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बन रहा तलाक की वजह व्हाट्सअप

seema
Published on: 14 Sept 2018 12:47 PM IST
बन रहा तलाक की वजह व्हाट्सअप
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बन रहा तलाक की वजह व्हाट्सअप

नयी दिल्ली। यूपी में हाल में दो ऐसे अनोखे मामले सामने आए जिनमें व्हाट्सअप के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ने एक जगह शादी तोड़ दी तो दूसरी जगह इसी वजह से शादी होने ही नहीं पाई। इसके पहले भी पत्नी के व्हाट्सअप मैसेज देखने पर मर्डर तक हो चुका है। अमरोहा जिले के नौगवां सादात गांव में एक परिवार ने अपने बेटे की तय की हुई शादी इस वजह से तोड़ दी कि जिस लड़की से शादी होने वाली थी, वह अपना ज्यादातर समय व्हाट्सअप पर ही गुजारती थी। हालांकि लड़की के परिवार वाले इस आरोप से इनकार कर रहे हैं और उन्होंने शादी टूटने की वजह अधिक दहेज की मांग को बताया है लेकिन लड़का और उसका परिवार अपने आरोप पर अड़ा है। लड़की के पिता उरुज मेंहदी ने कथित तौर पर दहेज मांगने और उसी वजह से शादी तोडऩे के मामले में लड़के के परिवार वालों के खिलाफ रिपोर्ट भी लिखाई है। लेकिन दूल्हा यानी शाने आलम का कहना है कि 'जब से शादी तय हुई है तभी से हम लोग इस बात को बारीकी से देख रहे हैं कि लड़की हर वक्त व्हाट्सअप में ही व्यस्त रहती है। यहां तक कि उसे मुझसे बात करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखती थी।

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अमरोहा से दो सौ किमी दूर मैनपुरी में भी व्हाट्सअप एक शादी के टूटने की वजह बन गया। सात जन्मों का साथ निभाने की कसम लेने वाले पति-पत्नी को व्हाट्सअप ने सिर्फ पांच महीने में ही एक दूसरे से दूर कर दिया। मैनपुरी के सिरसा गांव के रहने वाले विमलेश कुमार का कहना है कि उनकी पत्नी व्हाट्सअप पर बहुत ज्यादा चैटिंग करती थी, जो उन्हें अच्छा नहीं लगता था। शुरुआती आपसी झगड़ों के बाद यह मामला पंचायत तक पहुंचा और फिर दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला कर लिया। विमलेश कुमार की शादी इसी साल अप्रैल में हुई थी। लड़की वालों ने लड़के के परिवार पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगाया है बल्कि लड़की की ही गलती बताई है और लड़की भी अपनी गलती को स्वीकार कर रही है, लेकिन उस आदत को छोड़ नहीं पा रही है।

समाजशास्त्री डॉ. सर्वेश कुमार के मुताबिक, 'सोशल मीडिया और इंटरनेट ने दुनिया को भले ही छोटा कर दिया है लेकिन दिलों की दूरी बढ़ा दी है, इसमें कोई संदेह नहीं। फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर जैसे टूल्स व्यक्ति को एकाकी बनाते जा रहे हैं। यह प्रवृत्ति शहर और गांव हर समाज में मौजूद है। जब ये आदत, लत में बदल जाती है तो इसके दुष्परिणाम भी वैसे ही दिखने लगते हैं। इन पर तो किसी तरह की कानूनी रोक लगाना भी संभव नहीं है, क्योंकि ये मामला व्यक्तिगत आदत से जुड़ा है और इस पर निजी तौर पर ही रोका जा सकता है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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