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साप्ताहिक समीक्षा: ऐसा है शेयर बाजार का हाल, मिडकैप, स्मॉलकैप में आई तेजी

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Published on: 2 Sept 2017 11:00 AM IST
साप्ताहिक समीक्षा: ऐसा है शेयर बाजार का हाल, मिडकैप, स्मॉलकैप में आई तेजी
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नई दिल्ली: बीते सप्ताह सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में प्रभावशाली बढ़ोतरी देखी गई। वहीं, मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई। बाजार पर भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद के समाधान का भी सकारात्मक असर पड़ा।

साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 296.17 अंकों या 0.93 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 31,892.23 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 117.35 अंकों या 1.19 फीसदी की वृद्धि के साथ 9,974.40 पर बंद हुआ। मिडकैप सूचकांक में 2.84 फीसदी और स्मॉलकैप में 3.09 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

सोमवार को सेंसेक्स में 154.76 अंकों या 0.49 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 31,750.82 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स 362.43 अंकों या 1.14 फीसदी की गिरावट के साथ 31,388.39 पर बंद हुआ। बुधवार को सेंसेक्स में फिर तेजी लौटी और यह 258.07 अंकों या 0.82 फीसदी की तेजी के साथ 31.646.46 पर बंद हुआ।

सेसेक्स गुरुवार को 84.03 अंकों या 0.27 फीसदी की तेजी के साथ 31,730.49 पर बंद हुआ, जबकि शुक्रवार को यह 161.74 अंकों या 0.51 फीसदी की तेजी के साथ 31,892.23 पर बंद हुआ।

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इस सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे- इंफोसिस (0.83 फीसदी), विप्रो (2.49 फीसदी), डॉ. रेड्डी (6.2 फीसदी), ल्यूपिन (0.18 फीसदी), मारुति सुजुकी इंडिया (2.77 फीसदी), टाटा मोटर्स (1.74 फीसदी), बजाज ऑटो (6.74 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.68 फीसदी) और एलएंडटी (0.74 फीसदी)।

सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे- महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.96 फीसदी), भारती एयरटेल (2.4 फीसदी) और एनटीपीसी (0.59 फीसदी)।

व्यापक आर्थिक आंकड़ों के मोर्चे पर, देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर में चालू वित्त वर्ष की जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान गिरावट दर्ज की गई और यह वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में दर्ज 6.1 फीसदी से घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.9 फीसदी थी।

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आधिकारिक आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 फीसदी या 31.10 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान इसकी वृद्धि दर 6.1 फीसदी थी।

सीएसओ द्वारा जारी बयान में कहा गया, "वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 31.10 लाख करोड़ की जीडीपी का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में यह 29.42 लाख करोड़ रुपये थी।"

सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के संबंध में जिसमें अप्रत्यक्ष करों और सब्सिडियों को शामिल नहीं किया जाता है, जीडीपी की विकास दर पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 5.6 फीसदी रही है।

मुख्य सांख्यिकीविद टी.सी.ए. अनंत ने यहां जीडीपी आंकड़े जारी करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि विकास दर में गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र में आई गिरावट है। निर्माण क्षेत्र की विकास दर समीक्षाधीन तिमाही में 1.2 फीसदी रही।

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उन्होंने कहा, "मुख्य रूप से उद्योग क्षेत्र में तेज गिरावट आई है, जो प्रमुख क्षेत्र है।"

वहीं, देश के विनिर्माण क्षेत्र की सेहत में अगस्त में सुधार देखा गया है, जिसका प्रमुख कारण नए ऑर्डर, उत्पादन और रोजगार में आई तेजी है।

निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), जो कि विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र संकेतक है, अगस्त में 51.2 पर रहा, जबकि जुलाई में 47.9 पर था। इसमें आई तेजी इस क्षेत्र में सुधार का संकेत है।

इस सूचकांक में 50 से ऊपर का अंक आर्थिक गतिविधियों में सक्रियता का सूचक है, तथा 50 से नीचे का अंक कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियों में मंदी का सूचक है।

इस रपट की लेखिका और आईएचएस मार्किट की प्रमुख अर्थशास्त्री पॉलयाना का कहना है, "अगस्त के पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि भारत तेज गिरावट के बाद जीएसटी लागू होने के बाद तेजी से सुधार कर रहा है।"

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उन्होंने कहा, "जुलाई में कंपनियों ने संकेत दिया था कि ऑर्डर, उत्पादन और खरीद नए कर शासन के बारे में अस्पष्टता के कारण स्थगित है, लेकिन अब उसमें तेजी वापस लौट आई है, क्योंकि उत्पादक, आपूर्तिकर्ता और उनके ग्राहक जीएसटी दरों के बारे में अधिक जानकार बन चुके हैं।"

वहीं, राजीव कुमार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पदभार शुक्रवार को संभाल लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आई मंदी का जिम्मेदार नोटबंदी नहीं है।

उन्होंने कहा, "नोटबंदी को जीडीपी में गिरावट के कारण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। नकदी की कमी महज छह हफ्तों के लिए ही थी, उसके बाद से जनवरी (2017) से स्थिति में सुधार हुआ है।"

कुमार को अरविन्द पनगढ़िया की जगह उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय की अपनी शिक्षक की नौकरी में लौट गए हैं।

--आईएएनएस

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