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क्या है राहुल गांधी के नागरिकता रद्द करने की मांग का मामला?, कब-कब उठे सवाल
Rahul Gandhi:यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर बवाल मचा हुआ है। इससे पहले भी उनकी नागरिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।
Rahul Gandhi: राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता मामले को लेकर आज यानी बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। यह सुनवाई काफी अहम मानी जा रही है। हाईकोर्ट क्या निर्णय लेगा इस पर देश भर की निगाहें ठिकी हैं। 26 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, इसलिए हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। साथ ही इाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई का क्या स्टेटस है? कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की डिटेल दिल्ली हाईकोर्ट में पेश करने को कहा है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की थी और इसी मामले को लेकर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर आज सुनावाई होनी है।
कोई ने गृह मंत्रालय से मांगा था स्पष्टीकरण
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 25 सितंबर 2024 को केंद्रीय गृह मंत्रालय से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा था।
क्या है राहुल गांधी की नागरिकता पर विवाद का मामला
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर चल रहा यह विवाद काफी पुराना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 6 अगस्त 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय को लेटर लिखकर मांग की थी कि वह राहुल की भारतीय नागरिकता को रद्द करे। राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर ही स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश सरकार के सामने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था, जो भारतीय संविधान और नागरिकता अधिनियम का उल्लंघन है।
वहीं 2019 में राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि पूरा देश जानता है कि राहुल हिंदुस्तानी हैं। वे सबके सामने पैदा हुए, बड़े हुए। बाकी सब बातें बकवास हैं।
इसलिए सांसद बनने के योग्य नहीं हैं!
कर्नाटक के एक भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर ने 21 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा है कि राहुल गांधी भारत के नागरिक नहीं हैं। ब्रिटिश नागरिक हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) के तहत सांसद बनने के योग्य नहीं हैं।
कब-कब उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेता की नागरिकता को लेकर कई साल पहले सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता के मामले पर गृह मंत्रालय को जल्द जांच के निर्देश दिए जाने की गुहार लगाई गई थी। लेकिन उस समय की तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस गोगोई ने कहा था कि अगर कोई कंपनी किसी फॉर्म में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताती है तो इसका मतलब यह नहीं कि वे ब्रिटिश के नागरिक हो गए।
स्वामी ने दिया था यह तर्क
इसी तरह के सवाल 2019 में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी उठाए थे। इस बार स्वामी ने तर्क दिया है कि उनके पत्र के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, गृह मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया। हालांकि सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत के बाद गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी से एक पखवाड़े के भीतर शिकायत का जवाब देने को कहा था। नोटिस में गृह मंत्रालय ने कहा गया था, यह बात सामने आई है कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक एक कंपनी वर्ष 2003 में यूके में पंजीकृत हुई थी, जिसका पता 51 साउथगेट स्ट्रीट, विनचेस्टर, हैम्पशायर एस 023 9ईएच था और राहुल गांधी उक्त कंपनी के निदेशकों और सचिव में से एक थे। इस पर वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
केंद्र ने आईटीआई में दिया था ये जवाब
यही नहीं राहुल की नागरिकता पर आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। दरअसल एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से राहुल की नागरिकता मामले में जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने किसी भी प्रकार की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया था। गृह मंत्रालय ने इसके जवाब में कहा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (एच) और (जे) के तहत कोई खुलासा नहीं किया जा सकता है। जानकारी देने से जांच प्रक्रिया में बाधा पहुंचेगी।