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Tirupati Laddu Controversy: लड्डुओं में मिलावट : सवाल कई हैं, जानिए क्या है पूरा मामला
Tirupati Laddu Controversy: 23 जुलाई को सरकार द्वारा लड्डू प्रसादम के स्वाद में बदलाव की शिकायतें मिलने के बाद विश्लेषण किया गया।
Tirupati Prasadam Controversy: तिरुमला देवस्थानम यानी तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद वाले लड्डुओं में इस्तेमाल देसी घी में मिलावट का मसला काफी गर्मा गया है। आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोप और एनडीडीबी की रिपोर्ट ने दुनिया भर में भगवान वेंकटेश्वर के करोड़ों भक्तों को चौंका दिया है क्योंकि तिरुपति के लड्डू को महा प्रसाद माना जाता है और इसका भावनात्मक महत्व बहुत अधिक है। टीटीडी तिरुमाला में हर दिन करीब 3 लाख लड्डू तैयार करता है और भक्तों को बांटता है। हर साल ट्रस्ट को सिर्फ लड्डू की बिक्री से ही करीब 500 करोड़ रुपये की कमाई होती है।
क्या है आरोप
आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार ने कहा है कि वाईएसआरसी सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुमाला मंदिर ट्रस्ट को दिए गए गाय के घी के नमूनों की जांच में पता चला है कि इसमें चर्बी और मछली के तेल सहित तरह तरह के अन्य फैट की मौजूदगी थी। नमूनों में नारियल, अलसी, रेपसीड और कपास के बीज जैसे वनस्पति स्रोतों से प्राप्त फैट भी शामिल थी। 23 जुलाई को सरकार द्वारा लड्डू प्रसादम के स्वाद में बदलाव की शिकायतें मिलने के बाद विश्लेषण किया गया।
मामले में जेपी नड्डा ने मांगी रिपोर्ट
तिरुपति लड्डुओं में मिलावट का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री औ केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री नायडू से मामले में बात करके रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि मामले पर हमारी पैनी नजर है। मामले की ठीक जांच होनी चाहिए।
रिपोर्ट में कुछ और भी है
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (सीएएलएफ) द्वारा किए गए विश्लेषण में एक चेतावनी भी दी गई है - कुछ परिस्थितियों में गलत सकारात्मक परिणाम आने की संभावना हो सकती है। रिपोर्ट में कई स्थितियों को बताया गया है जिसमें टेस्ट नतीजे गलत हो सकते हैं : जैसे कि, वनस्पति तेलों से भरपूर चारा गायों को अधिक खिलाना, गायों को कम खिलाना या कोलेस्ट्रॉल हटाने जैसे तकनीकी उपचार करना, कोलेस्ट्रम वाला सैंपल, आदि स्थितियां शामिल हैं। रिपोर्ट इस बात पर चुप है कि मिलावट जानबूझकर डाली गई थी या भोजन की स्थिति और अन्य कारकों के माध्यम से इसमें घुसपैठ हुई।
जांच क्यों हुई
- टीडीपी सरकार ने इसी जून में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का नया कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था, जो मंदिर परिसर का प्रबंधन करता है। शिकायतों के बाद लड्डू की कथित खराब गुणवत्ता, स्वाद और बनावट की जांच का आदेश दिया गया था।
- टीटीडी ने प्रसादम की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। सदस्यों में डॉ बी सुरेंद्रनाथ, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रोफेसर बी महादेवन (आईआईएम-बैंगलोर) और तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉ जी स्वर्णलता शामिल थे।
- महाप्रसाद के स्वाद और गुणवत्ता को बहाल करने के लिए टीटीडी को कई उपाय सुझाने के अलावा, समिति ने घी के नमूने एनडीडीबी, गुजरात को भी भेजे।
- जुलाई में जारी प्रयोगशाला रिपोर्ट ने सैंपल में विदेशी वसा की उपस्थिति की पुष्टि की।
क्या एक्शन लिया गया
तिरुपति देवस्थानम में देसी घी की सप्लाई का ठेका डिंडीगुल, तमिलनाडु की कम्पनी ए.आर. फूड्स कंपनी के पास था। ये कंपनी "राज" ब्रांड से तमिलनाडु में दूध बेचती है।
- टीडीपी प्रवक्ता रम्मना रेड्डी के अनुसार, टीटीडी को लड्डू बनाने के लिए प्रतिदिन 15 किलो गाय का घी चाहिए। तमिलनाडु स्थित एआर फूड्स 320 रुपये प्रति किलो की दर से घी उपलब्ध करा रहा था।
- - अब एआर फूड्स को टीटीडी ने काली सूची में डाल दिया है और घी की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों की सिफारिशों के आधार पर शुद्ध घी की आपूर्ति के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। नंदिनी (कर्नाटक मिल्क फेडरेशन) और अल्फा फूड्स 478 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेहतर गुणवत्ता वाला गाय का घी उपलब्ध कराने के लिए आगे आए हैं।