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Delhi Politics: दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद क्या होगा आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का भविष्य?

Delhi Politics: दिल्ली का चुनाव आम आदमी पार्टी और केजरीवाल हार चुके हैं। ऐसे में सब की नजरें इसी पर टिकी हैं कि भविष्य में इसका क्या होगा।

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Newstrack Network
Published on: 9 Feb 2025 8:22 AM IST
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Delhi Politics: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। 11 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने के बाद अरविंद केजरीवाल को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इस चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया, जबकि आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट गई। इस हार के साथ ही केजरीवाल और उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

AAP की हार और केजरीवाल के लिए बड़ा झटका

यह हार केवल आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि खुद अरविंद केजरीवाल के लिए भी एक बड़ा झटका है। पहली बार ऐसा हुआ है जब केजरीवाल अपनी विधानसभा सीट हार गए। इसके अलावा मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज जैसे पार्टी के दिग्गज नेता भी चुनाव हार चुके हैं। इससे पार्टी का मनोबल प्रभावित हुआ है और पार्टी का नेतृत्व संकट में आ सकता है।

क्या AAP के लिए दिल्ली का किला ढह गया?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के साथ ही उसके विकास मॉडल पर भी सवाल उठने लगे हैं। केजरीवाल सरकार की शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों को अब तक चुनावों में सफलता मिलती रही थी, लेकिन इस बार जनता ने उसे पूरी तरह नकार दिया। बीजेपी की शानदार जीत यह दिखाती है कि दिल्ली के मतदाता बदलाव चाहते थे।

इस हार का असर केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ सालों में राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने की कोशिश की थी और पंजाब में सरकार भी बनाई थी। लेकिन दिल्ली में हार के बाद पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका पर सवाल उठ सकते हैं।

अब विपक्ष में कैसे करेगी AAP राजनीति?

दिल्ली में अब पहली बार आम आदमी पार्टी विपक्ष में बैठेगी। सवाल यह है कि बीजेपी की सरकार के खिलाफ कौन मजबूत विपक्षी नेता होगा, क्योंकि केजरीवाल, सिसोदिया और कई बड़े चेहरे चुनाव हार चुके हैं। फिलहाल गोपाल राय और आतिशी जैसे नेताओं की भूमिका अहम हो सकती है, लेकिन क्या वे बीजेपी सरकार को प्रभावी तरीके से चुनौती दे पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।

पार्टी के लिए आगे की राह कितनी मुश्किल?

आम आदमी पार्टी को अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए अब नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। चुनावों में हार के बाद विधायकों को पार्टी से जोड़े रखना भी एक चुनौती होगी। आम आदमी पार्टी किसी एक विचारधारा पर आधारित पार्टी नहीं है, बल्कि इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर बनाया गया था। सत्ता में रहने से पार्टी को मजबूती मिली, लेकिन अब सत्ता से बाहर रहने के बाद पार्टी को अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की चुनौती होगी।

क्या राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होगी AAP?

दिल्ली में हार का असर पंजाब की राजनीति पर भी पड़ेगा। आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी बनने की जो कोशिश की थी, उस पर भी ब्रेक लग सकता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ AAP का गठबंधन कमजोर हो सकता है, क्योंकि दिल्ली में हार के बाद उसकी सियासी ताकत पर सवाल उठेंगे।

केजरीवाल क्या करेंगे?

अरविंद केजरीवाल के लिए यह हार व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा झटका है। अन्ना आंदोलन से राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल ने 2013 में दिल्ली में सरकार बनाई थी। इसके बाद 2015 और 2020 में जबरदस्त जीत हासिल कर सत्ता में बने रहे। लेकिन अब सत्ता से बाहर रहने के बाद उनके नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं। अब देखना होगा कि केजरीवाल इस हार से उबरकर अपनी पार्टी को कैसे दोबारा मजबूत करते हैं। क्या वे दिल्ली में विपक्ष के रूप में मजबूती से उभरेंगे, या फिर पार्टी का अस्तित्व कमजोर होता जाएगा? यह आने वाले समय में साफ होगा।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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