केजरीवाल के इस्तीफे का आप और देश की राजनीति पर क्या असर होगा,क्यों दे रहे इस्तीफा,क्या हैं इसके सियासी मायने

AAP Leader Arvind Kejriwal: जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान कर दिया है। केजरीवाल ने दो दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है।

Anshuman Tiwari
Published on: 15 Sep 2024 9:07 AM GMT
Arvind Kejriwal ( Pic- Social- Media)
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Arvind Kejriwal ( Pic- Social- Media)

AAP Leader Arvind Kejriwal: दिल्ली के शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान कर दिया है। केजरीवाल ने दो दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। भाजपा ने लंबे समय से केजरीवाल पर इस्तीफे के लिए दबाव बना रखा था। पार्टी का कहना था कि जब केजरीवाल सीएम के दफ्तर नहीं जा सकते और फाइलों पर साइन नहीं कर सकते तो उन्हें ऐसे में मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए।


केजरीवाल के इस ऐलान को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। केजरीवाल ने कहा है कि वे तब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे जब तक जनता यह फैसला नहीं कर देती कि केजरीवाल ईमानदार है। ऐसे में साफ हो गया है कि अब अगले विधानसभा चुनाव तक आप का कोई अन्य नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेगा। केजरीवाल ने अपने इस ऐलान के जरिए यह साबित करने की भी कोशिश की है कि उन्हें आरोपों के बाद मुख्यमंत्री पद से चिपके रहने का शौक नहीं है।

अब जनता की अदालत में होगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिलने के बाद अभी दो दिन पूर्व तिहाड़ जेल से केजरीवाल की रिहाई हुई थी। तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल लगातार सक्रिय बने हुए हैं। उनकी रिहाई से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार हुआ है। इसके साथ ही उनकी रिहाई इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जल्द ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।


कांग्रेस से गठबंधन संबंधी बातचीत टूटने के बाद आप ने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। अब हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने एक और बड़ा सियासी कदम उठा लिया है।मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के ऐलान के साथ ही केजरीवाल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे जनता की अदालत के फैसले को मानेंगे। अगर जनता ने उन्हें फिर समर्थन दिया, तभी वे दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालेंगे।

दिल्ली में जल्द विधानसभा चुनाव का दबाव

केजरीवाल ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव तुरंत करने की मांग यूं ही नहीं की है। दरअसल चुनाव आयोग ने झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का तो ऐलान कर दिया था मगर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखें अभी तक घोषित नहीं की गई हैं। अब केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की मांग करके चुनाव आयोग पर भी दबाव बढ़ा दिया है।केजरीवाल ने जमानत के समय सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई गई शर्तों का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग लगातार इन शर्तों का जिक्र करते हुए मुझसे इस्तीफा मांग रहे हैं।


ईमानदारी साबित करने के लिए मांगा समर्थन

सच्चाई तो यह है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान मुझ पर शर्तें लगाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई। केंद्र सरकार ने कानून बनाकर मुझे काम करने से रोकने की कोशिश की। इसीलिए अब मुझे लोगों के फैसले का इंतजार है।अगर दिल्ली के लोग मानते हैं कि केजरीवाल ईमानदार है तो उन्हें मेरे पक्ष में जमकर मतदान करना चाहिए। इसलिए मेरी मांग है कि नवंबर में महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली के भी विधानसभा चुनाव करा लिए जाएं ताकि सच्चाई का पता लग सके।

भाजपा के आरोपों की हवा निकालने की कोशिश

सियासी जानकारों का मानना है कि अपने इस ऐलान के जरिए केजरीवाल यह साबित करना चाहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का कोई लोभ नहीं है। इसके साथ ही वे भाजपा के इन आरोपों की हवा भी निकालना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तमाम शर्तें लगाए जाने के बावजूद वे कुर्सी से चिपके हुए हैं। दिल्ली के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेव और सांसद मनोज तिवारी ने यह आरोप लगाते हुए केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की थी।


यही कारण है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान करते हुए दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की मांग भी कर डाली है। दिल्ली में आप और कांग्रेस के गठबंधन के बावजूद लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। वैसे दिल्ली के विधानसभा चुनाव में दूसरी सियासी तस्वीर उभरती रही है। ऐसे में केजरीवाल को विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है।

सिसोदिया को लेकर भी किया बड़ा ऐलान

इसके साथ ही केजरीवाल यह भी साबित करना चाहते हैं कि उनकी सिद्धांतों वाली ईमानदार राजनीति में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया है और भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करते हुए उन्हें फंसाया है। दिल्ली के शराब घोटाले में केजरीवाल के साथ ही दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का नाम भी सामने आया था। इस कारण सिसोदिया को भी लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ी थी।


केजरीवाल दिल्ली के मतदाताओं को यह बताना चाहते हैं कि उन्हें और सिसोदिया दोनों को झूठे मामले में फंसाया गया है। इसी कारण उन्होंने यह भी ऐलान कर दिया है कि सिसोदिया भी कोई पद नहीं संभालेंगे। उन्होंने साफ किया कि सिसोदिया ने मुझसे कहा है कि जनता की अदालत से चुनकर आने के बाद ही वे डिप्टी सीएम या शिक्षा मंत्री जैसा कोई पद संभालेंगे।

अब इस्तीफे को मुद्दा बनाएंगे केजरीवाल

केजरीवाल का यह दांव बड़ा सियासी असर डालने वाला साबित हो सकता है। केजरीवाल जल्द ही हरियाणा के चुनाव प्रचार में सक्रिय होने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि हरियाणा की जनसभाओं में केजरीवाल अपने इस्तीफे को हर भाषण में दोहराते हुए भाजपा पर तीखा हमला करेंगे। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है मगर आप भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है।


भाजपा के खिलाफ और आक्रामक होगा रुख

केजरीवाल ने दावा किया है कि उनकी छोटी सी पार्टी ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी है और अब वे इसे देश में बड़ा मुद्दा बनाने जा रहे हैं। अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए केजरीवाल ने भाजपा से यह आरोप लगाने का हथियार छीन लिया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तमाम शर्तें लगाए जाने के बावजूद केजरीवाल कुर्सी से चिपके हुए हैं।

जानकारों का मानना है कि भाजपा से यह हथियार छीनने के बाद अब केजरीवाल हमलावर मुद्रा में दिखेंगे और पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा को घेरने की कोशिश करेंगे। केजरीवाल समेत आप के सभी नेता पहले ही पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह पर हमला बोलते रहे हैं मगर अब उनका रुख और ज्यादा आक्रामक होगा।

Shalini Rai

Shalini Rai

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