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West Bengal Teacher Scam: भर्ती घोटाले में ममता सरकार पर गहरा संकट, कई साथी केन्द्रीय एजेंसियों के राडार पर

West Bengal Teacher Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की आंच बढ़ती जा रही है और ये ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है।

Neel Mani Lal
Published on: 23 July 2022 12:13 PM IST (Updated on: 23 July 2022 5:49 PM IST)
ममता बनर्जी और पार्थ चटर्जी
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ममता बनर्जी और पार्थ चटर्जी ( साभार सोशल मीडिया)

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West Bengal Teacher Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की आंच बढ़ती जा रही है और ये ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है। अब ममता बनर्जी के निकट सहयोगी पार्थ चटर्जी को ईडी ने गिरफ्तार किया है जिसके मायने हैं कि तृणमूल कांग्रेस के और भी लोगों तक केंद्रीय एजेंसियों के हाथ पहुंचना तय है। इस घोटाले में पार्थ चटर्जी के अलावा वर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं। परेश अधिकारी की बेटी अंकिता, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष शांति प्रसाद सिन्हा, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली और नौ अन्य लोग फंसे हुए हैं।

सीपीएम को दोषी ठहराया

इस बीच ममता बनर्जी ने अब शिक्षक घोटाले के लिए सीपीएम को दोषी ठहराया है। दो दिन पहले टीएमसी द्वारा आयोजित शहीद दिवस पर ममता ने कहा था कि।पूर्व वाम मोर्चा सरकार ने जन्म प्रमाण पत्र के साथ 'हेराफेरी' की है। उन्होंने कहा कि माकपा के मुखपत्र में काम करने वाले पत्रकारों, उनकी पत्नियों को योग्यता के बगैर शिक्षक के रूप में नौकरी मिली। ममता बनर्जी ने कहा कि माकपा की विचारधारा थी कि पुरुष पार्टी के लिए काम करेंगे और महिलाएं नौकरी करेंगी। ममता ने कहा कि - मैं बदला नहीं चाहती इसलिए मैं चुप हूं।

यह रहा पूरा मामला

दरअसल बंगाल में शिक्षक भर्ती में घोटाले के दो अलग अलग मामले हैं। एक मामला राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के माध्यम से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती का है जबकि दूसरा मामला पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के तहत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की भर्ती का है।

एसएलएसटी के माध्यम से पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना 2014 में प्रकाशित हुई और भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। बाद में भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कम अंक प्राप्त करने वाले कई परीक्षार्थियों ने मेरिट सूची में उच्च स्थान प्राप्त किया। यह भी आरोप थे कि कुछ ऐसे आवेदकों को को नियुक्ति पत्र दिए गए जो मेरिट सूची में थे ही नहीं। अधिकारियों ने कथित तौर पर उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें ऊंची रैंक देने के लिए omr शीट में हेरफेर की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए।

घोटाले का दूसरा मामला ग्रुप डी की भर्तियों का है। 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 13,000 ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। भर्ती के लिए एक पैनल बनाया गया था। 2019 में, नियुक्तियां करने वाले पैनल की समय सीमा समाप्त हो गई थी, लेकिन इसके बाद भी ये पैनल नियुक्तियां करता रहा। ममता ने कई वर्षों से पश्चिम बंगाल के मुद्दों में सीबीआई के हस्तक्षेप का विरोध किया है। जिसमें नारद स्टिंग ऑपरेशन, शारदा चिटफंड घोटाले से लेकर मवेशी और कोयले की तस्करी की जांच के अलावा चुनाव के बाद की हिंसा की जांच शामिल है। 2018 में ममता ने केंद्र सरकार द्वारा "दुरुपयोग" की संभावना का हवाला देते हुए, सीबीआई को जांच करने के लिए "सामान्य सहमति" वापस ले ली थी। ये मामला कोर्ट तक भी पहुंचा था।लेकिन कोर्ट ने सीबीआई जांच की अनुमति दे दी। अब तो बंगाल में सीबीआई के अलावा ईडी की एंट्री हो गई है।



Prashant Dixit

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