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UNION BUDGET 2018: इस्तेमाल होने वाले इन शब्दों के क्या है मायने, जानिए यहां

आज (1 फरवरी) आम बजट पेश किया जाना है। बजट के दौरान देश के वित्त बजट के डॉक्यूमेंट्स  को पढ़ते हैं। बजट के दौरान वितित मंत्री द्वारा कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे आम आदमी सरलता से समझ नहीं पाते है।

priyankajoshi
Published on: 1 Feb 2018 11:27 AM IST
UNION BUDGET 2018: इस्तेमाल होने वाले इन शब्दों के क्या है मायने, जानिए यहां
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नई दिल्ली: आज (1 फरवरी) आम बजट पेश किया जाना है। बजट के दौरान देश के वित्त बजट के डॉक्यूमेंट्स को पढ़ते हैं। बजट के दौरान वित्त मंत्री द्वारा कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे आम आदमी सरलता से समझ नहीं पाते है।

आज हम उन्हीं शब्दों के मायने को बताने जा रहे है, जिसे आम आदमी आसानी से समझ सके। बता दें कि वित्त मंत्री ने 29 जनवरी को ही आर्थिक सर्वे प्रस्तुत कर चुकी हैं।

क्या है आम बजट?

केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से पेश की जाने वाली वार्षिक वित्त रिपोर्ट को ही 'आम बजट' कहा जाता है। आम बजट पूरे देश के लिए होता है, जिसमें सरकार नए वित्त वर्ष का लेखा जोखा पेश करती है। सरकार संसद को बताती है कि आने वाले एक साल में वह किस काम के लिए कितना पैसा खर्च करेगी। वैसे तो देश के संविधान में बजट शब्द का जिक्र नहीं है, लेकिन जिसे हम बोलचाल की भाषा में आम बजट कहते हैं उसे संविधान के आर्टिकल 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। इसमें एक वित्त वर्ष के लिए अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों का विस्तृत ब्योरा होता है।

ऐसे तैयार होता है?

आम बजट एक विस्तृत चर्चा और परामर्श प्रक्रिया के बाद तैयार होता है। सभी मंत्रियों समेत विभाग,राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और स्वायत्त निकाय और सेना अपने खर्च और आमदनी का ब्योरा वित्त मंत्रालय को देते हैं। वित्त मंत्री इसके बाद योजना आयोग के साथ किसान, बिजनेस बॉडीज, विदेशी संस्थानिक निवेशकों से जुड़े स्टेकहॉल्डर्स और अर्थशास्त्रियों से परामर्श करते हैं। इस प्रक्रिया के बाद वित्त मंत्री टैक्स प्रपोजल्स पर अंतिम फैसला लेते है और फिर प्रधानमंत्री से अप्रुवल लेते हैं।

बजट की प्रस्तुति

आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है। संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करता है। बजट दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्योरा होता है और दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्षो के लिए प्रत्येक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव रखें जाते हैं।

बजट में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जानें यहां...

क्या है राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग के बीच का अंतर है।

क्या होता है पूंजीगत खर्च?

यह फंड्स का आउटफ्लो (खर्च) होता है। सड़कों का निर्माण या लोन चुकाने को कैपिटल एक्सपेंडिचर में डाला जाता है।

जीडीपी

एक वित्तीय वर्ष में किसी देश की सीमा के भीतर बनने वाली कुल वस्तुओं और सेवाओं के योग को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहा जाता है।

राजस्व खर्च

पूंजीगत खर्चों में वर्गीकृत किए गए खर्चों को छोड़कर सभी खर्चे राजस्व खर्चों में आते हैं। इससे एसेट्स या लाइबिलिटीज (दायित्वों) में कोई फर्क नहीं पड़ता। तनख्वाह, ब्याज भुगतान और अन्य प्रशासनिक खर्चे राजस्व खर्चों में शामिल हैं।

चालू खाता घाटा

चालू खाता घाटा (करेंट अकाउंट डेफिसिट यानी (CAD) कहते हैं। इस तरह का घाटा राष्ट्रीय आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दिखाता है।

कॉर्पोरेट टैक्स

इस तरह का टैक्स कॉर्पोरेट संस्थानों का फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए आमदनी होती है। इस बार करदाताओं को इसके 30 फीसदी से घटाकर 25 प्रतिशत किए जाने की संभावना है।

प्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्त्रोत पर लगता है। सामान्य तौर पर यह संपत्ति और आमदनी पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के माध्यम से लगता है।

बजट अनुमान

इस तरह के अनुमान में एक साल का राजकोषीय और राजस्व घाटा शामिल होता है। इस शब्द का मतलब यह होता है कि एक वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने कितना खर्चा किया और उसे कर राजस्व के जरिए कितनी आमदनी हुई।

उत्पाद शुल्क

यह एक तरह का कर होता है जो कि एक देश की सीमाओं के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगता है।

बजट घाटा

ऐसी स्थिति तब पैदा होती है जब आपके खर्चे प्राप्त राजस्व से अधिक हो जाते हैं।

सीमा शुल्क

इसे ही कस्टम ड्यूटी कहा जाता है। इस तरह का शुल्क उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जो या तो देश में आयातित की जाती है और या फिर देश के बाहर उनका कहीं निर्यात किया जाता है। आयातक और निर्यातक इस शुल्क को अदा करते हैं।

विनिवेश

आसान शब्दों में इसका मतलब यह होता है कि सरकार किसी संस्थान या फर्म में अपनी हिस्सेदारी का कुछ फीसदी हिस्सा किसी प्राइवेट फर्म को बेच देता है। ऐसा आमतौर पर इसलिए किया जाता है ताकि कंपनी के प्रदर्शन को सुधारा जा सके और सरकार के राजस्व में भी कुछ इजाफा बढ़ोत्तरी हो।

एग्रीगेट डिमांड: यह अर्थव्यवस्था की कुल मांगों का एक योग होता है। इसकी गणना उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं और निवेश पर होने वाले व्यय को जोड़कर इसकी गणना की जा सकती है।

एग्रीग्रेट सप्लाई: यह देश में उत्पादित होने वाली वस्तु एवं सेवाओं का कुल योग होता है। इसमें निर्यातित माल की कीमत को घटाने के बाद आयातित माल की कीमत भी सम्मिलित होती है।

एप्रोप्रिएशन बिल: यह बिल संचित निधि में से खर्चों के लिए पैसे निकासी को हरी झंडी देने की तरह है। यह वह प्रस्ताव है, जिसे संसद लोकसभा में मतदान के बाद पास करती है।

priyankajoshi

priyankajoshi

इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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