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Normalisation Process: क्या है नॉर्मलाईजेशन प्रकिया जिसे लेकर यूपी से लेकर बिहार तक कट गया बवाल

पिछले कुछ सप्ताह में लखनऊ, प्रयागराज से पटना तक एक शब्द हर किसी के कान में गूंजा 'नॉर्मलाईजेशन'। जिसे लेकर प्रतियोगी छात्रों ने कई दिनों तक बवाल काटा

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Newstrack Network
Published on: 7 Dec 2024 4:33 PM IST
Normalisation Process: क्या है नॉर्मलाईजेशन प्रकिया जिसे लेकर यूपी से लेकर बिहार तक कट गया बवाल
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पिछले कुछ सप्ताह में लखनऊ, प्रयागराज से पटना तक एक शब्द हर किसी के कान में गूंजा 'नॉर्मलाईजेशन'। जिसे लेकर प्रतियोगी छात्रों ने कई दिनों तक बवाल काटा। बवाल ऐसा कि उत्तर प्रदेश सरकार को भी मांगो के आगे झुकना पड़ा। इसी बीच अब बिहार में भी नॉर्मलाईजेशन को लेकर भारी बवाल हुआ। विख्यात टीचर और यूट्यूबर खान सर को भी विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की वजह से हिरासत में लेना पड़ा और प्रदर्शन कर रहे छात्रों के हिरासत में लेना पड़ा था।

क्या है नॉर्मलाईजेशन

जब एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा आयोजित होती है तो ऐसी स्थिति में परीक्षा कराने वाली संस्था की ओर से नॉर्मलाइजेशन कराकर सभी कैंडिडेट्स के नंबरों को सामान्य किया जाता है। कई शिफ्ट में होने वाली परीक्षा के प्रश्नपत्र में अलग-अलग सवाल होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि किसी शिफ्ट में प्रश्न पत्र आसान आ जाते हैं तो ऐसे में उस पाली की परीक्षा में बैठे छात्र ज्यादा प्रश्न हल करते हैं। जबकि और पाली में कई बार कठिन सवाल आ जाते हैं। ऐसे में अभ्यर्थी ज्यादा सवाल नहीं हल कर पाते। इसके साथ ही जितने पाली में परीक्षा आयोजित होती है उन सभी पालियों के आधार पर नॉर्मलाइजेशन किया जाता है। नॉर्मलाईजेशन से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी छात्रों को समान रूप से आंका जाए, भले ही परीक्षा का सेट या समय अलग हो।

नॉर्मलाईजेशन का उद्देश्य

जब एक परीक्षा मे कई सेट्स होते हैं, तो उनमें से कुछ सेट्स कठिन हो सकते हैं और कुछ सेट्स आसान। इस कठिनाई के अंतर को दूर करता है ताकि हर छात्र को समान अवसर मिल सके। नॉर्मलाईजेशन यह सुनिश्चित करता है कि अलगा-अलग सेट्स या परीक्षाओं में प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को समान अंक मिलें, ताकि रिजल्ट्स में किसी प्रकार का असमानता न हो।

कैसे होता है नॉर्मलाईजेशन

सबसे पहले यह आकलन किया जाता है कि हर सेट का कठिनाई स्तर क्या था। इसके लिए कुछ सालों के औसत नंबर या प्रतियोगी छात्रों द्वारा सही जवाबों की संख्या को देखा जाता है । अगर किसी सेट की कठिनाई अधिक थी, तो उसमें मिले नंबर को नॉर्मलाइज कर दूसरे सेट के बराबर लाया जाता है। उदाहरण के लिए अगर एक सेट बहुत कठिन था, तो उस सेट के छात्रों के नंबर कुछ प्रतिशत बढ़ाए जा सकते हैं ताकि उनका प्रदर्शन दूसरे सेटों के बराबर हो और परिणाम सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और समान हो।



Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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