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हथियारों के सौदागर संजय भंडारी का आभासी संसार

raghvendra
Published on: 12 Oct 2018 10:43 AM GMT
हथियारों के सौदागर संजय भंडारी का आभासी संसार
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रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: हाल ही में राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस के मोदी सरकार पर हमले के बाद भाजपा व केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा किये गए जवाबी हमले राबर्ट वाड्रा और उनके मित्र संजय भंडारी का नाम लिया गया। आइए जानते हैं कौन हैं यह संजयभंडारी, क्या थे उनके राबर्ट वाड्रा से रिश्ते और क्या है हथियारों के सौदागर संजय भंडारी का आभासी संसार। यूपीए से लेकर एनडीए तक संबंधों के तार, पांच सितारा लाइफस्टाइल और इसके बावजूद संजय भंडारी का लोगों की नजरों से बचे रहना किसी तिलिस्म से कम नहीं रहा है। 2016 के मध्य में हवाला डीलरों पर छापों तक यह सब कुछ ढका छुपा हुआ था।

1987 में बोफोर्स घोटाला उजागर होने के बाद से रक्षा सौदे और उसके दलाल सुर्खियों में है। अगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे पर जमी धूल अभी शायद पूरी तरह से हटी भी नहीं है कि एक अन्य हथियार डीलर और उसके राजनीतिकसंबंध सुर्खियों में हैं। राफेल सौदे पर कांग्रेस के सवालों और आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा ने इस बार फिर उसी संजय भंडारी का नाम उछाला है जिसे जनता के बीच कम ही जाना जाता है, भले ही वह पांच सितारा जीवनशैली कानेतृत्व करता हो। लेकिन यह नाम इस समय इसलिए उछला है क्योंकि संजय भंडारी के वीआईपी संपर्कों में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा का नाम प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर है और यह बात कोई ढकी छुपीनहीं है। इस पर आउटलुक ने 23 जून 2016 के अंक में विस्तार से रिपोर्ट दी थी। आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय अभी बरामद दस्तावेजों के अम्बार से जूझ रहा है।

दस्तावेजों से पता चलता है कि भंडारी के तमाम उच्चस्तरीय संपर्क थे। रक्षा मंत्रालय से जुड़े तमाम अहम दस्तावेज उसके कब्जे में थे। संयुक्त अरब अमीरात व लंदन में संपत्तियों के अलावा पनामा में स्थित एक कंपनी में उसकी हिस्सेदारी थे, लेकिन मीडिया लिए यह मामला तब सुर्खियां बन गया जब इसमें वाड्रा लिंक निकल आया। लंदन में एक अपार्टमेंट को लेकर संजय भंडारी ने वाड्रा के साथ सैकड़ों ई-मेल का आदान-प्रदान किया था। आईटी विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में संयुक्त अरब अमीरात व ब्रिटेन में संपत्तियों के स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज तलब किये। उस समय वाड्रा के वकीलों ने सेंट्रल लंदन स्थितसंपत्ति के दस्तावेज देने से मना कर दिया और मामला राजनीतिक रूप से तूल पकड़ गया। कांग्रेस ने उस समय भी यह आरोप लगाया था कि गांधी परिवार को खत्म करने के लिए भाजपा इस तरह के मामले बना रही है।

वाड्रा को जानने से भंडारी का इनकार नहीं

उधर आईटी विभाग को दिए बयान में भंडारी ने कहा है कि वह कागजातों को देखकर संपत्ति का स्वामित्व पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने वाड्रा को जानने से इनकार नहीं किया है। ईडी इस सूचना की भी जांच कर रही है कि ब्रायस्टन स्क्वायर में फ्लैट को संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी मेफेयर इंवेस्टमेंट एफजेई को 18 जून 2010 में बेचा गयाहै।रिकॉर्ड के अनुसार कंपनी के पास शारजाह का पता पोस्ट ऑफिस बॉक्स नं। 4 9 304, हमरीया फ्री जोन है।संजय भंडारी ने आईटी विभाग को दिए अपने बयान में कहा था कि उसने बोनाफाइड फंड्स का इस्तेमाल करके संयुक्त अरब अमीरात में संपत्ति खरीदी। इसके बाद ईडी ने पैसों के स्रोतों की जांच शुरू की।

