पश्चिम बंगाल चुनाव: इन दलों के साथ अपनी नैया पार करेगी कांग्रेस

कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने में जुट गई है। पश्चिम बंगाल में यह दूसरी बार होगा, जब दोनों पार्टियां गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी

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Published on: 20 Nov 2020 5:17 AM GMT
पश्चिम बंगाल चुनाव: इन दलों के साथ अपनी नैया पार करेगी कांग्रेस
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पश्चिम बंगाल चुनाव: इन दलों के साथ अपनी नैया पार करेगी कांग्रेस (Photo by social media)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए इन दिनों सभी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। मुख्य मुकाबला सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस दौड़ में वामदलों की मंशा एक बार फिर सत्ता वापसी पर टिकी हुई है। उसे उम्मीद है कि कांग्रेस के साथ गठबन्धन के साथ वह अपने मंसूबे कामयाब कर सकती है। पर प्रदेश में कमजोर होती जा रही कांग्रेस को भी अगले विधानसभा चुनाव में अपने अस्तित्व को बचाए रखने की कड़ी चुनौती होगी।

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कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने में जुट गई है

कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने में जुट गई है। पश्चिम बंगाल में यह दूसरी बार होगा, जब दोनों पार्टियां गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। दरसअल इस प्रदेश में दोनों ही दल कमजोर होते जा रहे है। कांग्रेस से जब से ममता बनर्जी अलग हुई और उन्होंने अपना दल बना लिया तब से कांग्रेस को संभालने वाला इस प्रदेश में कोई नेता नहीं है।

cpi-congress cpi-congress (Photo by social media)

कहा जा रहा है कि कांग्रेस लेफ्ट गठबंधन चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकता है। पार्टी के अंदर एक तबके का मानना था कि कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लेफ्ट गठबंधन में पार्टी को 44 सीट मिली थी। जबकि अधिक सीट पर चुनाव लड़ने के बावजूद सीपीएम को 26 सीट मिली। यही वजह है कि लेफ्ट के अंदर कांग्रेस से समझौते का विरोध हुआ और दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा पर इससे दोनों दलों को नुकसान हुआ। अब एक बार फिर इसी बात की संभावना जताई जा रही है।

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साल 2016 के विधानसभा चुनावों में CPI को टोटल 26 सीटें मिली

साल 2016 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो सीपीएम को कुल मिलाकर 26 सीटें मिली थीं। पार्टी को कुल 19.75 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस को उन विधानसभा चुनावों में 44 सीटें मिली थीं और उसके लिए सूबे के 12.25 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला था। भाजपा उन चुनावों में काफी पीछे थी और 10.16 प्रतिशत मतों के साथ उसके खाते में सिर्फ 3 सीटें आई थीं। हालांकि अब मामला बिल्कुल पलट चुका है और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सूबे की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लोकसभा चुनावों में भाजपा को कुल 40.64 प्रतिशत वोट मिले थे, और उसने 42 में से 18 सीटें जीत ली थीं।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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