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Dengue fever: डेंगू बुखार क्या है? जानिये कारण, उपचार तथा बचाव के बारे में

Dengue fever: डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है जिसकी मुख्य विशेषताए हैः तीव्र बुखार, अत्यधिक शरीर दर्द तथा सिर दर्द। जो प्रत्येक सीजन में फैलती है।

Jugul Kishor
Published on: 28 Oct 2022 3:02 PM IST
Dengue in Shamli
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Dengue in Shamli (Pic: Social Media)

Dengue fever: डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है जिसकी मुख्य विशेषताए तीव्र बुखार, अत्यधिक शरीर दर्द तथा सिर दर्द हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो काफी तेजी से फैलती होती है और समय-समय पर इसे महामारी के रूप में देखा जाता है। 1996 में दिल्ली व उत्तर भारत के कुछ भागों में इसकी महामारी फैली थी। वयस्कों के मुकाबले, बच्चो में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है। यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व में होती है तथा काफी लोगों को प्रभावित करती है। उदाहरण के तौर पर एक अनुमान है कि प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 2 करोड़ लोगो को डेंगू बुखार होता है।

यह किस कारण होता है?

यह 'डेंगू' वायरस (विषाणु) द्वारा होता है जिसके चार विभिन्न प्रकार है। आम भाषा में इस बिमारी को 'हड्डी तोड़ बुखार' कहा जाता है क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है।

डेंगू फैलता कैसे है?

मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को 'एडीज मच्छर' कहते है जो काफी ढीठ व 'साहसी' मच्छर हैं और दिन में भी काटते हैं। भारत में यह रोग बरसात के मौसम मे तथा उसके तुरन्त बाद के महीनों अर्थात् जुलाई से अक्टूबर मे सबसे अधिक होता है। डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो वह उस रोगी का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर मे प्रवेश कर जाता है। मच्छर के शरीर मे डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है। जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है। इस प्रकार वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है तथा कुछ दिनों के बाद उसमें डेंगू बुखार रोग के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

संक्रामक काल: जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है।

डेंगू बुखार के लक्षण

लक्षण इस बात पर निर्भर करेंगे कि डेंगू बुखार किस प्रकार का है। डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं

1 क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार

2 डेंगू हॅमरेजिक बुखार (DHF)

3 डेंगू शॅाक सिन्ड्रोम (DSS)

क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार एक स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है तथा इससे मृत्यु नहीं होती है, लेकिन यदि (DHF) तथा (DSS) का तुरन्त उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो वे जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं। इसलिए यह पहचानना अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि साधरण डेंगू बुखार है या (DHF) तथा (DSS)। निम्नलिखित लक्षणों से इन प्रकारों को पहचानने में काफी सहायता मिलेगी।

1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार

ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना।

सिर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।

आंखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है।

अत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मिचलाना।

मुँह के स्वाद का खराब होना। गले में हल्का सा दर्द होना।

रोगी बेहद दुःखी तथा बीमार महसूस करता है।

शरीर पर लाल ददोरे (रैशे) का होना शरीर पर लाल-गुलाबी ददोरे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर विसरित (Diffuse) दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं।

साधारण (क्लासिकल) डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है। अधिकतर मामलों मे रोगियों को साधरण डेंगू बुखार ही होता है।

2 डेंगू हॅमरेजिक बुखार (DHF)

यदि साधरण (क्लासिकल) डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ, निम्नलिखित लक्षणो में से एक भी लक्षण प्रकट होता है तो DHF होने का शक करना चाहिए।

रक्तस्राव (हॅमरेज होने के लक्षण): नाक, मसूढों से खून जाना, शौच या उल्टी मे खून जाना, त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बडे चकत्ते पड़ जाना आदि रक्स्राव (हॅमरेज) के लक्षण हैं। यदि रोगी की किसी स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा ''टोर्निके टैस्ट'' किया जाये तो वह पॉजिटिव पाया जाता है प्रयोगशाला मे कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर DHF के निदान की पुष्टि की जा सकती है।

3 डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (DSS)

इस प्रकार के डेंगू बुखार में DHF के उपर बताए गये लक्षणों के साथ-साथ ''शॉक'' की अवस्था के कुछ लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं। डेंगू बुखार में शॉक के लक्षण ये होते हैं।

रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है।

रोगी धीरे- धीरे होश खोने लगता है।

यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती है। रोगी का रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) कम होने लगता है।

उपचार

यदि रोगी को साधरण (क्लासिकल) डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर की जा सकती है। चूंकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए। उदाहरण के तौर पर

स्वास्थ्य कर्मचारी की सलाह के अनुसार पेरासिटामॉल की गोली या शरबत लेकर बुखार को कम रखिए।

रोगी को डिसप्रिन, एस्प्रीन कभी ना दें।

यदि बुखार 102 F से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी (जल चिकित्सा) करें।

सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति मे शरीर को अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।

रोगी को आराम करने दें।

यदि रोगी में DHF या DSS की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो शीघ्रतिशीघ्र रोगी को निकटतम अस्पताल मे ले जाए ताकि वहाँ आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही निदान किया जा सके और आवश्यक उपचार शुरू किया जा सके। (जैसे कि द्रवों या प्लेटलेट्स कोशिकाओं को नस से चढाया जाना)। प्लेटलेट्स एक प्रकार की रक्त कोशिकाएँ होती है जो DHF या DSS में कम हो जाती हैं। यह भी याद रखने योग्य बात है कि डेंगू बुखार के प्रत्येक रोगी की प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है।