वाड्रा के वकीलों ने उस समय आउटलुक से कहा था कि आपके द्वारा बताए जा रहे 12, एलर्टन हाउस, ब्रायनस्टन स्क्वायर, लंदन पते से उनके मुवक्किल वाड्रा का कोई घर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नहीं है। यह भी कहा कि वाड्रा व उनके सहयोगीसंजय भंडारी के साथ किसी भी आर्थिक लेन-देन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल नहीं रहे हैं। वाड्रा को यह भी पता नहीं है कि संजय भंडारी किसी भी रक्षा लेन देन में शामिल रहे हैं या नहीं। अब इसमें जहां तक वाड्रा की बात है तो कांग्रेस ने उस समय भी आरोप लगाए थे कि भाजपा सरकार सुनियोजित तरीके से गांधी परिवार पर हमला कर रही है जैसा कि अगस्ता मामले में था जिसमें बहुत से आरोप लगाए गए, लेकिन कुछ भी साबित नहीं हुआ। कांग्रेस का मानना रहा है कि भाजपा प्रियंका गांधी को निशाना बना रही है। इसके पहले वाड्रा का भूमि सौदों में नाम घसीटा गया था। अब उन्हें वाड्रा एक आसान शिकार लग रहा है।

भंडारी के मामले में झोल ही झोल

संजय भंडारी की गाथा अभी खत्म नहीं हुई है। लंदन में एक अपार्टमेंट केस्वामित्व के लिए भी वह जांच के घेरे में है। यह 2013 में बर्डन स्ट्रीट में दस करोड़ में खरीदा गया था। 2010-11 में दुबई में जुमेराह में एक और फ्लैट पांच करोड़ में खरीदा गया था। आयकर अधिकारियों का कहना है कि वहपनामा में एक कंपनी के मालिक भी हैं। यह जानकारी ईडी को भेजे गए एक दस्तावेज से सामने आई है। भंडारी के मामले में झोल ही झोल हैं। उसके रक्षा मंत्रालय में संबंध और एनडीए सरकार में मंत्रियों और राजनेताओं सेरिश्ते उजागर हुए हैं। कई संवेदनशील फाइलें मिलीं जिन्हें सत्यापन के लिए रक्षा मंत्रालय को भेजा गया। खुफिया एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैंकि ये फाइलें संजय के आफिस कैसे आईं।

भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह को किए कई कॉल

भंडारी और उनके सहयोगियों के बीच कॉल रिकॉर्ड यह भी दिखाते हैं कि उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह को कई कॉल किए और उनके साथ घनिष्ठ संपर्क में थे। श्री सिंह ने आउटलुक से कहा कि उन्होंने पिछले साल से भंडारी से केवल 45 बार बात की है। लेकिन आउटलुक द्वारा एक्सेस किए गए कॉल रिकॉर्ड विवरण (सीडीआर) एक अलग कहानी बताते हैं। 2 जी नेटवर्क पर 164 कॉल किए गए हैं और अधिकारी वीओआईपी नेटवर्क पर अन्य कॉल विवरण की पुष्टि कर रहे हैं। सिंह कहते हैं कि वह भंडारी के संपर्क में थे क्योंकि वह एक सामाजिक परिचित थे, लेकिन उनके व्यवसाय की प्रकृति के बारे में नहीं पता। मैं उन्हें कई वर्षों से परिवार के मित्र के रूप में जानता हूं और यहां तक कि उनकी बेटी की शादी में भी गया था। उन्हें पता था कि वह बहुत समृद्ध था, लेकिन उसका असली व्यवसाय छापे के बाद ही पता चला।

आखिर कैसे हासिल किए रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज

भंडारी का मुख्य फोकस रक्षा सौदों पर था। जांचकर्ताओं के लिए चिंता का विषय यह है कि उन्होंने रक्षा मंत्रालय से दस्तावेज कैसे प्राप्त किए। एमएचए की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य इनपुट के मुताबिक नाफे सिंह ने भंडारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के संबंध में फाइल चोरी करने के लिए संजय को दोषी ठहराया और फाइल मंत्रालय से गायब हो गई जो बाद में सडक़ पर बरामद हुई। भंडारी को एफ-16 और एफ-18 बोलीकर्ताओं के साथ संबंध रखने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और उपर्युक्त अमेरिकी दावेदारों को फाइल की फोटोकॉपी रिसीव करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। छापे के दौरान गुप्त दस्तावेज संजय के डिफेंस कॉलोनी स्थित फ्लैट में पाए गए थे।गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में भंडारी को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जो अपनी गतिविधियों और अपने व्यापार को एक रहस्य के आवरण में लपेट कर रखता है। वह अपने ड्राइवर को दूसरों के साथ मिलने की इजाजतभी नहीं देता। लोग उसके व्यापार के बारे में नहीं जानते हैं। अधिकारियों का दावा है, संजय ने व्हाट्सएप एंक्रिप्शन कोड तोडऩे के लिएएक सॉफ्टवेयर भी बनाया है।

