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Andhra skill development scam: गहरे तार हैं आंध्र के स्किल डेवलपमेंट घोटाले के, 750 Cr. की हेराफेरी का आरोप

Andhra skill development scam: आंध्र प्रदेश में 9 साल पहले स्किल डेवलपमेंट के नाम पर एक बड़ा घोटाला हुआ था। जिसके तार उत्तर प्रदेश से निकले हैं। CID जांच करते हुए नोएडा तक पहुंच चुकी है। इस स्कैम में कई बड़ी मछलियां शामिल हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 26 March 2023 4:05 AM IST
Andhra skill development scam: गहरे तार हैं आंध्र के स्किल डेवलपमेंट घोटाले के, 750 Cr. की हेराफेरी का आरोप
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Andhra Skill Development Scam: आंध्र प्रदेश में आज से 9 साल पहले स्किल डेवलपमेंट (Skill Development Scam) के नाम पर एक बड़ा घोटाला हुआ था। घोटाले की जांच में आंध्र की सीआईडी ने इस मामले के तार यूपी तक खोज निकाले। इसी कड़ी में CID टीम शनिवार (25 मार्च) को एक बड़ी गिरफ्तारी करने पहुंची थी। लेकिन, मकान पर ताला लटका मिला।

दरअसल, ये घोटाला कोई छोटा नहीं, बल्कि 750 करोड़ रुपए का बताया जाता है। जिसे आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम, सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के लोगों द्वारा अंजाम दिया गया।

नोएडा पहुंची CID टीम

आंध्र प्रदेश की सीआईडी सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व कर्मचारी जी.वी.एस. भास्कर को गिरफ्तार करने उनके नोएडा स्थित आवास पर गई थी। इन्हीं शख्स की आईएएस पत्नी को जोड़-तोड़ से कैडर ट्रांसफर कर यूपी से आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम के डिप्टी सीईओ के पद पर बैठाया गया था।

क्या है मामला?

यह घोटाला 2014 का है। जब आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की सरकार ने सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक ग्रुप के साथ 3,300 करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किए। ये कंपनी विभिन्न राज्य सरकारों के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करती है। राज्य सरकार द्वारा एक जीओ जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि सीमेंस 3300 करोड़ रुपए के कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता के छह केंद्र स्थापित करेगा। मामले का पर्दाफाश 2017 में तब हुआ जब जीएसटी की कर जांच शाखा, जीएसटी इंटेलिजेंस, पुणे ने करोड़ों रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी को पकड़ा। जीएसटी के जासूसों ने डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और स्किलर एंटरप्राइजेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चालान को क्रॉसचेक किया जिसके बाद मामले के तार आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (एपीएसएसडीसी), विजयवाड़ा तक जुड़े मिले।

जांच में क्या मिला?

इस मामले की जांच सीआईडी को दी गई। जिसने जांच के दौरान पाया कि स्किल डेवलपमेंट की इस परियोजना के लिए कोई निविदा नहीं मांगी गई थी। सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया और डिजाइन टेक ने इस परियोजना पर अपने संसाधनों से एक रुपया भी खर्च नहीं किया था। बल्कि, उन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना लागत के लिए दिए गए 10 फीसदी हिस्से यानी 371 करोड़ रुपये को हड़प लिया। ये पैसा बड़ी शेल कंपनियों में लगाया गया।

26 लोगों पर आरोप

एपीएसएसडीसी के अध्यक्ष के. अजय रेड्डी की शिकायत के आधार पर, सीआईडी ने कुछ सरकारी अधिकारियों सहित 26 व्यक्तियों की भूमिका के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, शेल कंपनियों द्वारा जनता के धन की हेराफेरी की गई। आरोपियों ने फर्जी चालान बनाकर सरकार से 241 करोड़ रुपये की ठगी की। निगम के पूर्व एमडी और सीईओ गंटा सुब्बाराव, और निगम के निदेशक डॉ. के लक्ष्मी नारायण, रिटायर्ड आईएएस को घोटाले में सीआईडी द्वारा नामित किया गया है।

घोटाले में भास्कर की भूमिका

सीआईडी अधिकारियों के अनुसार, भास्कर अन्य आरोपियों के साथ हेरफेर और परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में शामिल रहा है। उसने सीमेंस कौशल विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन कृत्रिम रूप से बढ़ाकर 3300 करोड़ रुपये कर दिया था। इसके चलते आंध्र प्रदेश सरकार का योगदान 371 करोड़ रुपये बना। आरोप है कि 3300 करोड़ की बना दी गई इस परियोजना के सॉफ्टवेयर की असली लागत मात्र 58 करोड़ थी।

एमओयू में हेरफेर

सीमेंस कौशल विकास कार्यक्रम के संबंध में सरकार के आदेश में परिकल्पना की गई थी कि प्रौद्योगिकी भागीदार परियोजना की लागत का 90 फीसदी योगदान देंगे। हालांकि, भास्कर और अन्य आरोपियों ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर एमओयू में हेरफेर करने की साजिश रची। कौशल विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन के संबंध में जैसे ही प्रौद्योगिकी भागीदारों और आंध्र सरकार के बीच बातचीत शुरू हुई, भास्कर ने गंटा सुब्बा राव के साथ सांठगांठ की ताकि भास्कर की पत्नी अपर्णा उपाध्याय (यूपी कैडर की आईएएस) को आंध्र प्रदेश में अंतर संवर्ग प्रतिनियुक्ति पर लाया जा सके। अपर्णा को तब आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम के डिप्टी सीईओ के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी। जब आयकर विभाग ने कुछ छानबीन शुरू की तो भास्कर ने सीमेन्स छोड़ कर एप्ट्स हेल्थकेयर कंपनी को जॉइन कर लिया।

बहरहाल, जब भास्कर को विजयवाड़ा की अदालत में पेश किया गया, तो कोर्ट ने उसे पुलिस रिमांड में देने की अर्जी खारिज कर दी। इस पर सीआईडी ने हाई कोर्ट का रुख किया है। हाई कोर्ट में सीआईडी के वकील ने कहा कि ये घोटाला 750 करोड़ का है।



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Neel Mani Lal

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