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West Bengal Politics: ममता ने भतीजे अभिषेक का कद बढ़ाया, अब बढ़ चढ़ कर ले रहे फैसले
West Bengal Politics: तृणमूल कांग्रेस द्वारा अपने नेताओं के खिलाफ कभी इतनी तेजी से कार्रवाई नहीं की गई है। पार्टी के टॉप नेताओं में शामिल पार्थ बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की गति और सख्ती अभूतपूर्व है।
West Bengal Politics: ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने पार्थ चटर्जी को जिस तेजी से कैबिनेट मंत्री के पद से हटाया, उनसे सभी सरकारी और पार्टी विभागों को छीना और पार्टी से सस्पेंड किया उससे साफ है कि पार्टी में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी काफी आगे बढ़ कर निर्णय ले रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस द्वारा अपने नेताओं के खिलाफ कभी इतनी तेजी से कार्रवाई नहीं की गई है। पार्टी के टॉप नेताओं में शामिल पार्थ बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की गति और सख्ती अभूतपूर्व है।
टीएमसी के अखिल भारतीय महासचिव और तेजी से उभरते सितारे, अभिषेक अपनी चाची ममता बनर्जी के पुराने सिपहसालरों को ध्यान में रखते हुए अपना समय बिता रहे थे। लेकिन चटर्जी की गिरफ्तारी और उनसे जुड़े परिसरों से करोड़ों की बरामदगी टीएमसी के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात साबित हुई है और ऐसे में अभिषेक के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है।
पिछले साल पश्चिम बंगाल में टीएमसी की शानदार विजय के बाद के दिनों में अभिषेक को मुख्य रूप से राज्य के बाहर पार्टी को बढ़ने में मदद करने का काम सौंपा गया था। हालाँकि, गोवा और त्रिपुरा में असफलताओं के बाद अभिषेक का ध्यान वापस बंगाल पर हो गया है।
हाल के दिनों में अभिषेक को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं हैं। कई वरिष्ठनेताओं को दरकिनार कर उन्हें टीएमसी के मुख्य ट्रबुलशूटर और नीति प्रवक्ता के रूप में एक सार्वजनिक प्रोफ़ाइल दी गई है। अभिषेक बनर्जी ने ही घोषणा की थी कि टीएमसी, उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी। ममता बनर्जी इस मौके पर कहीं नहीं दिखीं।
बीते गुरुवार को मंत्री पद से पार्थ चटर्जी को हटाए जाने के बाद, अभिषेक ने फिर से अनुशासन समिति की बैठक की, जहां यह निर्णय लिया गया कि पार्थ को टीएमसी महासचिव के पद से भी हटा दिया जाएगा। उसी दिन, अभिषेक ने स्कूल घोटाले के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों तथा नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीदवारों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ है। शनिवार को उन्होंने उनके साथ बैठक भी की।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पार्थ चटर्जी के खिलाफ चीजें जिस गति से आगे बढ़ रही हैं, उससे पार्टी नेता हैरान हैं, क्योंकि पार्टी ने पहले कभी इसी तरह के मामलों में इतनी तत्परता के साथ प्रतिक्रिया नहीं दी थी। 'विपक्ष ने जैसे ही चटर्जी को मंत्रालय से हटाने की मांग तेज की, पार्टी के भीतर से भी इसी तरह की मांग उठी। गुरुवार की सुबह, अभिषेक के करीबी पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने उन्हें हटाने की मांग की। पार्टी के वरिष्ठ नेता चुप्पी साधे रहे लेकिन अभिषेक ने जल्दी से निर्णय लिया और ममता सहित वरिष्ठ नेताओं को यह समझाने में सफल रहे कि अब पार्थ पर कार्रवाई ही एकमात्र तरीका है।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से अभिषेक खेमा अपने 34 वर्षीय नेता को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक योद्धा के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि एक कोयला तस्करी मामले में खुद अभिषेक और उनकी पत्नी रुजीरा के नाम जुड़े हुये हैं।
इस साल की शुरुआत में स्थानीय निकाय चुनावों के समय अभिषेक और ममता के बीच कुछ तनाव की बात सामने आई थी, लेकिन यह बात भी सही है अब जो अभिषेक कर रहे हैं उसमें उनकी चाची का आशीर्वाद मिला हुआ है।