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Bajrang Dal : फिर सुर्खियों में है बजरंग दल, जानें कब और किस मकसद से हुई थी इस संगठन की शुरुआत

Bajrang Dal : कर्नाटक चुनाव से पहले बजरंग दल सुर्खियों में है। इसकी वजह कांग्रेस के घोषणा पत्र का वह वादा है, जिसमें उन्होंने सत्ता में आने पर बजरंग दल जैसे संगठनों पर रोक लगाने का वादा किया है। देश के कई स्थानों पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्नाटक में भाजपा भी इस मुद्दे लेकर हमलावर है।

Hariom Dwivedi
Published on: 6 May 2023 9:34 PM IST
Bajrang Dal : फिर सुर्खियों में है बजरंग दल, जानें कब और किस मकसद से हुई थी इस संगठन की शुरुआत
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8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल का गठन हुआ था।

Bajrang Dal : कर्नाटक चुनाव से पहले बजरंग दल सुर्खियों में है। इसकी वजह कांग्रेस के घोषणा पत्र का वह वादा है, जिसमें उन्होंने सत्ता में आने पर बजरंग दल जैसे संगठनों पर रोक लगाने का वादा किया है। इसके बाद से कांग्रेस पार्टी बीजेपी व अन्य हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभाओं की शुरुआत बजरंगली के जयकारों से कर रहे हैं तो योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी के अन्य दिग्गज नेता कांग्रेस को हिंदू विरोधी करार दे रहे हैं। वहीं, कांग्रेसी इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करते दिख रहे हैं। आइये जानते हैं कि बजरंग दल के बारे में जिसको लेकर देश भर की सियासत गरमाई हुई है।

1984 में हुआ था बजरंग दल का गठन

8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल का गठन हुआ था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान संतों की यात्रा को सुरक्षा देने के मकसद से यह दल बनाया गया था। उस वक्त राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं में जागरूकता पैदा करने के लिए संतों की अगुआई में एक यात्रा निकाली जा रही थी। विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को आशंका थी कि संतों की इस यात्रा पर हमला हो सकता है। हिंदूवादी नेताओं ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार (नारायण दत्त तिवारी) से सुरक्षा मांगी, जिसे राज्य सरकार ने अस्वीकार दिया। इसके बाद बाद हिंदू जागरण मंच के विनय कटियार को बजरंग दल संगठन के गठन की जिम्मेदारी दी गई। संगठन के गठन के बाद कटियार को बजरंग दल का पहला राष्ट्रीय संयोजक चुना गया था।

बाबरी विध्वंस के समय लगा था प्रतिबंध

रामभक्त हनुमान ने नाम और काम के आधार पर बजरंग दल की स्थापना की गई। हिंदू विचारधारा, हिंदू संस्कृति का संरक्षण और हिंदू पहचान की सुरक्षा के लिए बजरंग दल काम करता है। यह विश्व हिंदू परिषद की शाखा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखाओं की तर्ज देश में इस संगठन के लगभग 2,500 अखाड़े हैं। संगठन का आधार देश के उत्तरी और मध्य भाग है। कई बार यह संगठन विवादों में भी रहा है। इस संगठन पर हिंसा और नैतिक पुलिसिंग के आरोप भी लगते रहे हैं। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध भी लगा था।

अयोध्या से कर्नाटक तक

बजरंग दल की स्थापना प्रारंभ में केवल अयोध्या आंदोलन तक ही सीमित थी, लेकिन साल 1993 में इसका अखिल भारतीय संगठनात्मक स्वरूप तय हुआ। इसके बाद सगंठन का विस्तार होता चला गया। 1994 तक इस संगठन ने दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक तक अपनी पहुंच बना ली थी। बजरंग दल के पदाधिकारियों को कहना है कि उनका संगठन किसी के विरोध में नहीं बल्कि हिंदुओं को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिए बना है। बजरंग दल का नारा है सेवा, सुरक्षा और संस्कृति।

बजरंग दल का उद्देश्य

हिंदूवादी संगठन बजरंग दल देश के कई हिस्सों में फैला है। एक दावे के मुताबिक, इस संगठन से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। बजरंग दल का नारा है सेवा, सुरक्षा और संस्कृति। धर्मांतरण, साम्यवाद और मुस्लिम जनसांख्यिकी विकास के खिलाफ भी यह संगठन आवाज उठाता रहा है। हिंदू संस्कृति की रक्षा एवं बचाये रखने के लिए संगठन की कई कार्यक्रम भी आयोजित करता है। संगठन की ओर से देश के कई भागों में कार्यकर्ताओं के लिए ट्रेनिंग का कार्यक्रम भी चलाया जाता है।

घोषणा पत्र में कांग्रेस का वादा

कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था, "कांग्रेस पार्टी किसी भी ऐसे व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध ठोस और निर्णायक कदम उठाने को प्रतिबद्ध है जो समुदायों के भीतर जाति या धर्म के आधार पर नफरत फैलाते हैं। ये हमारा यकीन है कि संविधान और कानून सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति या संस्था जैसे बजरंग दल, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) या अन्य बहुसंख्यकों या अल्पसंख्यकों के बीच दुश्मनी या नफरत फैलाने के लिए इसका उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। हम कानून के अनुसार ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाएंगे, जिसमें उस तरह के संगठनों पर प्रतिबंध लागू करना भी शामिल है।"



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