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Weather Update : अब रातें भी ठंडी नहीं हो रहीं, हालात और भी होंगे बदतर

Weather Update : गर्मियों के मौसम में कम से कम रातें कुछ शीतलता लातीं थीं, लेकिन अब वह भी नहीं हो रहा। अब तो दिन और रात के तापमान में कोई ख़ास अंतर भी नहीं रहा है। स्थितियां खराब हैं, खासकर बड़े शहरों में। एक अध्ययन में चेतावनी दी गयी है कि आने वाले वर्षों में स्थितियां और भी खराब होने वाली हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 28 May 2024 9:07 PM IST
Weather Update : अब रातें भी ठंडी नहीं हो रहीं, हालात और भी होंगे बदतर
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Weather Update : गर्मियों के मौसम में कम से कम रातें कुछ शीतलता लातीं थीं, लेकिन अब वह भी नहीं हो रहा। अब तो दिन और रात के तापमान में कोई ख़ास अंतर भी नहीं रहा है। स्थितियां खराब हैं, खासकर बड़े शहरों में। एक अध्ययन में चेतावनी दी गयी है कि आने वाले वर्षों में स्थितियां और भी खराब होने वाली हैं। इस सीजन की बात करें तो अप्रैल में ओडिशा में 18 हीटवेव दिन दर्ज किए गए, जबकि पश्चिम बंगाल में 16 दिन रिकॉर्ड किए गए। इन दिनों राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कुछ हिस्सों में लम्बे समय से हीटवेव का दौर जारी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कम से कम तीन दिनों तक राहत नहीं मिलने का अनुमान लगाया है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन के अनुसार पिछले दो दशकों में ह्यूमिडिटी के बढ़ते जाने के ट्रेंड की वजह से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता और हैदराबाद जैसे महानगरों में "गर्मी का स्ट्रेस" बदतर हो रहा है। असलियत में ये स्थिति सिर्फ मेगा महानगरों नहीं बल्कि लखनऊ जैसे शहरों की भी हो रही है।

हो क्या रहा है?

रिलेटिव ह्यूमिडिटी बढ़ने के अलावा शहरों में रातें भी गर्म हो रही हैं क्योंकि जमीन की सतह का तापमान रातों में उस रफ़्तार से नहीं गिर रहा है जिस रफ़्तार से एक दशक पहले गिरता था। इसके लिए "शहरी हीट इफ़ेक्ट" को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस इफ़ेक्ट का मतलब कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में बढ़ोतरी, ग्रीन बेल्ट में गिरावट, भीड़भाड़, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा ऊष्मा अवशोषण और मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न ऊष्मा के कारण गर्मी के फँसने से है। इसके कारण महानगरों का सेंटर विशेष रूप से रात में बाहरी इलाकों की तुलना में अधिक गर्म हो जाता है।

खतरनाक रातें

सीएसई के अनुसार, गर्म रातें दोपहर के चरम तापमान जितनी ही खतरनाक होती हैं। अगर रात भर तापमान अधिक रहता है तो लोगों को दिन की गर्मी से उबरने का बहुत कम मौका मिलता है।

देश में इस गर्मी में लंबे समय तक लू चल रही है।

भीषण गर्मी और ह्यूमिडिटी के कम्बीनेशन का असर मानव शरीर के मुख्य कुलिंग तंत्र यानी पसीने को गड़बड़ा सकता है। त्वचा से पसीने का वाष्पीकरण हमारे शरीर को ठंडा करता है, लेकिन हाई ह्यूमिडिटी का लेवल इस प्राकृतिक ठंडक को सीमित कर देता है। इस कम्बीनेशन से लोग बीमार पड़ सकते हैं और कुछ मामलों में कम तापमान पर भी यह घातक साबित हो सकता है।

किसको दोष दें?

विश्लेषण में कहा गया है कि दिल्ली में निर्मित क्षेत्र में वृद्धि और शहरी हीट स्ट्रेस में वृद्धि के बीच सीधा संबंध है। विश्लेषण में कहा गया है कि ज्यादा पेड़ होने से दिन के तापमान पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन रात के तापमान और शहर में बढ़ते ताप सूचकांक पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मतलब ये कि कंस्ट्रक्शन करते जाने से हालात खराब ही होंगे भले ही कितने पेड़ लगा लिए जाएँ।

विश्लेषण में कहा गया है कि छह शहरों में गर्मी सूचकांक मार्च से मई की प्री-मानसून अवधि की तुलना में मानसून अवधि में अधिक पाया गया। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में मानसून अवधि गर्म हो गई है, जबकि चेन्नई में, मानसून के दौरान मामूली ठंडक गायब हो गई है। बेंगलुरु और हैदराबाद में, मानसून अभी भी प्री-मानसून की तुलना में थोड़ा ठंडा था।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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