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Code of Conduct: आदर्श आचार संहिता लगने के बाद नहीं हो सकते ये काम, राजनीतिक दलों पर लग जाते हैं ये प्रतिबंध
Lok Sabha Election 2024: चुनाव के तारीखों का ऐलान होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लग जाती है। शनिवार को 2024 के लोकसभा चुनाव के तारीखों का चुनाव आयोग द्वारा एलान होते ही आचार संहित लागू हो जाएगी।
Code of Conduct: देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट या आदर्श चुनाव आचार संहिता बनाई है। देश में शनिवार यानी 16 मार्च 2024 को लोकसभा की तारीखों का एलान होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी।
आज हम यहां जानेंगे कि आदर्श आचार संहिता लगने पर देश में किन सरकारी और राजनीतिक कामों पर पाबंदी हो जाएगी और किस पर नहीं। साथ ही यहां भी जानेंगे कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर निर्वाचन आयोग और उसके नुमाइंदे क्या कार्यवाही कर सकते हैं। अब सबसे पहले बात आचार संहिता की।
क्या होता है आचार संहिता
आपको बताते चलें कि चुनाव आयोग ने देश में किसी भी चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से सम्पन्न कराने के लिए कुछ नियम और शर्तें तय की हैं। इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं।
आदर्श आचार संहिता कानून के द्वारा लाया गया कोई प्रावधान नहीं है। यह सभी राजनीतिक दलों की सर्वसहमति से लागू व्यवस्था है, जिसका सभी को पालन करना होता है। सबसे पहले आदर्श आचार संहिता की शुरुआत 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी, जिसमें इसके तहत बताया गया कि उम्मीदवार क्या कर सकता है और क्या नहीं। इसके बाद 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के बारे में सभी राजनीतिक पार्टियों को इसके बारे में अवगत कराया। चुनाव आयोग ने 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सभी सरकारों से इसे लागू करने को कहा और तभी से शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी जारी है। वहीं समय≤ पर चुनाव आयोग इसके दिशा-निर्देशों में बदलाव भी करता रहता है।
चुनाव की तारीखों के घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनाव का परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल, उम्मीदवार, सरकार और प्रशासन समेत चुनाव से जुड़े सभी लोगों पर इन नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है।
किन कामों पर होती है पाबंदी
निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता लगने के बाद किन कामों पर रोक होगी इसे लेकर बकायदा गाइडलाइन बनाई है। उनमें से कुछ प्रमुख गाइड लाइन के बारे में यहां बताया जा रहा है।
-आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार कोई नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकतीं। यही नहीं कोई भूमि पूजन और लोकार्पण भी नहीं हो सकता है।
-चुनावी तैयारियों के लिए किसी सरकारी संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। सरकारी गाड़ी, बंगला, हवाई जहाज आदि का उपयोग पूरी तरह से वर्जित होता है।
-आदर्श आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती हैं। होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं।
-राजनीतिक पार्टियों को रैली, जुलूस या फिर बैठक के लिए परमिशन लेनी होती है।
-धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा।
-मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती है। रिश्वत के बल पर वोट हासिल नहीं किए जा सकते है।
-किसी भी उम्मीदवार या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं।
-मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते हैं।
-वोटिंग के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित नहीं की जा सकती है।
अब बात निर्वाचन आयोग के जिम्मेदारी की
चुनाव की तारीखों के घोषणा से पहले भी कई ऐसे नियम और आयोग की जिम्मेदारी होती है, जिस पर चुनाव आयोग की नजर रहती है। केंद्र या राज्य में चुनाव की तारीखों का एलान से पहले यदि कोई अधिकारी किसी एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय से तैनात है तो उस जिले से उसका ट्रांसफर करना होगा। यही नहीं गृह जनपद में तैनात अफसरों का भी ट्रांसफर कर दिया जाता है।
नियम तोड़ने पर क्या होगी कार्यवाही
आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। वह आयोग द्वारा दिए गये दिशा-निर्देश के अनुसार ही कार्य करते हैं। साथ ही आयोग द्वारा जारी किये गए निर्देशों का पालन भी सुनिश्चित करते हैं। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, अथवा उल्लघंन करते पाया जाता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है या उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो सकती है। यही नहीं दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।
चुनावों के तारीखों की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके साथ ही चुनाव आयोग सक्रिय हो जाता होता है। आयोग चुनावों के लिए प्रवेक्षकों की नियुक्ति करता है। चुनावी प्रक्रिया में लगे अफसर आयोग के दिशा निर्देशों का अनुसार कार्य करने लगते हैं।