आडवाणी व शीला दीक्षित से नजदीकी

आउटलुक ने उस समय मिले एक पुराने खुफिया नोट को उद्धृत किया था कि अतीत के दौरान लालकृष्ण आडवाणी और रॉबर्ट वाड्रा संजय के घर गए थे। संजय ने भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के साथ घनिष्ठता के दावे करतेहुए कहा था कि वह हर हफ्ते एक या दो बार टेलीफोन पर उनसे बात करता रहा है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आडवाणी के प्रवक्ता का कहना था कि मैंने उन्हें (संजय को) आडवाणी के निवास में कभी नहीं देखा। जबकि शीलादीक्षित का कहना था का कि सैकड़ों लोग रोज मुझसे मिलने आते रहे हैं। हो सकता है मै उससे मिली हूं, लेकिन मुझे नहीं पता वह कौन है।

वाड्रा और भंडारी के बीच ईमेल की लंबी शृंखला

मीडिया में आई खबरों के अनुसार स्थानीय भूमि अभिलेखों से पता चलता है कि 2005 तक के अभिलेख उक्त संपत्ति का स्वामित्व एक ब्रिटिश जोड़े के पास दिखाते हैं। इधर भंडारी के ई मेल की शृंखला एक ही संपत्ति फ्लैट 12,ब्रायनस्टन स्क्वायर, लंदन डब्ल्यू 1 एच 2 डीएन का हवाला देती है। जब जांच एजेंसियों ने डिफेंस कालोनी में उनके कार्यालय और ग्रेटर कैलाश में स्थित घर में छापा डाला तो संजय भंडारी अपने कम्प्यूटर को साफ करने में कामयाबरहे, लेकिन जांच दल को बड़ी सफलता उस समय हाथ लग गयी जब उनके सभी ई मेल की कापी उनके सेक्रेट्री के कम्प्यूटर से बरामद हो गई। यह भंडारी और वाड्रा के बीच ईमेल की लंबी शृंखला है जिससे कर एजेंसियां और प्रवर्तननिदेशालय के अधिकारी जूझते रहे हैं। सवाल यह है कि क्या भंडारी ने एक काल्पनिक नाम से लंदन में संपत्ति खरीदी। भंडारी के लंदन स्थित सहयोगी सुमित चड्ढा ने नवीनीकरण के भुगतान के संबंध में वाड्रा के सचिव को ई मेल क्यों किया? एक ई मेल में वाड्रा को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि वह इसमें देखेंगे।

राजू के ओएसडी अपा राव भी थे भंडारी के संपर्क में

नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू के ओएसडी अपा राव भी भंडारी के संपर्क में थे। एक विमानन प्रदर्शनी में मंत्री के बगल में भंडारी खड़ा है। अप्पा राव का कहना है कि यह एक पूरी तरह से पेशेवर संबंध था। कोईव्यक्तिगत लिंक नहीं। वह मंत्री से तीन या चार बार मिले और इस संबंध में मैं उनके संपर्क में था। भंडारी ने राव को कम से कम 355 कॉल किए थे। सीडीआर यह भी बताते हैं कि संजय विभिन्न मंत्रालयों के कई नौकरशाहों केसंपर्क में था। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि भंडारी डॉ.पीके वासुदेव की सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। वासुदेव, डीआरडीओ से सेवानिवृत्त रक्षा वैज्ञानिक हैं, अन्य सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों के अलावा हिंदुस्तान टाइम्स के एक वरिष्ठ संपादक रहे शिशिर गुप्ता भी स्कैनर पर हैं। सीडीआर भंडारी से 478 कॉल दिखाते हैं। उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन इससे उनकी पेशेवर क्षमता को समझा जा सकता था। भंडारी द्वारा एक विमानचार्टर कंपनी के प्रमुख को भी किए गए कई कॉल स्कैनर पर हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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