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क्या है NSA और ESMA? किन परिस्थतियों में लगाए जाते हैं ये अधिनियम और जानिए इनकी सजा

NSA and ESMA: प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार समेत कई राज्यों की सरकार एनएसए अधिनियम लागू कर रही। वहीं, उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल पर NSA और ESMA की खूब चर्चा हो रही है। जानिए आखिर क्या है ये अधिनियम, लगाने के क्या है नियम?

Snigdha Singh
Published on: 19 March 2023 2:15 AM IST (Updated on: 19 March 2023 12:38 PM IST)
क्या है NSA और ESMA? किन परिस्थतियों में लगाए जाते हैं ये अधिनियम और जानिए इनकी सजा
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Photo: Social Media

What is NSA & ESMA: उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को योगी सरकार और प्रदेश मंत्री दुरुस्त करने में लगे हैं। इसे दुरुस्त करने में सबसे अधिक एनएसए एक्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस अधिनियम को लगाने के क्या नियम और प्रक्रिया है? दरअसल, NSA को रासुका ( राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ) भी कहते हैं, इसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा किये गये अपराध तथा साथ ही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर इस कानून की धारा का प्रयोग प्रशासन द्वारा किया जाता है।
रासुका का मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या अधिनियम होता है। अगर इसके तहत हिरासत में लिए व्यक्ति को अधिकमत एक साल जेल में रखा जा सकता है। रासुका ( राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ) के अंतर्गत अगर सरकार को ये लगता कि कोई भी व्यक्ति देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति प्रशासन को दे सकती है। नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) एक ऐसा कानून है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति से कोई खास खतरा सामने आता है तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश के लिए खतरा है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। 1980 में देश की सुरक्षा के लिहाज से सरकार को ज्यादा शक्ति देने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह एक्ट किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।

रासुका का क्या है प्रावधान

यह कानून, राज्य और केंद्र सरकार को एक ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार देता है जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका हो। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA में यह प्रावधान है कि सरकार, किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रख सकती है। संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। वहीं, हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती और हिरासत की समयावधि को 12 महीने तक किया जा सकता है। संदिग्ध व्यक्ति हाईकोर्ट के एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है और राज्य सरकार को यह बताना होता है कि इस व्यक्ति को हिरासत में रखा गया है।

एस्मा कब लगाया जाता है?

आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (ESMA) भारत की संसद का एक अधिनियम है, जिसे कुछ सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया था, जो कि बाधित होने पर लोगों के सामान्य जीवन को प्रभावित करेगा। आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। एस्‍मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्‍य दूसरे माध्‍यम से सूचित किया जाता है। जब कभी भी कर्मचारी हड़ताल पर बैठते हैं तो एस्मा भी चर्चा में आ जाता है। इसमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवाएं), स्वास्थ्य सेवाएं (डॉक्टर और अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं।



Snigdha Singh

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