रोकथाम

डेंगू बुखार की रोकथाम सरल, सस्ती तथा बेहतर है। आवश्यकता है कुछ सामान्य उपाय बरतने की उपाय निम्नलिखत हैं।

एड़ीज मच्छरों का प्रजनन (पनपना) रोकना।

एड़ीज मच्छरों के काटने से बचाव।

एड़ीज मच्छरों का प्रजनन रोकने के लिए उपाय

मच्छर केवल पानी के स्रोतों मे ही पैदा होते हैं जैसे कि नालियों, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी बोतलों, पुराने टायर्स व डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहाँ पानी ठहरता हो।

अपने घर मे और उसके आस-पास पानी एकत्रित न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रूकी हुई नालियों को साफ कर दें। रूम कूलरों तथा फूलदानों का सारा पानी सप्ताह मे एक बार पूरी तरह खाली करे दें, उन्हे सुखाएँ तथा फिर से भरें। खाली व टूटे-फूटे टायरों, डिब्बों तथा बोतलों आदि का उचित विसर्जन करें। घर के आस-पास सफाई रखें।

पानी की टंकियों तथा बर्तन को सही तरीके से ढक कर रखें ताकि मच्छर उसमें प्रवेश ना कर सके और प्रजनन न कर पायें।

यदि रूम कूलरों तथा पानी की टंकियों को पूरी तरह खाली करना संभव नही है तो यह सलाह दी जाती है कि उनमे सप्ताह मे एक बार पेट्रोल या मिट्टी का तेल डाल दें। प्रति 100 लीटर पानी के लिए 30 मि0 लि0 पेट्रोल या मिट्टी का तेल पर्याप्त है। ऐसे करने से मच्छर का पनपना रूक जायेगा।

पानी के स्रोतों में आप कुछ छोटी किस्म की मछलियाँ (जैसे कि गैम्बुसिया, लेबिस्टर) भी डाल सकते हैं ये मछलियाँ पानी मे पनप रहे मच्छरों व उनके अण्डों को खा जाती हैं इन मछलियों को स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों (जैसे की बी0 डी0 ओ0) कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।

यदि संभव हो तो खिड़कियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर मे आने से रोकें।

मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें। रात में मच्छरदानी के प्रयोग से भी मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है। सिनेट्रोला तेल भी मच्छरों को भगाने मे काफी प्रभावी है।

ऐसे कपडे़ पहनना ताकि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे। यह सावधानी बच्चों के लिए अति आवश्यक है। बच्चो को मलेरिया सीजन (जुलाइ से अक्टूबर तक) मे निक्कर व टीशर्ट ना ही पहनाए तो अच्छा है।

मच्छर-नाशक दवाई छिड़कने वाले कर्मचारी जब भी यह कार्य करने आयें तो उन्हे मना मत कीजिए। घर में दवाई छिड़कवाना आप ही के हित मे है।

घर के अन्दर सभी क्षेत्रों में सप्ताह मे एक बार मच्छर-नाशक दवाई का छिडकाव अवश्य करें। यह दवाई फोटो- फ्रेम्स, परदों, कलैण्डरों आदि के पीछे तथा घर के स्टोर कक्ष व सभी कोनों में अवश्य छिडकें। दवाई छिड़कते समय अपने मुहँ व नाक पर कोई कपड़ा अवश्य बाँध लें तथा खाने पीने की सभी वस्तुओं को ढक कर रखें।

फ्रिज के नीचे रखी हुई पानी इकठ्ठा करने वाली ट्रे को भी प्रतिदिन खाली कर दें।

अपने घर के आस-पास के क्षेत्रा मे सफाई रखें। कूड़ा-करकट इधर उधर ना फेकें। घर के आस-पास जंगली घास व झाडियाँ आदि न उगने दें। (घर के आस-पास कम से कम 100 मी0 के अर्धव्यास में तो बिलकुल नही) ये मच्छरों के लिए छिपने व आराम करने के स्थलों का कार्य करते हैं।

यदि आपको लगता है कि आपके क्षेत्रा में मच्छरों की संख्या में अधिक वृद्धि हो गयी है या फिर बुखार से काफी लोग ग्रसित हो रहे है तो अपने स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र, नगरपालिका या पंचायत केन्द्र मे अवश्य सूचना दें।

यह भी याद रखने योग्य बात है कि एडीज मच्छर दिन में भी काट सकते हैं। इसलिए इनके काटने से बचाव के लिए दिन में भी आवश्यक सावधनियाँ बरतें।

यदि किसी कारणवश दरवाजों व खिडकियों पर जाली लगवाना संभव नहीं है तो प्रतिदिन पूरे घर मे पायरीथ्रम घोल का छिडकाव करें।

डेंगू बुखार सर्वाधिक रूप से जुलाई से अक्तूबर माह के बीच की अवधि में होता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं इसलिए इस मौसम में हर सावधानी बरतनी चाहिए।

अन्त मे एक सलाह और। डेंगू बुखार से ग्रस्त रोगी को बीमारी के शुरू के 6-7 दिनो में मच्छरदानी से ढके हुए बिस्तर पर ही रखें ताकि मच्छर उस तक ना पहुँच पायें। इस उपाय से समाज के अन्य व्यक्तियों को डेंगू बुखार से बचाने मे काफी सहायता मिलेगी।

यदि आपको कभी भी ऐसा लगे कि काफी व्यक्ति ऐसे बुखार से पीडित है जो डेंगू हो सकता है तो शीघ्रतिशीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी सूचना दें। ऐसा करने से डेंगू बुखार को, महामारी का रूप धरण करने से पहले ही आवश्यक कदम उठाकर नियन्त्रित किया जा सकेगा।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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