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IND की मदद से पीछे हटा व्हाट्सएप, कहा- संदेश ट्रेस करने के लिए नहीं उपलब्ध करवा सकते सॉफ्टवेयर

Aditya Mishra
Published on: 23 Aug 2018 6:50 PM IST
IND की मदद से पीछे हटा व्हाट्सएप, कहा- संदेश ट्रेस करने के लिए नहीं उपलब्ध करवा सकते सॉफ्टवेयर
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नई दिल्ली: फेक न्यूज़ और अफवाहों पर लगाम लगाने की सरकार की पहल को व्हाट्सएप ने बड़ा झटका दिया है। व्हाट्सएप का कहना है कि वह संदेश ट्रेस करने के लिए भारत सरकार को कोई सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं करवा सकता। इस तरह भारत सरकार की व्हाट्सएप के जरिए फैलाए जा रही अफवाहों और फर्जी ख़बरों को रोकने की कोशिशों को झटका लगा है।

सरकार ने इसके लिए कंपनी से एक विशेष प्रावधान की मांग की थी ताकि फर्जी संदेश भेजने वाले का पता लगाया जा सके। गौरतलब है कि अभी तक दर्जनों लोग फर्जी अफवाहों की वजह से भीड़ के हाथों मारे जा चुके हैं। व्हाट्सएप ने कहा है कि वह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की वजह से किसी भी संदेश का सोर्स पता नहीं लगाएगी और न ही उसे उजागर करेगी।

व्हाट्सएप ने दी ये सफाई

व्हाट्सएप के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा करने से एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन और व्हाट्सएप के प्राइवेट नेचर (निजता के स्वभाव) को झटका लगेगा, साथ ही इसके दुरुपयोग की भी संभावना है। प्रवक्ता ने कहा कि व्हाट्सएप निजी सुरक्षा के प्रावधान को कमजोर नहीं करेगी।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि लोग किसी भी प्रकार की 'संवेदनशील सूचना या संवाद' के लिए व्हाट्सएप पर निर्भर हैं, जिनमें उनके डॉक्टर, बैंक और परिवार के लोगों की बातचीत शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि भारत में लोगों को दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं के बारे में जागरूक करें ताकि उन्हें सुरक्षित रहने में मदद मिल सके।

सरकार ने की थी व्हाट्सएप से ये मांग

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में मॉब लिचिंग की घटनाओं के सामने आने के बाद व्हाट्सएप ने सबका ध्यान खींचा है, क्योंकि इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कुछ लोग देश में अफवाह फैलाने के लिए कर रहे हैं। व्हाट्सएप के हेड क्रिस डेनियल्स ने इस महीने ही सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की।

मुलाकात के बाद प्रसाद ने बताया कि सरकार ने व्हाट्सएप को भारत में भी एक कॉरपोर्ट ऑफिस खोलने के लिए कहा है और तकनीकी रूप से इस बात का भी समाधान निकालने का आग्रह किया है, जिससे कि संदेशों के मूल (ओरिजिन) का पता लगाया जा सके। इसके अलावा व्हाट्सएप से एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की भी बात कही थी। रविशंकर प्रसाद ने ये भी बताया कि डेनियल्स ने डिजिटल इंडिया में फेसबुक की भूमिका की भी सराहना की है। हालांकि, डेनियल ने मुलाकात के बारे में किसी भी प्रकार की टिप्पणी से मना कर दिया था।

अगले साल हैं चुनाव, फेक न्यूज होगी बड़ी चुनौती

गौरतलब है कि आगामी वर्ष में भारत में आम चुनाव होने हैं। सरकार पूरी तरह नजर बनाए हुए है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप का इस्तेमाल फर्जी सूचना फैलाने के लिए न हो। वहीं, व्हाट्सएप के लिए भी भारत सबसे बड़ी मार्केट है। यहां व्हाट्सएप के करीब 200 मिलियन यूजर हैं। अब तक सरकार व्हाट्सएप को 2 नोटिस भेज कर जवाब मांग चुकी है कि उसे फर्जी सूचनाएं और अफवाहों के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

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क्या होता है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) एक विशेष संचार (कम्यूनिकेशन) प्रणाली है, जहां भेजने वाले के संदेश केवल प्राप्त करने वाला ही पढ़ सकता है। इसमें भेजने वाले का संदेश एनकोड किया जाता है यानि एक विशेष कोड रूप में प्राप्तकर्ता (रिसीवर) के पास पहुंचता है। बाद में रिसीवर के लिए उस मैसेज को फिर से डिकोड किया जाता है। ताकि आसानी से संदेश पढ़ा जा सके।

व्हाट्सएप ने उठाए हैं ये कदम

सरकार के जवाब में व्हाट्सएप ने बताया है कि यह भारत में एक स्थानीय लोगों की टीम तैयार कर रही है। इसके अलावा व्हाट्सएप ने एक नया फीचर भी लॉन्च किया है, जिसके तहत आगे भेजे गए (फॉरवर्डिड) संदेशों का अलग से पता लग सके। इसके अलावा व्हाट्सएप ने एक बार में 5 लोगों से ज्यादा को संदेश भेजने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा कंपनी लगातार ये कह रही है कि वे भारत के लोगों को फर्जी सूचनाओं और ख़बरों की पहचान के बारे में जागरूक करेंगे।

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