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क्या है CAG, जिसकी रिपोर्ट से हिल जाती हैं सरकारें, जानिए इसके काम करने का तरीका

CAG भारत सरकार का महत्वपूर्ण संस्थान है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। यह सरकारी खर्च और आय का ऑडिट करता है और सुधारों के लिए सिफारिशें करता है।

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Newstrack Network
Published on: 25 Feb 2025 7:26 PM IST (Updated on: 25 Feb 2025 7:38 PM IST)
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CAG Office (Photo: Social Media)

CAG: कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, जिसे भारतीय संविधान में विशिष्ट अधिकार और कर्तव्य सौंपे गए हैं। यह संस्था केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय कार्यों की पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन की निगरानी करती है। हाल ही में, दिल्ली विधानसभा में CAG की एक रिपोर्ट को पेश किया गया, जिसे लेकर काफी राजनीतिक हंगामा हुआ। इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति में कथित घोटाले का खुलासा किया गया था। इसके बाद, दिल्ली बीजेपी सरकार ने ऐलान किया कि वह आप सरकार के कार्यकाल में पेंडिंग पड़ी सभी 14 CAG रिपोर्टों को भी विधानसभा में पेश करेगी।

CAG की नियुक्ति और शक्तियाँ

भारत के संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 148 से 151 के तहत CAG का प्रावधान है। यह महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और इसके कार्यों की ताकत CAG अधिनियम, 1971 और अन्य कई कानूनों द्वारा तय की जाती है। CAG को विभिन्न जिम्मेदारियाँ सौंपने के साथ-साथ यह अधिकार भी दिया गया है कि वह समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय मामलों की समीक्षा कर सके। इसके अलावा, केंद्र सरकार इस संस्थान को विशेष मामलों की जांच करने के लिए नियुक्त कर सकती है, और उन रिपोर्टों को संसद के पटल पर रखा जाता है।

CAG का कार्यक्षेत्र

CAG की प्रमुख जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के खर्च और आय का ऑडिट करना है। इसके अतिरिक्त, CAG राज्य सरकार के खाता विवरणों का रखरखाव, पेंशन प्राधिकरण प्रदान करना, और कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों का प्रबंधन भी करता है। यह सरकारी कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह करदाता के पैसों का सही उपयोग सुनिश्चित करता है।

CAG की ऑडिट प्रक्रिया

CAG की ऑडिट प्रक्रिया अत्यधिक संक्षिप्त और संरचित होती है। यह तीन प्रकार के ऑडिट करता है:

1. कंप्लायंस ऑडिट: इसमें यह जांचा जाता है कि क्या सरकारी कार्यों और योजनाओं का क्रियान्वयन संबंधित कानूनों, नियमों और आदेशों के तहत किया गया है या नहीं।

2. निष्पादन ऑडिट: यह योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करता है। यह जांचता है कि क्या योजनाओं का उद्देश्य पूरा हो रहा है और उनका प्रभाव कितना सकारात्मक है।

3. वित्तीय ऑडिट: यह सरकारी खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खातों की जांच करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि उनके रिकॉर्ड सटीक और पारदर्शी हैं।

CAG अपने ऑडिट के लिए ऑडिट योजना तैयार करने से पहले जोखिम मूल्यांकन प्रक्रिया अपनाता है, जिसमें विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा जाता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार की होती है कि संबंधित विभागों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर जवाब देने का अवसर मिलता है।

CAG द्वारा ऑडिट प्रक्रिया की पारदर्शिता

ऑडिट प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, CAG अपने निष्कर्षों और योजनाओं को विभागों के साथ साझा करता है और संबंधित विभागों से उत्तर प्राप्त करता है। इसके बाद, CAG अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देता है और उसे राष्ट्रपति या राज्यपाल के पास भेजता है। इसके बाद, यह रिपोर्ट संसद में पेश की जाती है, और उसे सार्वजनिक किया जाता है। इसके बाद, लोक लेखा समिति (PAC) रिपोर्ट की समीक्षा करती है और सरकार से इस पर कार्रवाई की सिफारिश करती है।

CAG रिपोर्ट का प्रभाव

CAG की रिपोर्टें न केवल सरकार की नीतियों और प्रक्रियाओं की पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करती हैं, बल्कि इसके माध्यम से सरकार के खर्च और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता का भी आकलन किया जाता है। कई बार, CAG रिपोर्टें सरकार के लिए राजनीतिक समस्याएँ उत्पन्न करती हैं। उदाहरण के लिए, 2G स्पेक्ट्रम घोटाले पर CAG की रिपोर्ट ने तत्कालीन यूपीए सरकार की छवि को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, और इसे 2014 में बीजेपी की सत्ता में आने का कारण माना जाता है। इसी प्रकार, तेलंगाना सरकार ने कुछ साल पहले CAG के एक ऑडिट के बाद इंजीनियरिंग खरीद अनुबंधों में बदलाव किए थे, जो पहले से ज्यादा पारदर्शी और उपयुक्त साबित हुए।

CAG की सिफारिशें और उनका कार्यान्वयन

CAG की रिपोर्ट और सिफारिशें आम तौर पर सरकार के लिए सुधारों का आधार बनती हैं। यह न केवल सरकारी खजाने के दुरुपयोग को उजागर करती है, बल्कि यह सरकार को बेहतर निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती है। CAG रिपोर्टों के जरिए सरकारों को अपनी कार्यप्रणाली और नीतियों में सुधार करने का अवसर मिलता है, और इससे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलती है।

CAG भारत की सरकार की कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह सरकार के खर्च, योजनाओं के क्रियान्वयन और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी करता है। इसकी रिपोर्टों के माध्यम से सरकार अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार कर सकती है, जो अंततः सार्वजनिक हित में काम करता है। CAG की कार्यप्रणाली से यह साबित होता है कि सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है, और इस दिशा में CAG का योगदान बेहद सराहनीय है।



Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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