्षिण अफ्रीका के डरबन में 500 एकड़ चाय बागान हुआ करता था। यह बात थी साल 1982 की। उस समय वहां ब्रिटिश शासन का राज था। इस वजह से नस्लीय भेदभाव वहां अधिक होने लगा। इसका शिकार नरणदास देसाई भी हुई, जिसके बाद उन्होंने 1915 में साउथ अफ्रीका को छोड़ भारत लौट आए। इस दौरान उनकी मुलाकात वहां महात्मा गांधी से भी हुई। नरणदास देसाई बाबू से एक सर्टिफिकेट भी मिला था। जिसमें बाबू ने लिखा कि कि मैं दक्षिण अफ्रीका से श्री नरणदास देसाई को जानता था। वह वहां कई सालों तक एक सफल चाय बागान के मालिक थे।
1919 में नरणदास देसाई ने शुरू की थी चाय बिक्री
भारत आने के बाद नरणदास देसाई ने साल 1919 में चाय के कारोबार में कदम रखा। देसाई ने अहमदाबाद में खुली चाय बिक्री के लिए गुजरात चाय डिपो शुरू किया। धीरे धीरे उनकी खुली चाय लोगों के बीच काफी पंसद की जाने लगी और कारोबार चल पड़ा। गुजरात में पहचान मिलते ही साल 1934 को नरणदास देसाई ने वाघ बकरी ब्रांड को लॉन्च कर दिया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ब्रांड लॉन्च होने के बाद भी देसाई ने गुजरात चाय डिपो के जरिये 1980 तक खुली चाय बेची। ऐसा कहा जाता है कि उस समय भारत में खुली चाय का ही दौर था, लेकिन धीरे धीरे कुछ ही सालों में भारत में चाय के कई विदेशी ब्रांड आ गए। मार्केट में हो रहे बदलाव को देखते हुए वाघ बकरी चाय ने 22 सितंबर 1980 को गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड की स्थापान की। इसके जरिये कंपनी ने पैकेज्ड चाय बिक्री के कारोबार में कदम रखा। इसके बाद देसाई ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते देखते बाघ बकरी चाय ब्रांड गुजरात का सबसे फेसम ब्रांड बना गया और आज तक बरकरार है।
भारत सहित दुनिया में 40 देशों में फैला कारोबार
गुजरात में प्रसिद्ध होने के बाद बाघ बकरी ब्रांड ने अगला कदम राष्ट्रीय स्तर के बाजार को पकड़ना था। इसमें कंपनी अपने सफल भी हुई। ब्रांड ने अपने स्वाद के बल पर 2009 तक गुजरात से निकलकर महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में फैल चुकी थी। आज कंपनी का भारत के 20 राज्यों में कारोबार फैला हुआ है। कंपनी साल 1992 से विदेशों में भी चाय बिक्री के कारोबार में लगी हुई है। आज उसका विदेशों में 40 देशों में कारोबार फैला हुआ है। कारोबार के बढ़ाने के लिए कंपनी ने कई प्रोडेक्ट्स भी बाजार में उतारे। इसमें वाघ बकरी- गुड मॉर्निंग टी, वाघ बकरी-मिली टी, वाघ बकरी-नवचेतन टी और वाघ बकरी- प्रीमियम लीफ टी है। इसके अलावा कंपनी ने लेमन टी, ग्रीन टी, आइस्ड डी और कॉफी जैसे प्रोडेक्ट्स भी बाजार में लॉन्च किए। इस प्रोडेक्ट्स के जरिये कंपनी लोगों के बीच छाई हुई है।
कंपनी का कोरबार 2 हजार करोड़ का
पराग देसाई ने अमेरिका की लॉन्ग आइडैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की थी। वह वाघ बकरी चाय कंपनी के 6 ग्रुप ऑफ डायरेक्टर्स में से एक थे। साथ ही, वह कंपनी के लिए मार्केटिंग, सेल्स और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट का काम करते थे। इसके अलावा पराग एक टी टेस्टर एक्सपर्ट भी थे। वर्तमान में कंपनी का कुल कारोबार 2000 करोड़ रुपये है।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी है चाय कंपनी
आपको बता दें कि भारत में चाय ब्रांड में वाघ बकरी चाय तीसरा सबसे बड़ा ब्रांड है। देश के चाय कारोबार में टाटा टी का कब्जा है, जबकि दूसरे स्थान पर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड है। हालांकि गुजरात में वाघ बकरी चाय ब्रांड का बाजार में 50 फीसदी मार्केट कब्जा है।